नई दिल्लीः आर्थिक अपराध शाखा ने लोन फर्जीवाड़े के मामले में एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने अपनी पत्नी के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रॉपर्टी को गिरवी रख लगभग तीन करोड़ रुपये का लोन लिया था. इसका खुलासा तब हुआ जब महिला ने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए लोन एप्लीकेशन दी.
पुलिस आरोपी डॉक्टर से पूरे फर्जीवाड़े को लेकर पूछताछ कर रही है. अतिरिक्त आयुक्त आरके सिंह के अनुसार, महिला शिकायतकर्ता ने आर्थिक अपराध शाखा को बताया कि उन्होंने अपने बेटी की पढ़ाई के लिए लोन अप्लाई किया था. उनके लोन को पंजाब नेशनल बैंक ने यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि उन्होंने पहले से ही एक बड़ा लोन ले रखा है. उन्होंने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से लगभग तीन करोड़ रकम के दो लोन लिए हुए हैं.
इस लोन में उनके पति ने उन्हें भी आवेदनकर्ता बनाया हुआ है. महिला वर्ष 2006 से अपने पति से अलग रह रही थी. उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में शिकायत फाइल की जिस पर डॉ. सुधाकर आर्य को 4 बार नोटिस जारी किया गया. लेकिन वह मीडिएशन सेंटर पर नहीं आए.
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फर्जी हस्ताक्षर एवं दस्तावेज का किया इस्तेमाल
पीड़ित महिला को पता चला कि उनके फर्जी हस्ताक्षर लोन के दस्तावेज पर किए गए थे. इतना ही नहीं लोन के दस्तावेज पर उनके पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड भी फर्जी लगाए गए हैं. इस मामले की जांच के दौरान आर्थिक अपराध शाखा को पता चला कि दोनों ही लोन के लिए जमा कराए गए दस्तावेजों पर महिला शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर फर्जी हैं.
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फॉरेंसिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई. संबंधित अथॉरिटी से यह भी पता चला कि महिला के पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड भी फर्जी लगाए गए थे. इस जानकारी पर एडिशनल डीसीपी के रमेश की देखरेख में एसआई सुनील कुमार की टीम ने आरोपी डॉ. सुधाकर आर्य को गिरफ्तार कर लिया है.
बिना सहमति के लिया था लोन
गिरफ्तार किए गए डॉ. सुधाकर आर्य गाजियाबाद के वैशाली इलाके में रहते हैं. वह पेशे से डॉक्टर हैं और वैशाली में ही एक नर्सिंग होम चलाते हैं. वह एमबीबीएस के अलावा एमडी कर चुके हैं. वर्ष 2006 से वह अपनी पत्नी से अलग रहते थे. पुलिस को पता चला कि उन्होंने बिना अपनी पत्नी की सहमति के प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर यह लोन लिया था. आर्थिक अपराध शाखा आगे पूरे फर्जीवाड़े को लेकर छानबीन कर रही है.