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IMA और WHO के मापदंडों पर कितने खरे हैं दिल्ली के अस्पताल..? - दिल्ली के अस्पतालों में IMA और WHO के मानदंड

दिल्ली के अस्पतालों में WHO और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नॉर्म्स के मुताबिक, अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की संख्या है या नहीं, इसे लेकर ईटीवी भारत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल से बातचीत की.

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IMA और WHO के मापदंडों पर कितने खरे हैं दिल्ली के अस्पताल?
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Published : May 22, 2021, 9:18 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार कमी आ रही है. अभी के समय दिल्ली के कोरोना अस्पताल में लगभग 28 हजार बेड्स मौजूद हैं, जबकि सात हजार के करीब ICU और वेंटिलेटर बेड मौजूद हैं. WHO और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नॉर्म्स के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की संख्या है या नहीं. इसे लेकर ईटीवी भारत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल से बातचीत की.

IMA और WHO के मापदंडों पर कितने खरे हैं दिल्ली के अस्पताल?
हर वेंटिलेटर बेड पर होती है नर्स की तैनाती
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल ने बताया कि IMA के नियमों के अनुसार, प्रत्येक वेंटिलेटर बेड पर एक नर्स की तैनाती होती है. वहीं चार ICU बेड पर एक नर्स की जरूरत होती है. 4 से 5 वेंटिलेटर/ICU बेड पर एक डॉक्टर तैनात होता है, जिसके पास एनस्थीसिया या मेडिसिन में एमडी की डिग्री हो या फिर उसके पास ICU में 6 से 10 साल काम करने का अनुभव हो. ठीक इसी प्रकार जनरल वार्ड में एक नर्स 5 मरीजों को देखती है, जबकि एक MBBS डॉक्टर 25 मरीजों को देखता है. दिल्ली में अभी के समय करीब 28 हजार बेड हैं और करीब तीन लाख हेल्थ केयर वर्कर हैं, जिसमें करीब 25 से 28 हजार डॉक्टर हैं और करीब सवा लाख नर्स हैं. तो दिल्ली में इन 28 हजार कोरोना बेड के लिए डॉक्टर और नर्स की संख्या इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नॉर्म्स के करीब है.
इसे भी पढ़िए- कोरोना गया नहीं कि ब्लैक फंगस आ गया, जानिए कितना महंगा है इलाज ?


बढ़ानी पड़ सकती है डॉक्टर और नर्सों की संख्या
डॉ अनिल गोयल ने बताया कि अभी के समय डॉक्टर और नर्स की संख्या बेड्स के हिसाब से पर्याप्त है, लेकिन अगर भविष्य में दिल्ली सरकार अस्पतालों में बेडस और ICU की संख्या बढ़ाती है तो निश्चित रूप से और डॉक्टर एवं नर्सों की जरूरत होगी. सरकार यह अंदाजा लगा रही है कि कोरोना की अगली लहर के दौरान और ज्यादा बेडस और ICU की जरूरत होगी तो उसी संख्या में दिल्ली के अंदर डॉक्टर और नर्स की संख्या भी बढ़ानी होगी.

दिल्ली सरकार ने निकाली थी वैकेंसी

गौरतलब है कि कोरोना की लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई अस्थाई कोरोना अस्पतालों का निर्माण किया है, जहां मरीजों का इलाज चल रहा है. डॉक्टर और नर्सों की कमी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इनके लिए विज्ञापन भी निकाला था ताकि मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना की अगली लहर के लिए तैयारी कर रही दिल्ली सरकार डॉक्टर और नर्स की नियुक्ति को लेकर क्या कुछ कदम उठाती है.

नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार कमी आ रही है. अभी के समय दिल्ली के कोरोना अस्पताल में लगभग 28 हजार बेड्स मौजूद हैं, जबकि सात हजार के करीब ICU और वेंटिलेटर बेड मौजूद हैं. WHO और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नॉर्म्स के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की संख्या है या नहीं. इसे लेकर ईटीवी भारत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल से बातचीत की.

IMA और WHO के मापदंडों पर कितने खरे हैं दिल्ली के अस्पताल?
हर वेंटिलेटर बेड पर होती है नर्स की तैनाती
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनिल गोयल ने बताया कि IMA के नियमों के अनुसार, प्रत्येक वेंटिलेटर बेड पर एक नर्स की तैनाती होती है. वहीं चार ICU बेड पर एक नर्स की जरूरत होती है. 4 से 5 वेंटिलेटर/ICU बेड पर एक डॉक्टर तैनात होता है, जिसके पास एनस्थीसिया या मेडिसिन में एमडी की डिग्री हो या फिर उसके पास ICU में 6 से 10 साल काम करने का अनुभव हो. ठीक इसी प्रकार जनरल वार्ड में एक नर्स 5 मरीजों को देखती है, जबकि एक MBBS डॉक्टर 25 मरीजों को देखता है. दिल्ली में अभी के समय करीब 28 हजार बेड हैं और करीब तीन लाख हेल्थ केयर वर्कर हैं, जिसमें करीब 25 से 28 हजार डॉक्टर हैं और करीब सवा लाख नर्स हैं. तो दिल्ली में इन 28 हजार कोरोना बेड के लिए डॉक्टर और नर्स की संख्या इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नॉर्म्स के करीब है.
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बढ़ानी पड़ सकती है डॉक्टर और नर्सों की संख्या
डॉ अनिल गोयल ने बताया कि अभी के समय डॉक्टर और नर्स की संख्या बेड्स के हिसाब से पर्याप्त है, लेकिन अगर भविष्य में दिल्ली सरकार अस्पतालों में बेडस और ICU की संख्या बढ़ाती है तो निश्चित रूप से और डॉक्टर एवं नर्सों की जरूरत होगी. सरकार यह अंदाजा लगा रही है कि कोरोना की अगली लहर के दौरान और ज्यादा बेडस और ICU की जरूरत होगी तो उसी संख्या में दिल्ली के अंदर डॉक्टर और नर्स की संख्या भी बढ़ानी होगी.

दिल्ली सरकार ने निकाली थी वैकेंसी

गौरतलब है कि कोरोना की लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई अस्थाई कोरोना अस्पतालों का निर्माण किया है, जहां मरीजों का इलाज चल रहा है. डॉक्टर और नर्सों की कमी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इनके लिए विज्ञापन भी निकाला था ताकि मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना की अगली लहर के लिए तैयारी कर रही दिल्ली सरकार डॉक्टर और नर्स की नियुक्ति को लेकर क्या कुछ कदम उठाती है.

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