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डीयू ईसी-एसी चुनाव: DTA पहली बार आज़मा रही है किस्मत, जानें उनके चुनावी मुद्दे - delhi university EC and AC election

दिल्ली यूनिवर्सिटी में एग्जीक्यूटिव काउंसिल और अकादमिक काउंसिल के चुनाव आयोजित होने वाले है. ऐसे में इस बार इन चुनावों में दिल्ली टीचर एसोसिएशन (DTA) भी पहली बार अपनी किस्मत आजमा रही है. इस खबर में जानिए एसोसिएशन के चुनावी मुद्दे क्या हैं.

dta will first time contest in delhi university EC and AC elections 2021
डियू चुनाव में DTA इस बार आजमाएगी किस्मत
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Published : Jan 1, 2021, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) और अकादमिक काउंसिल (AC) के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सभी प्रत्याशी अपने अपने चुनावी मुद्दों को दूसरे से बेहतर बता कर सदस्यता लेनी की हर मुमकिन कवायद कर रहे हैं.

DTA पहली बार आज़मा रही है किस्मत

स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया की मांग

इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी समर्थित दिल्ली टीचर एसोसिएशन (DTA) भी पहली बार इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है. वहीं डीटीए द्वारा ईसी चुनाव के लिए घोषित उम्मीदवार रामलाल आनंद कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि एडहॉक शिक्षकों पर उनका पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है. वह शिक्षकों के समायोजन के बजाय उनकी स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया चाहते हैं.

DTA पहली बार आजमा रही किस्मत

बता दें कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल और अकादमिक काउंसिल चुनाव के दौरान सभी के लिए एडहॉक शिक्षक मुद्दा बन गए हैं. हालांकि इसे सभी अलग-अलग तरीकों से प्रस्तुत कर रहे हैं. वहीं पहली बार ईसी-एसी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है. डीटीए द्वारा ईसी चुनाव के लिए उम्मीदवार एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ने भी एडहॉक शिक्षकों को अपना मुख्य मुद्दा बताया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि इतने लंबे समय से सेवाएं दे रहे करीब 4 हजार एडहॉक शिक्षकों के समायोजन के बजाय वह उनको स्थाई करना ज्यादा बेहतर समझते हैं. उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा होगा कि स्थाई करने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द आगे बढ़ाया जाए और इन शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति दी जाए.

समय पर फंड जारी न होना रहेगा मुद्दा

साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में समय पर फंड जारी ना होने के मुद्दे को भी छेड़ा. उन्होंने कहा कि समय पर वेतन न दिया जाना शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है और वह इसका शुरू से विरोध करते आए हैं और आगे भी इसका विरोध जारी रखेंगे.

शिक्षकों को स्थाई करना एजेंडा

वहीं उन्होंने कहा कि ज्यादातर शिक्षक संगठन चुनाव के दौरान एडहॉक शिक्षकों के मुद्दे को मुद्दा बनाते जरूर हैं लेकिन आगे जाकर उसे भूल जाते हैं लेकिन उनका एजेंडा बिल्कुल ही अलग है. उन्होंने कहा कि वह शिक्षकों के समायोजन को लेकर राजनीति नहीं करना चाहते बल्कि उनकी स्थाई नियुक्ति पर विश्वास रखते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) और अकादमिक काउंसिल (AC) के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सभी प्रत्याशी अपने अपने चुनावी मुद्दों को दूसरे से बेहतर बता कर सदस्यता लेनी की हर मुमकिन कवायद कर रहे हैं.

DTA पहली बार आज़मा रही है किस्मत

स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया की मांग

इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी समर्थित दिल्ली टीचर एसोसिएशन (DTA) भी पहली बार इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है. वहीं डीटीए द्वारा ईसी चुनाव के लिए घोषित उम्मीदवार रामलाल आनंद कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि एडहॉक शिक्षकों पर उनका पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है. वह शिक्षकों के समायोजन के बजाय उनकी स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया चाहते हैं.

DTA पहली बार आजमा रही किस्मत

बता दें कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल और अकादमिक काउंसिल चुनाव के दौरान सभी के लिए एडहॉक शिक्षक मुद्दा बन गए हैं. हालांकि इसे सभी अलग-अलग तरीकों से प्रस्तुत कर रहे हैं. वहीं पहली बार ईसी-एसी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है. डीटीए द्वारा ईसी चुनाव के लिए उम्मीदवार एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ने भी एडहॉक शिक्षकों को अपना मुख्य मुद्दा बताया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि इतने लंबे समय से सेवाएं दे रहे करीब 4 हजार एडहॉक शिक्षकों के समायोजन के बजाय वह उनको स्थाई करना ज्यादा बेहतर समझते हैं. उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा होगा कि स्थाई करने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द आगे बढ़ाया जाए और इन शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति दी जाए.

समय पर फंड जारी न होना रहेगा मुद्दा

साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित 12 कॉलेजों में समय पर फंड जारी ना होने के मुद्दे को भी छेड़ा. उन्होंने कहा कि समय पर वेतन न दिया जाना शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है और वह इसका शुरू से विरोध करते आए हैं और आगे भी इसका विरोध जारी रखेंगे.

शिक्षकों को स्थाई करना एजेंडा

वहीं उन्होंने कहा कि ज्यादातर शिक्षक संगठन चुनाव के दौरान एडहॉक शिक्षकों के मुद्दे को मुद्दा बनाते जरूर हैं लेकिन आगे जाकर उसे भूल जाते हैं लेकिन उनका एजेंडा बिल्कुल ही अलग है. उन्होंने कहा कि वह शिक्षकों के समायोजन को लेकर राजनीति नहीं करना चाहते बल्कि उनकी स्थाई नियुक्ति पर विश्वास रखते हैं.

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