नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान जामताड़ा निवासी निजामुद्दीन अंसारी, सरफराज अंसारी, अफरोज आलम, मोहम्मद आमिर अंसारी, अफरोज अंसारी और मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) निवासी नसीम के रूप में हुई है. इनमें से निजामुद्दीन अंसारी गिरोह का सरगना है. वहीं नसीम सभी आरोपियों को फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर एक्टिवेटेड सिम उपलब्ध कराता था.
आउटर नॉर्थ जिले के पुलिस उपायुक्त रवि कुमार सिंह ने बताया कि एक साइबर अपराध की कंप्लेन मिली थी. इसमें शिकायतकर्ता ने बताया था कि वह दुबई से आया था और एसबीआई का कस्टमर केयर नंबर सर्च कर रहा था. इस दौरान एसबीआई कस्टमर केयर नाम से एक नंबर दिखा, जिस पर कॉल करके अपनी अकाउंट संबंधी अपनी समस्या बताई. कॉल के दौरान बताया गया कि बैंक की तरफ से कॉल आएगा. इसके बाद उन्हें दो-तीन नंबरों से कॉल आए. इसमें उनसे कुछ जानकारी और ओटीपी मांगी गए, जिसके बाद उनके अकाउंट से 10 लाख रुपए निकाल लिए गए.
एक ही नंबर की 77 शिकायतेंः DCP ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर जब साइबर थाना पुलिस ने जांच शुरू की, तो पाया कि शिकायतकर्ता को जिन नंबरों से कॉल आया था उन नंबरों की 77 शिकायतें राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के पास भी दर्ज हैं. पुलिस ने उन सभी शिकायतकर्ताओं से संपर्क कर पूछताछ की तो पुलिस को कुल 27 मोबाइल नंबर मिले, जिससे अलग-अलग लोगों को कॉल करके ठगी की गई थी. इन 27 नंबरों को ट्रेस करते-करते पुलिस झारखंड के जामताड़ा पहुंची और वहां सबसे पहले निजामुद्दीन अंसारी को गिरफ्तार किया. इसके बाद उसकी निशानदेही पर पुलिस ने अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया.
2,000 से अधिक लोगों को ठगा: डीसीपी ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ करने पर सामने आया कि ये लोग अब तक देशभर में 2,000 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बना चुके हैं. यह भी पता चला कि निजामुद्दीन अंसारी गिरोह का सरगना है और बाकी लोग एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करते हैं. कोई भी नया शिकार मिलने पर सबसे पहले निजामुद्दीन अंसारी बात करता था, जिसके बाद बाकी लोग बारी-बारी कॉल कर के व्यक्ति को अपने जाल में फंसाते थे.
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ऐसे करते थे ठगी: आरोपी बैंकों के कस्टमर केयर नाम से अपने मोबाइल नंबरों को गूगल और फेसबुक पेज पर पेड मोड पर रन कराते थे. अगर कोई व्यक्ति संबंधित बैंक का कस्टमर केयर नंबर खोजता था तो उसे असली नंबर के बजाए, इन लोगों द्वारा उपलब्ध कराए गए फर्जी कस्टमर केयर नंबर दिखाई देता था. इन नंबरों पर विश्वास करके व्यक्ति इन्हें अपने अकाउंट को पूरी डिटेल बता देता था. इसके बाद आरोपी पीड़ित को बताते थे कि उनका एग्जीक्यूटिव उन्हें कॉल करके उनकी समस्या का समाधान करेगा. बाद में अलग-अलग नंबरों से कॉल करके ठग, पीड़ित से किसी न किसी बहाने से ओटीपी मांग लेते थे और जितना भी पैसा उनके अकाउंट में होता था वह सब अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे. शिकायतकर्ता के साथ भी यही हुआ था.
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बरामद हुए हजारों सिम कार्ड: मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि, ऐसे लोग बड़ी संख्या में मोबाइल सिम कार्ड रखते हैं, जिनसे कॉल कर के वे लोगों के बैंक अकाउंट की जानकारी सहित ओटीपी आदि मांगते हैं. इसका इस्तेमाल करके वे लोगों के लाखों रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं और उस सिम को बंद कर देते हैं. इसी कारण पुलिस इन तक आसानी से नहीं पहुंच नहीं पाती है. अगर पहुंचती भी है तो इनको पकड़ना इतना आसान नहीं होता है. कई बार तो ये लोग झुंड बनाकर पुलिस पर भी हमला कर देते हैं.
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