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कोरोना के बीच इंसेफेलाइटिस का खतरा, डॉक्टर की ये है सलाह... - नॉर्थ एमसीडी मादा क्यूलेक्स मच्छर

इंसेफेलाइटिस बीमारी क्या है? इसके लक्षण? और इससे बचाव के क्या कुछ तरीके हैं? इसको लेकर ईटीवी भारत ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कन्वीनर डॉ. वीके मोंगा से खास बातचीत की.

doctor vk monga advice on encephalitis
कोरोना के बीच इंसेफेलाइटिस का खतरा
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Published : Apr 16, 2021, 10:14 AM IST

नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम की हाल ही में की गई एक सर्वे के मुताबिक इस साल राजधानी दिल्ली में मादा क्यूलेक्स मच्छरों का घनत्व सबसे ज्यादा पाया गया है. बता दें कि ये वही मच्छर है, जिसने कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बच्चों में दिमागी बुखार की बीमारी फैलाई थी और इस बीमारी के चलते सैकड़ों बच्चों की जान चली गयी थी. उसी दिमागी बुखार यानी कि इंसेफेलाइटिस का खतरा इस समय दिल्ली में बढ़ सकता है.

कोरोना के बीच इंसेफेलाइटिस का खतरा

'हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करना आवश्यक'

यह बीमारी क्या है? इसके लक्षण? और इससे बचाव के क्या कुछ तरीके हैं? इसको लेकर ईटीवी भारत ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कन्वीनर डॉ. वीके मोंगा से खास बातचीत की. डॉ मोंगा ने बताया कि मौजूदा समय में जब हम पहले ही एक खतरनाक बीमारी से लड़ रहे हैं और उसका प्रकोप इतना बढ़ चुका है कि उससे बचाव के लिए कई उपाय ढूंढने जा रहे हैं. ऐसे में यदि दूसरी बीमारी आती है, तो यह हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.

यह भी पढ़ेंः-आप के आरोपों पर भाजपा का पलटवार, दिल्ली सरकार के नालों से बढ़ रहे मच्छर

'नॉर्थ और साउथ एमसीडी में मादा क्यूलेक्स मच्छरों की संख्या सबसे ज्यादा'

डॉ. मोंगा ने कहा कि सरकार और सभी सिविक बॉडीज को चाहिए कि वह जरूरी एहतियाती कदम उठाएं और केवल कोरोना के चलते अन्य बीमारियों को नजरअंदाज ना किया जाए. इन बीमारियों से बचाव और इन्हें फैलने से रोकने के लिए भी जरूरी इंतजाम किए जाने आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम की रिपोर्ट चिंताजनक है, जिसमें कहा गया है कि इस साल मादा क्यूलेक्स मच्छरों की संख्या नॉर्थ और साउथ एमसीडी में सबसे ज्यादा पाई गई है और यह संख्या 6 से 7 गुना ज्यादा है.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली में आए डेंगू के 5 मामले, चिकनगुनिया ने भी दी दस्तक

'गंदे पानी के साथ-साथ साफ पानी में भी पनपता है ये मच्छर'

उन्होंने बताया कि यह मच्छर केवल गंदे पानी में नहीं, बल्कि साफ पानी में भी पनपता है, इसीलिए लोगों को खास ध्यान रखना होगा. अपने आसपास कहीं पर भी पानी इकट्ठा ना होने दें, प्रशासन को चाहिए कि वह मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए जगह-जगह दवाई का छिड़काव करवाएं, वहीं लोग अपने घरों में कूलर, एसी, गमले, मनी प्लांट आदि जगहों पर पानी जमा ना हो दें.

'बच्चों में इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा'

डॉ. वीके मोंगा ने बताया कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा गया है, क्योंकि कोई भी मच्छर सीधे तौर पर बीमारी नहीं फैलाता, बल्कि उसके काटने से यह बीमारी आगे अन्य लोगों में फैलती है. इसीलिए यदि यह एक मच्छर किसी एक को काटेगा, उसके बाद अन्य लोगों को काटेगा तो ये बीमारी तेजी से फेलेगी.

तेज बुखार के साथ पैरालिसिस की हो सकती है समस्या

इसके लक्षण तेज बुखार, उल्टी, फिर बुखार दिमाग पर चढ़ना आदि हो सकते हैं. वही तेज बुखार के चलते पैरालिसिस, हाथ पाओं का काम ना करना, चक्कर आना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं. इसीलिए यदि इस प्रकार के लक्षण कभी भी आप देखते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और अपना इलाज तुरंत करवाएं.

नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम की हाल ही में की गई एक सर्वे के मुताबिक इस साल राजधानी दिल्ली में मादा क्यूलेक्स मच्छरों का घनत्व सबसे ज्यादा पाया गया है. बता दें कि ये वही मच्छर है, जिसने कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बच्चों में दिमागी बुखार की बीमारी फैलाई थी और इस बीमारी के चलते सैकड़ों बच्चों की जान चली गयी थी. उसी दिमागी बुखार यानी कि इंसेफेलाइटिस का खतरा इस समय दिल्ली में बढ़ सकता है.

कोरोना के बीच इंसेफेलाइटिस का खतरा

'हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करना आवश्यक'

यह बीमारी क्या है? इसके लक्षण? और इससे बचाव के क्या कुछ तरीके हैं? इसको लेकर ईटीवी भारत ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कन्वीनर डॉ. वीके मोंगा से खास बातचीत की. डॉ मोंगा ने बताया कि मौजूदा समय में जब हम पहले ही एक खतरनाक बीमारी से लड़ रहे हैं और उसका प्रकोप इतना बढ़ चुका है कि उससे बचाव के लिए कई उपाय ढूंढने जा रहे हैं. ऐसे में यदि दूसरी बीमारी आती है, तो यह हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.

यह भी पढ़ेंः-आप के आरोपों पर भाजपा का पलटवार, दिल्ली सरकार के नालों से बढ़ रहे मच्छर

'नॉर्थ और साउथ एमसीडी में मादा क्यूलेक्स मच्छरों की संख्या सबसे ज्यादा'

डॉ. मोंगा ने कहा कि सरकार और सभी सिविक बॉडीज को चाहिए कि वह जरूरी एहतियाती कदम उठाएं और केवल कोरोना के चलते अन्य बीमारियों को नजरअंदाज ना किया जाए. इन बीमारियों से बचाव और इन्हें फैलने से रोकने के लिए भी जरूरी इंतजाम किए जाने आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम की रिपोर्ट चिंताजनक है, जिसमें कहा गया है कि इस साल मादा क्यूलेक्स मच्छरों की संख्या नॉर्थ और साउथ एमसीडी में सबसे ज्यादा पाई गई है और यह संख्या 6 से 7 गुना ज्यादा है.

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'गंदे पानी के साथ-साथ साफ पानी में भी पनपता है ये मच्छर'

उन्होंने बताया कि यह मच्छर केवल गंदे पानी में नहीं, बल्कि साफ पानी में भी पनपता है, इसीलिए लोगों को खास ध्यान रखना होगा. अपने आसपास कहीं पर भी पानी इकट्ठा ना होने दें, प्रशासन को चाहिए कि वह मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए जगह-जगह दवाई का छिड़काव करवाएं, वहीं लोग अपने घरों में कूलर, एसी, गमले, मनी प्लांट आदि जगहों पर पानी जमा ना हो दें.

'बच्चों में इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा'

डॉ. वीके मोंगा ने बताया कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा गया है, क्योंकि कोई भी मच्छर सीधे तौर पर बीमारी नहीं फैलाता, बल्कि उसके काटने से यह बीमारी आगे अन्य लोगों में फैलती है. इसीलिए यदि यह एक मच्छर किसी एक को काटेगा, उसके बाद अन्य लोगों को काटेगा तो ये बीमारी तेजी से फेलेगी.

तेज बुखार के साथ पैरालिसिस की हो सकती है समस्या

इसके लक्षण तेज बुखार, उल्टी, फिर बुखार दिमाग पर चढ़ना आदि हो सकते हैं. वही तेज बुखार के चलते पैरालिसिस, हाथ पाओं का काम ना करना, चक्कर आना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं. इसीलिए यदि इस प्रकार के लक्षण कभी भी आप देखते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और अपना इलाज तुरंत करवाएं.

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