नई दिल्ली : दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा का कहना है कि 1965 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब यमुना नदी वजीराबाद वाटर वर्क्स प्लांट के पास सूख गई है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की लापरवाही के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है जब दिल्ली में 120 MGD पानी की किल्लत हो गई है.
वजीराबाद वाटर वर्क्स प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष चड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार की लापरवाही के कारण यमुना नदी का जलस्तर आज 7 फीट के करीब घट गया है, जिससे दिल्ली की करीब 24 लाख की आबादी तक पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. हमने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी अपील दायर की है. हरियाणा सरकार अभी के समय के हिसाब से न सही 1995 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिसाब से ही हमें पानी की आपूर्ति करे.
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राघव चड्ढा ने बताया कि 120 MGD पानी की कमी के कारण सेंट्रल साउथ और नॉर्थ दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. स्थिति संभालने के लिए हम टैंकरों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन जब वाटर प्लांट से ही पानी का उत्पादन नहीं होगा तो आखिर टैंकर से भी हम पानी की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं. हरियाणा सरकार यह दलील दे रही है कि दिल्ली सरकार पानी के मिसमैनेजमेंट कर रही है.
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उन्होंने कहा कि मैं हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री और अधिकारियों को यहां आमंत्रित करता हूं कि वह वजीराबाद आएं और यमुना की वास्तविक स्थिति देखें. यमुना नदी आज वजीराबाद में पूरी तरह से सूख चुकी है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की है. हरियाणा सरकार 1995 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लंघन कर रही है और दिल्ली को कम मात्रा में पानी की आपूर्ति कर रही है.
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वजीराबाद बैराज के पास यमुना का जल स्तर काफी नीचे चला गया है, जिसकी वजह से आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को पानी की भारी किल्लत झेलनी पड़ सकती है. दिल्ली में यमुना का जलस्तर इतना कम हो गया है कि दिल्ली के तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर इसका असर भी पड़ने लगा है. ये प्लांट अपनी 50 फीसदी क्षमता से ही काम कर रहे हैं.
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दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक, यमुना का जलस्तर सामान्य से करीब 7 से 8 फीट तक नीचे चला गया है. जल स्तर के इतना नीचे जाने के बाद वजीराबाद बैराज के पास यमुना रिवर बेल्ट अब मैदान में तब्दील हो गया है. जिस जगह कभी इंसान का जाना संभव नहीं होता था आज वहां जानवर, गाड़ियां और लोग बिना किसी परेशानी के घूम रहे हैं.
यमुना नदी में पानी की कमी के कारण चंद्रवाल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 90 MGD से घटकर 55 MGD, वजीराबाद प्लांट की 135 MGD से घटकर 80 MGD और ओखला प्लांट की 20 MGD से घटकर 12 MGD रह गई है.
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पानी को लेकर हरियाणा सरकार और दिल्ली सरकार के बीच की ये लड़ाई कोई नई बात नहीं है. हर साल दोनों राज्यों के बीच अक्सर पानी को लेकर तनातनी देखते को मिलती रहती है, लेकिन यमुना की जो तस्वीरें इस साल देखने को मिल रही हैं उसे देखकर डर लगना लाजमी है क्योंकि इसी रफ्तार से अगर यमुना का स्तर घटता रहा तो आने वाले दिनों में पानी को लेकर दिल्ली में हाहाकार मच जाएगा.