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EXPLAINER: क्या है दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कालेजों का विवाद जानें यहां

Dispute of 12 colleges funded by Delhi Got: दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच टकराव का मुख्य कारण कालेजों के प्रबंधन में अपना-अपना दखल रखने का है. दिल्ली सरकार चाहती है कि इन कालेजों को फंड वो दे रही है तो सारी नियुक्तियां और प्रबंधन उसके हिसाब से चले. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता है कि जब कालेजों की संबद्धता विश्वविद्यालय से है तो विश्वविद्यालय के नियम के हिसाब से ही सारे काम होंगे.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 5, 2023, 2:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित 12 कालेजों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. इन कालेजों में काम काज को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच खींचतान और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला लगातार जारी है. हाल, ही में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर इन कालेजों की डीयू से मान्यता खत्म करने की मांग की है. साथ ही कालेजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने लिए भी कहा है.

आतिशी ने पत्र में यह भी लिखा है कि या तो इन कालेजों को अपने नियंत्रण में ले लें या हमें चलाने दें. आतिशी के पत्र के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आतिशी के पत्र की कड़ी निंदा करते हुए 12 कालेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन न मिलने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. आइए विस्तार से इस एक्सप्लेनर के माध्यम से समझते हैं आखिर क्या है इन कालेजों का मुद्दा.

सवाल: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली विश्वविद्यालय के कुल कितने कालेज हैं?
जवाब: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली सरकार के कुल 28 कालेज हैं. इनमें से 12 कालेज आचार्य नरेंद्र देव कालेज, डा. भीमरा अंबे़डकर कालेज, अदिति कालेज, भगिनी निवेदिता, भास्कराचार्य, दीन दयाल उपाध्याय कालेज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजुकेशन, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कालेज, महर्षि बाल्मीकि कालेज, शहीद राजगुरू कालेज, शहीद सुखदेव कालेज ऑफ बिजनेस स्टडीज पूरी तरह से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. जबकि 16 कालेज को दिल्ली सरकार पांच प्रतिशत फंड देती है.

सवाल: दिल्ली सरकार के कालेजों की प्रशासनिक व्यवस्था क्या है?
जवाब: दिल्ली सरकार के कालेजों के दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के चलते सारे नियम कानून दिल्ली विश्वविद्यालय के ही चलते हैं. जबकि इन कालेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने सहित कालेज के अन्य खर्चों के लिए पैसा दिल्ली सरकार को देना होता है.

सवाल: दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच टकराव का कारण क्या है?
जवाब: दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच टकराव का मुख्य कारण कालेजों के प्रबंधन में अपना-अपना दखल रखने का है. दिल्ली सरकार चाहती है कि इन कालेजों को फंड वो दे रही है तो सारी नियुक्तियां और प्रबंधन उसके हिसाब से चले. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता है कि जब कालेजों की संबद्धता विश्वविद्यालय से है तो विश्वविद्यालय के नियम के हिसाब से ही सारे काम होंगे. सरकार को दखल देने का कोई मतलब नहीं है. सरकार को समय पर कालेजों के लिए फंड जारी करना चाहिए.

सवाल: दिल्ली सरकार समय पर क्यों नहीं दे रही कालेजों को फंड?
जवाब: दिल्ली सरकार अपनी पसंद के लोगों की निुयक्तियां कालेजों में कराना चाहती है. साथ ही कालेजों की गवर्निंग बॉडी के गठन के लिए भेजी गई अपने लोगों की सूची का डीयू प्रशासन से अनुमोदन कराना चाहती है. लेकिन, डीयू ने अभी तक इन कालेजों की गवर्निंग बॉडी को मान्यता नहीं दी है. अभी इन कालेजों मनोनीत तीन-तीन सदस्यों की गवर्निंग बाडी ही काम कर रही है. जिसकी सहमति से चार कालेजों में विज्ञापन निकाले गए हैं. दिल्ली सरकार चाहती है कि इन कालेजों की गवर्निंग बाडी पूर्ण रूप से (सात सदस्यों) गठन होने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो.

सवाल: दिल्ली सरकार ने फंड न देने को लेकर बताए हैं क्या-क्या कारण?
जवाब: दिल्ली सरकार ने कालेजों को फंड न देने के पीछे इन कालेजों के ऊपर न ही अपना और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय का नियंत्रण होने की बात कही है. साथ ही वर्ष 2024-25 में इन कालेजों को दिए जाने वाले फंड को अपने बजट में शामिल नहीं करने के लिए भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिख दिया है. साथ ही अभी तक दिए गए फंड के आडिट में भी कई तरह की अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं.

सवाल: डीयू से संबद्ध और केंद्र सरकार के अधीन अन्य कालेजों की क्या है स्थिति?
जवाब: डीयू से संबद्ध अन्य कालेजों में पिछले एक साल से शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. इन कालेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन भी मिलता है और सारे काम भी बिना किसी विवाद के होते हैं. जबकि इन 12 कालेजों को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से ही विवाद चला आ रहा है.

सवाल: अगले सत्र से दिल्ली सरकार अगर कालेजों को फंड नहीं देगी तो क्या होगा?
जवाब: डूटा के पूर्व सचिव डा. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के नवंबर तक के वेतन के लिए फंड जारी कर दिया है. लेकिन, अगर अगले साल से फंड जारी नहीं किया तो शिक्षकों वेतन नहीं मिलेगा. वेतन न मिलने के चलते शिक्षण कार्य में भी शिथिलता आएगी. जिससे छात्रों को नुकसान होगा.

सवाल: 12 कालेजों में कितने शिक्षक और छात्र हैं?
जवाब: अरबिदों कालेज के शिक्षक डा. हंसराज सुमन ने बताया कि इन 12 कालेजों में करीब 1400 से 1500 शिक्षक, एक हजार से ज्यादा अन्य स्टाफ और करीब 15 हजार छात्र-छात्राएं हैं. जिनके हित फंड न मिलने से किसी न किसी तरह प्रभावित होंगे.

सवाल: आतिशी के पत्र के बाद डूटा ने एलजी को पत्र लिखकर क्या कहा?
जवाब: शिक्षा मंत्री आतिशी द्वारा 12 कालेजों को अगले साल से फंड न देने और केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहीत करने को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे गए पत्र के बाद डूटा ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए एलजी विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर इन कालेजों की डीयू से संबद्धता बनाए रखने औऱ फंड का मुद्दा सुलझाने के लिए दखल देने का अनुरोध किया है.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित 12 कालेजों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. इन कालेजों में काम काज को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच खींचतान और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला लगातार जारी है. हाल, ही में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर इन कालेजों की डीयू से मान्यता खत्म करने की मांग की है. साथ ही कालेजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने लिए भी कहा है.

आतिशी ने पत्र में यह भी लिखा है कि या तो इन कालेजों को अपने नियंत्रण में ले लें या हमें चलाने दें. आतिशी के पत्र के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आतिशी के पत्र की कड़ी निंदा करते हुए 12 कालेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन न मिलने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. आइए विस्तार से इस एक्सप्लेनर के माध्यम से समझते हैं आखिर क्या है इन कालेजों का मुद्दा.

सवाल: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली विश्वविद्यालय के कुल कितने कालेज हैं?
जवाब: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध दिल्ली सरकार के कुल 28 कालेज हैं. इनमें से 12 कालेज आचार्य नरेंद्र देव कालेज, डा. भीमरा अंबे़डकर कालेज, अदिति कालेज, भगिनी निवेदिता, भास्कराचार्य, दीन दयाल उपाध्याय कालेज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजुकेशन, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कालेज, महर्षि बाल्मीकि कालेज, शहीद राजगुरू कालेज, शहीद सुखदेव कालेज ऑफ बिजनेस स्टडीज पूरी तरह से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. जबकि 16 कालेज को दिल्ली सरकार पांच प्रतिशत फंड देती है.

सवाल: दिल्ली सरकार के कालेजों की प्रशासनिक व्यवस्था क्या है?
जवाब: दिल्ली सरकार के कालेजों के दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के चलते सारे नियम कानून दिल्ली विश्वविद्यालय के ही चलते हैं. जबकि इन कालेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने सहित कालेज के अन्य खर्चों के लिए पैसा दिल्ली सरकार को देना होता है.

सवाल: दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच टकराव का कारण क्या है?
जवाब: दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच टकराव का मुख्य कारण कालेजों के प्रबंधन में अपना-अपना दखल रखने का है. दिल्ली सरकार चाहती है कि इन कालेजों को फंड वो दे रही है तो सारी नियुक्तियां और प्रबंधन उसके हिसाब से चले. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता है कि जब कालेजों की संबद्धता विश्वविद्यालय से है तो विश्वविद्यालय के नियम के हिसाब से ही सारे काम होंगे. सरकार को दखल देने का कोई मतलब नहीं है. सरकार को समय पर कालेजों के लिए फंड जारी करना चाहिए.

सवाल: दिल्ली सरकार समय पर क्यों नहीं दे रही कालेजों को फंड?
जवाब: दिल्ली सरकार अपनी पसंद के लोगों की निुयक्तियां कालेजों में कराना चाहती है. साथ ही कालेजों की गवर्निंग बॉडी के गठन के लिए भेजी गई अपने लोगों की सूची का डीयू प्रशासन से अनुमोदन कराना चाहती है. लेकिन, डीयू ने अभी तक इन कालेजों की गवर्निंग बॉडी को मान्यता नहीं दी है. अभी इन कालेजों मनोनीत तीन-तीन सदस्यों की गवर्निंग बाडी ही काम कर रही है. जिसकी सहमति से चार कालेजों में विज्ञापन निकाले गए हैं. दिल्ली सरकार चाहती है कि इन कालेजों की गवर्निंग बाडी पूर्ण रूप से (सात सदस्यों) गठन होने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो.

सवाल: दिल्ली सरकार ने फंड न देने को लेकर बताए हैं क्या-क्या कारण?
जवाब: दिल्ली सरकार ने कालेजों को फंड न देने के पीछे इन कालेजों के ऊपर न ही अपना और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय का नियंत्रण होने की बात कही है. साथ ही वर्ष 2024-25 में इन कालेजों को दिए जाने वाले फंड को अपने बजट में शामिल नहीं करने के लिए भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिख दिया है. साथ ही अभी तक दिए गए फंड के आडिट में भी कई तरह की अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं.

सवाल: डीयू से संबद्ध और केंद्र सरकार के अधीन अन्य कालेजों की क्या है स्थिति?
जवाब: डीयू से संबद्ध अन्य कालेजों में पिछले एक साल से शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. इन कालेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन भी मिलता है और सारे काम भी बिना किसी विवाद के होते हैं. जबकि इन 12 कालेजों को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से ही विवाद चला आ रहा है.

सवाल: अगले सत्र से दिल्ली सरकार अगर कालेजों को फंड नहीं देगी तो क्या होगा?
जवाब: डूटा के पूर्व सचिव डा. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार ने शिक्षकों के नवंबर तक के वेतन के लिए फंड जारी कर दिया है. लेकिन, अगर अगले साल से फंड जारी नहीं किया तो शिक्षकों वेतन नहीं मिलेगा. वेतन न मिलने के चलते शिक्षण कार्य में भी शिथिलता आएगी. जिससे छात्रों को नुकसान होगा.

सवाल: 12 कालेजों में कितने शिक्षक और छात्र हैं?
जवाब: अरबिदों कालेज के शिक्षक डा. हंसराज सुमन ने बताया कि इन 12 कालेजों में करीब 1400 से 1500 शिक्षक, एक हजार से ज्यादा अन्य स्टाफ और करीब 15 हजार छात्र-छात्राएं हैं. जिनके हित फंड न मिलने से किसी न किसी तरह प्रभावित होंगे.

सवाल: आतिशी के पत्र के बाद डूटा ने एलजी को पत्र लिखकर क्या कहा?
जवाब: शिक्षा मंत्री आतिशी द्वारा 12 कालेजों को अगले साल से फंड न देने और केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहीत करने को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे गए पत्र के बाद डूटा ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए एलजी विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर इन कालेजों की डीयू से संबद्धता बनाए रखने औऱ फंड का मुद्दा सुलझाने के लिए दखल देने का अनुरोध किया है.

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