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महरौली क्षेत्र में तोड़फोड़ रोकने के दिल्ली सरकार के आदेश को डीएम ने किया नजरअंदाज

दिल्ली सरकार ने शनिवार को महरौली में चल रहे तोड़फोड़ अभियान को रोकने के लिए आदेश दिया था और डीएम (दक्षिण) को भूमि का नए सिरे से सीमांकन करने और डीडीए को तत्काल इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था, लेकिन डीएम ने ना तो आदेश का पालन किया और ना ही डीडीए को कार्रवाई रोकने का आदेश जारी किया.

DM ignored order of Delhi government
DM ignored order of Delhi government
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Published : Feb 14, 2023, 3:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने महरौली में चल रहे अतिक्रमण अभियान के संबंध में दक्षिणी जिला के डीएम की भूमिका को लेकर नाराजगी जताई है. दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दक्षिणी जिला के डीएम को विवादित क्षेत्र के नए सिरे से सीमांकन करने के निर्देश दिए थे. डीएम ने ना तो आदेश का पालन किया और ना ही डीडीए को कार्रवाई रोकने का आदेश जारी किया.

मंत्री कैलाश गहलोत ने कहना है कि दक्षिणी जिले के डीएम स्पष्ट रूप से इस अतिक्रमण के अभियान में शामिल हैं. उन्होंने मंगलवार को फिर डीडीए के उपाध्यक्ष को दिल्ली सरकार के आदेश की कॉपी भेज दी है और दोहराया है कि बिना सीमांकन के आगे तोड़फोड़ की कार्रवाई ना हो.

DM ignored order of Delhi government
दिल्ली सरकार के आदेश को डीएम ने किया नजरअंदाज.

शनिवार को दिल्ली सरकार ने डीडीए को महरौली में तोड़फोड़ अभियान को रोकने के निर्देश दिया था. डीडीए ने तोड़फोड़ अभियान के लिए राजस्व विभाग के सीमांकन का उपयोग किया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी प्रक्रिया में गड़बड़ी मिलने पर सीमांकन को रद्द कर दिया था. उसी दिन राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने विवादित क्षेत्र का नए सिरे से सीमांकन कराने का आदेश दिया.

राजस्व मंत्री का कहना था कि कब्जाधारियों को बिना कोई नोटिस दिए अंधेरे में रखकर सीमांकन किया गया है. उन्होंने डीएम (दक्षिण) को भूमि का नए सिरे से सीमांकन करने और डीडीए को तत्काल इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. अपनी तरह से दिल्ली सरकार ने महरौली में तोड़फोड़ अभियान के इस मुश्किल समय में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया, लेकिन सरकार के इस आदेश को लागू करने की जगह दक्षिणी जिला के डीएम ने कोई कार्रवाई नहीं की.

यह है मामला: महरौली पुरातत्व पार्क के सीमांकन के नाम पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) महरौली विधानसभा क्षेत्र में तोड़फोड़ अभियान चला रहा है. दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत को इस मामले में मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती और लाडा सराय गांव के निवासियों से दो आवेदन प्राप्त हुए. इनमें कहा गया कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान करने के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग का सीमांकन एकमात्र स्रोत है. राजस्व विभाग द्वारा किया गया सीमांकन अवैध और शून्य था. यह न तो कानून के अनुसार किया गया था और न ही इससे पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया था. आवेदनों में अनुरोध किया गया था कि उक्त मामले में तत्काल संज्ञान लिया जाए और राजस्व अधिकारियों को उक्त सीमांकन प्रतिवेदन को निरस्त करने के निर्देश जारी किए जाएं.

इस पर संज्ञान लेते हुए बीते शनिवार को राजस्व मंत्री ने तत्काल मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलायी. बैठक में सामने आया कि विभाग ने सीमांकन प्रक्रिया के दौरान उक्त व्यक्तियों को नोटिस जारी नहीं किया था. सीमांकन के तरीके को सही नहीं बताते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि लाडा सराय गांव घनी आबादी वाला क्षेत्र है और गांव में मकान बहुत पुराने हैं. इसके अलावा 10 फरवरी 2023 को हुई बैठक में राजस्व अधिकारियों ने स्वीकार किया कि खसरा संख्या के सीमांकन से पहले उक्त खसरा संख्या के कब्जाधारियों को कोई नोटिस नहीं दिया गया था. ऐसे में स्पष्ट रूप से सीमांकन प्रक्रिया के दौरान उक्त कब्जाधारियों की कोई भागीदारी नहीं थी. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि रहने वालों को अंधेरे में रखकर सीमांकन किया गया है. पीड़ित व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं दी गई.

ये भी पढ़ें: Demolition in Mehrauli: महरौली में पांचवें दिन भी चला DDA का बुलडोजर, लोगों ने कही ये बात

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने महरौली में चल रहे अतिक्रमण अभियान के संबंध में दक्षिणी जिला के डीएम की भूमिका को लेकर नाराजगी जताई है. दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने दक्षिणी जिला के डीएम को विवादित क्षेत्र के नए सिरे से सीमांकन करने के निर्देश दिए थे. डीएम ने ना तो आदेश का पालन किया और ना ही डीडीए को कार्रवाई रोकने का आदेश जारी किया.

मंत्री कैलाश गहलोत ने कहना है कि दक्षिणी जिले के डीएम स्पष्ट रूप से इस अतिक्रमण के अभियान में शामिल हैं. उन्होंने मंगलवार को फिर डीडीए के उपाध्यक्ष को दिल्ली सरकार के आदेश की कॉपी भेज दी है और दोहराया है कि बिना सीमांकन के आगे तोड़फोड़ की कार्रवाई ना हो.

DM ignored order of Delhi government
दिल्ली सरकार के आदेश को डीएम ने किया नजरअंदाज.

शनिवार को दिल्ली सरकार ने डीडीए को महरौली में तोड़फोड़ अभियान को रोकने के निर्देश दिया था. डीडीए ने तोड़फोड़ अभियान के लिए राजस्व विभाग के सीमांकन का उपयोग किया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी प्रक्रिया में गड़बड़ी मिलने पर सीमांकन को रद्द कर दिया था. उसी दिन राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने विवादित क्षेत्र का नए सिरे से सीमांकन कराने का आदेश दिया.

राजस्व मंत्री का कहना था कि कब्जाधारियों को बिना कोई नोटिस दिए अंधेरे में रखकर सीमांकन किया गया है. उन्होंने डीएम (दक्षिण) को भूमि का नए सिरे से सीमांकन करने और डीडीए को तत्काल इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. अपनी तरह से दिल्ली सरकार ने महरौली में तोड़फोड़ अभियान के इस मुश्किल समय में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया, लेकिन सरकार के इस आदेश को लागू करने की जगह दक्षिणी जिला के डीएम ने कोई कार्रवाई नहीं की.

यह है मामला: महरौली पुरातत्व पार्क के सीमांकन के नाम पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) महरौली विधानसभा क्षेत्र में तोड़फोड़ अभियान चला रहा है. दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत को इस मामले में मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती और लाडा सराय गांव के निवासियों से दो आवेदन प्राप्त हुए. इनमें कहा गया कि डीडीए के पास संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पहचान करने के लिए दिल्ली के राजस्व विभाग का सीमांकन एकमात्र स्रोत है. राजस्व विभाग द्वारा किया गया सीमांकन अवैध और शून्य था. यह न तो कानून के अनुसार किया गया था और न ही इससे पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया था. आवेदनों में अनुरोध किया गया था कि उक्त मामले में तत्काल संज्ञान लिया जाए और राजस्व अधिकारियों को उक्त सीमांकन प्रतिवेदन को निरस्त करने के निर्देश जारी किए जाएं.

इस पर संज्ञान लेते हुए बीते शनिवार को राजस्व मंत्री ने तत्काल मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलायी. बैठक में सामने आया कि विभाग ने सीमांकन प्रक्रिया के दौरान उक्त व्यक्तियों को नोटिस जारी नहीं किया था. सीमांकन के तरीके को सही नहीं बताते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि लाडा सराय गांव घनी आबादी वाला क्षेत्र है और गांव में मकान बहुत पुराने हैं. इसके अलावा 10 फरवरी 2023 को हुई बैठक में राजस्व अधिकारियों ने स्वीकार किया कि खसरा संख्या के सीमांकन से पहले उक्त खसरा संख्या के कब्जाधारियों को कोई नोटिस नहीं दिया गया था. ऐसे में स्पष्ट रूप से सीमांकन प्रक्रिया के दौरान उक्त कब्जाधारियों की कोई भागीदारी नहीं थी. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि रहने वालों को अंधेरे में रखकर सीमांकन किया गया है. पीड़ित व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं दी गई.

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