नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दिल्ली सरकार द्वारा 12 कॉलेज सौ फीसदी वित्त पोषित है. इन कॉलेजों पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप की दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़े शब्दों में निंदा की है.
दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कॉलेजों में तीन प्रकार का ऑडिट होता है जिसमें इंटरनल ऑडिट, ईएलएफए ऑडिट और एजीसीआर जो कि CAG द्वारा किया जाता है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिल्ली सरकार से जल्द फंड जारी करने की मांग की है, जिससे कि शिक्षकों कर्मचारियों को सैलरी दी जा सके और कॉलेज में सुचारू रूप से अन्य काम हो सकें.
शिक्षा मंत्री के आरोपों की निंदा
दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन कॉलेज प्रोफेसर बलराम पाणी ने कहा कि जिस तरीके से उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने कॉलेज में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, उससे शिक्षक और छात्रों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि हर कॉलेज अकादमी स्तर को कायम रखने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. साथ ही कहा कि साल दर साल के कॉलेजों में खर्चे की बढ़ोतरी हुई है.
'सैलरी में 25 फीसदी की वृद्धि'
प्रोफेसर पाणी ने कहा कि 2014 से सैलरी का खर्चा बढ़ा है. सातवें वेतन के तहत सैलरी में 25 फीसदी वृद्धि हुई है. इसके अलावा वर्ष 2014-15 में मल्टी टास्किंग स्टाफ को 8,225 रुपये दिए जाते थे जिसमें 83 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसके तहत अब 15,070 दिए जाते हैं. साथ ही कहा कि एडहॉक शिक्षकों की सैलरी 56,080 से बढ़कर 89,781 रुपये हो गई है. उन्होंने कहा कि वार्षिक इंक्रीमेंट 5 सालों में सैलरी का 18 प्रतिशत हुआ है इसमें 20 प्रतिशत डीए बढ़ा है.
खर्चों में इजाफा होने से फंड की मांग बढ़ी
बलराम पाणी ने कहा कि चार कॉलेज पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुए हैं, जिसमें रख रखाव का खर्चा बढ़ा है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 सालों से एडमिशन में ईडब्ल्यूएस की सीटें जुड़ी है जिसकी वजह से सैलरी का खर्चा अस्सी से सौ फीसदी बढ़ा है. साथ ही कहा कि इस दौरान बिजली पानी समेत कई खर्चों में 300 से 500 फीसदी का इजाफा भी हुआ है. ऐसे में समय पर फंड न मिलने की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बलराम पाणी ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि जल्द ही इन 12 कॉलेजों का फंड जारी करें. जिससे कि कर्मचारियों शिक्षकों को समय पर वेतन दिया जा सके. इसके अलावा वित्तीय संकट की वजह से कॉलेज के अन्य कार्य जो ठप पड़े हैं, उन्हें दोबारा से सुचारू रूप से किया जा सके.