नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और एनसीआर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आजकल मेट्रो का एक लंबा नेटवर्क बन गया है. मेट्रो को दिल्ली की लाइफ लाइन कहा जाने लगा है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के हर इलाके और कनेक्टिंग रोड पर जाने के लिए आज भी डीटीसी की बसें ही एकमात्र सहारा हैं. यही बसें यातायात पुलिस और सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं. हालत यह है कि आजकल दर्जनों डीटीसी बसें रोजाना ब्रेकडाउन की वजह से सड़कों पर खड़ी नजर आती हैं और उनके पीछे जाम में फंसे लोगों की कतार लगी होती है.
आजकल जी 20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटी यातायात पुलिस के लिए भी ये बसें चिंता की वजह बनी हुई हैं. यातायात पुलिस ऐसी तैयारी कर रही है कि शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए आने वाले मेहमानों को एक जगह से दूसरी जगह जाने जाने में कोई परेशानी ना हो. सम्मेलन में शामिल होने के लिए तकरीबन 40 देशों से मेहमान आएंगे और वे दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के होटल में ठहरेंगे. प्रगति मैदान में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ये लोग निकलेंगे तो उन्हें अलग-अलग रास्तों से होकर प्रगति मैदान पहुंचना पड़ेगा.
आशंका है कि यदि ये बसें ब्रेकडाउन हुईं और इनके कारण जाम लगा तो यातायात पुलिस की महीनों से चल रही सारी की सारी तैयारी बेकार चली जाएगी. यातायात पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसके लिए डीटीसी और परिवहन विभाग को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है कि ब्रेकडाउन की समस्या के समाधान के लिए 2 दिन के भीतर अपनी पूरी तैयारी कर लें. और यह सुनिश्चित करें कि यदि कोई बस ब्रेकडाउन होती है तो उसको तुरंत हटाने की व्यवस्था हो.
हर दिन करीब 100 बसें हो रही ब्रेकडाउन की शिकारः डीटीसी सूत्रों के अनुसार, हर दिन औसतन 100 बसों का ब्रेकडाउन हो रहा है. इससे बस में सवार यात्रियों के साथ-साथ सड़क पर चल रहे राहगीर भी परेशान हो रहे हैं. उम्र पूरी हो जाने के बाद ये बसें जल्दी-जल्दी खराब हो रही हैं. गर्मियों एवं बारिश के मौसम में ये समस्या बढ़ जाती है. इस कारण जाम में फंसकर लोगों को मुसीबत झेलना पड़ता है. दो लेन वाली सड़क पर बस का ब्रेकडाउन हो जाता है तो समस्या और बढ़ जाती है क्योंकि अन्य वाहन को निकालने को जगह नहीं मिल पाती है. ऐसे में मैकेनिक के पहुंचने तक बस वहीं खड़ी रहती है.
डीटीसी के पास हैं 3992 बसेंः अभी डीटीसी के पास 3992 बसें हैं, जिनमें 488 इलेक्ट्रिक हैं. पुरानी सीएनजी बसों के साथ नई इलेक्ट्रिक बसें भी खूब ब्रेकडाउन की शिकार हो रही हैं. रोजाना करीब एक दर्जन इलेक्ट्रिक बसों का ब्रेकडाउन हो रहा है. दिल्ली में डीटीसी के चार जोन ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नॉर्थ जॉन में कुल 40 डिपो हैं जहां इन बसों का मेंटेनेंस होता है.
यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने में ट्रैफिक पुलिस को होती है मुश्किलः डीटीसी की बसें जब सड़क पर खराब होती है तो उन्हें बनाने का काम डीटीसी का ही होता है. डीसीपी ट्रैफिक (साउथ) धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जब कोई बस खराब होती है तो ट्रैफिक पुलिस या डीटीसी कर्मचारियों की तरफ से विभाग को सूचित किया जाता है. डीटीसी कर्मचारी आकर बस की मरम्मत करते हैं और उसे फिर से चलने लायक बनाते हैं. यह बस इतनी बड़ी है कि इनको क्रेन से हटाने में बड़ी समस्या होती है.
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा यह है कि बस जिस डिपो की होती है उसी डिपो का कर्मचारी बस को ठीक करने आता है. जैसे द्वारका डिपो की बस अगर वसंत विहार में खराब हुई तो उसे बनाने के लिए मैकेनिक द्वारका से ही आएगा, वसंत विहार से नहीं आएगा. इस वजह से बसों को बनने में काफी समय लग जाता है. बसें सड़क पर खड़ी रहती हैं, जिसकी वजह से लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है. वहीं, यातायात पुलिस को भी यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने में काफी मुश्किल होती है.
ये भी पढ़ें: DTC Bus News: महरौली बदरपुर रोड पर DTC बस हुई खराब, यात्री हुए परेशान