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DMRC: पिंक लाइन मेट्रो को जोड़ने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल, जल्द मिलेगा तोहफा

त्रिलोकपुरी (Trilokpuri) सेक्शन पर काम जल्द पूरा करने के लिए डीएमआरसी (DMRC) कंक्रीट गर्डरों की जगह स्टील गर्डरों का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य को एक खास तरीके से पूरा कर रही है. डीएमआरसी के अनुसार इसी महीने जुलाई की शुरुआत में यहां पर ट्रायल शुरू हो सकते हैं. डीएमआरसी को उम्मीद है कि जल्द पिंक लाइन (Pink Line) को सिंगल लाइन बना देंगे.

DMRC is using special technology to connect the Pink Line Metro in Delhi
पिंक लाइन मेट्रो
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Published : Jun 25, 2021, 8:19 PM IST

नई दिल्ली : रिंग रोड पर दौड़ने वाली पिंक लाइन मेट्रो (pink line metro) केवल एक स्टेशन की वजह से दो हिस्सों में बंटी हुई है. बीच में त्रिलोकपुरी का यह स्टेशन तेजी के साथ बनाया जा रहा है जिससे इसमें सफर करने वाले लोगों को सुविधा मिल सके. इसके लिए डीएमआरसी (DMRC) ने पारंपरिक कंक्रीट गर्डरों की जगह स्टील गर्डरों का इस्तेमाल किया है ताकि इस काम को कम समय में ही पूरा किया जा सके. डीएमआरसी को उम्मीद है कि वह जल्द पिंक लाइन को सिंगल लाइन बना देंगे.


डीएमआरसी (DMRC) के मुख्य प्रवक्ता अनुज दयाल के अनुसार अभी के समय में पिंक लाइन दो हिस्सों में चल रही है. इनके बीच त्रिलोकपुरी मेट्रो स्टेशन (Trilokpuri Metro Station) बनाया जाना था, जहां पर जमीन विवाद चल रहा था. यह मामला सुलझ चुका है और यहां पर तेजी से काम किया जा रहा है. त्रिलोकपुरी सेक्शन पर जल्द से जल्द काम को पूरा करने के लिए डीएमआरसी (DMRC) कंक्रीट गर्डरों की जगह स्टील गर्डरों का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य को एक खास तरीके से पूरा कर रही है. कंक्रीट गर्डरों को बनाने के लिए कास्टिंग यार्ड बनाना पड़ता है. लेकिन इतने छोटे सेक्शन के लिए यहां पर कास्टिंग यार्ड बनाना व्यवहारिक नहीं था. इसके चलते यहां पर स्टील गर्डर लगाए गए हैं.

पिंक लाइन मेट्रो को जोड़ने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल
अम्बाला से लाकर लगाए गए गर्डर
डीएमआरसी (DMRC) के अनुसार 290 मीटर लंबे सेक्शन पर 10 स्पैन के बीच 40 स्टील गर्डर लगाए गए हैं. यह स्टील गर्डर अंबाला स्थित एक वर्कशॉप में तैयार करके यहां पर लाए गए और इन्हें सीधा लगा दिया गया है. इससे डीएमआरसी ने निर्माण का काफी समय बचा लिया है. इन गर्डरों की लंबाई 16 से 38 मीटर के बीच है. वहीं वायडक्ट की ऊंचाई 8 से 9.5 मीटर तक है. 200 मीटर के व्यास वाला एक कर्वड स्पैन भी इस खंड का हिस्सा बना है. इससे पहले छतरपुर मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए भी डीएमआरसी ने स्टील स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए यह तरीका अपनाया था.ये भी पढ़ें-DMRC ने सड़क के धंसे हुए हिस्से को भरने का काम शुरू किया


अप्रैल माह में हुआ कंस्ट्रक्शन पूरा
स्टील गर्डरों को लगाने का काम अप्रैल माह में कोविड-19 की दूसरी लहर के आने से ठीक पहले पूरा किया जा चुका है. इस खंड का निर्माण कार्य 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ था. लॉकडाउन एवं श्रमिकों की कमी के बावजूद मयूर विहार पॉकेट 1 से त्रिलोकपुरी संजय लेक के बीच वाले खंड पर सिविल कार्य पूरा हो गया है. यहां पर ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है जिसे इस माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा ट्रैक बिछाने का कार्य भी जल्द पूरा हो जाएगा.


जुलाई से ट्रायल हो जाएगा शुरू
डीएमआरसी के अनुसार इसी महीने जुलाई की शुरुआत में यहां पर ट्रायल शुरू हो सकते हैं. डीएमआरसी (DMRC) हर संभव प्रयास कर रही है कि इस सेक्शन को जल्द से जल्द खोला जा सके.

ये भी पढ़ें-DMRC ने मेट्रो परिचालन के समय में किया बदलाव, जानिए नया प्लान

इसके खुलने से यह लाइन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, सराय काले खां आईएसबीटी, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, आनंद विहार बस अड्डा, दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के अलावा दिल्ली हाट, आईएनए, सरोजिनी नगर, लाजपत नगर जैसे प्रमुख बाजार आपस में सीधे जुड़ जाएंगे.

ये भी पढ़ें-मेट्रो में कोविड नियमों का पालन करने की अपील, अब तक 25 हजार यात्रियों के चालान

नई दिल्ली : रिंग रोड पर दौड़ने वाली पिंक लाइन मेट्रो (pink line metro) केवल एक स्टेशन की वजह से दो हिस्सों में बंटी हुई है. बीच में त्रिलोकपुरी का यह स्टेशन तेजी के साथ बनाया जा रहा है जिससे इसमें सफर करने वाले लोगों को सुविधा मिल सके. इसके लिए डीएमआरसी (DMRC) ने पारंपरिक कंक्रीट गर्डरों की जगह स्टील गर्डरों का इस्तेमाल किया है ताकि इस काम को कम समय में ही पूरा किया जा सके. डीएमआरसी को उम्मीद है कि वह जल्द पिंक लाइन को सिंगल लाइन बना देंगे.


डीएमआरसी (DMRC) के मुख्य प्रवक्ता अनुज दयाल के अनुसार अभी के समय में पिंक लाइन दो हिस्सों में चल रही है. इनके बीच त्रिलोकपुरी मेट्रो स्टेशन (Trilokpuri Metro Station) बनाया जाना था, जहां पर जमीन विवाद चल रहा था. यह मामला सुलझ चुका है और यहां पर तेजी से काम किया जा रहा है. त्रिलोकपुरी सेक्शन पर जल्द से जल्द काम को पूरा करने के लिए डीएमआरसी (DMRC) कंक्रीट गर्डरों की जगह स्टील गर्डरों का इस्तेमाल करते हुए निर्माण कार्य को एक खास तरीके से पूरा कर रही है. कंक्रीट गर्डरों को बनाने के लिए कास्टिंग यार्ड बनाना पड़ता है. लेकिन इतने छोटे सेक्शन के लिए यहां पर कास्टिंग यार्ड बनाना व्यवहारिक नहीं था. इसके चलते यहां पर स्टील गर्डर लगाए गए हैं.

पिंक लाइन मेट्रो को जोड़ने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल
अम्बाला से लाकर लगाए गए गर्डरडीएमआरसी (DMRC) के अनुसार 290 मीटर लंबे सेक्शन पर 10 स्पैन के बीच 40 स्टील गर्डर लगाए गए हैं. यह स्टील गर्डर अंबाला स्थित एक वर्कशॉप में तैयार करके यहां पर लाए गए और इन्हें सीधा लगा दिया गया है. इससे डीएमआरसी ने निर्माण का काफी समय बचा लिया है. इन गर्डरों की लंबाई 16 से 38 मीटर के बीच है. वहीं वायडक्ट की ऊंचाई 8 से 9.5 मीटर तक है. 200 मीटर के व्यास वाला एक कर्वड स्पैन भी इस खंड का हिस्सा बना है. इससे पहले छतरपुर मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए भी डीएमआरसी ने स्टील स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए यह तरीका अपनाया था.ये भी पढ़ें-DMRC ने सड़क के धंसे हुए हिस्से को भरने का काम शुरू किया


अप्रैल माह में हुआ कंस्ट्रक्शन पूरा
स्टील गर्डरों को लगाने का काम अप्रैल माह में कोविड-19 की दूसरी लहर के आने से ठीक पहले पूरा किया जा चुका है. इस खंड का निर्माण कार्य 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ था. लॉकडाउन एवं श्रमिकों की कमी के बावजूद मयूर विहार पॉकेट 1 से त्रिलोकपुरी संजय लेक के बीच वाले खंड पर सिविल कार्य पूरा हो गया है. यहां पर ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है जिसे इस माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा ट्रैक बिछाने का कार्य भी जल्द पूरा हो जाएगा.


जुलाई से ट्रायल हो जाएगा शुरू
डीएमआरसी के अनुसार इसी महीने जुलाई की शुरुआत में यहां पर ट्रायल शुरू हो सकते हैं. डीएमआरसी (DMRC) हर संभव प्रयास कर रही है कि इस सेक्शन को जल्द से जल्द खोला जा सके.

ये भी पढ़ें-DMRC ने मेट्रो परिचालन के समय में किया बदलाव, जानिए नया प्लान

इसके खुलने से यह लाइन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, सराय काले खां आईएसबीटी, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, आनंद विहार बस अड्डा, दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के अलावा दिल्ली हाट, आईएनए, सरोजिनी नगर, लाजपत नगर जैसे प्रमुख बाजार आपस में सीधे जुड़ जाएंगे.

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