नई दिल्ली : दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू), की ओर से एनसीटी दिल्ली सरकार के तत्वाधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) द्वारा शुक्रवार 13 अक्टूबर को DPSRU के जी के नारायण सभागार में"चिंतन शिविर" कार्यक्रम का अयोजन किया गया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और डीएसआईआर-डीपीएसआरयू-सीआरटीडीएच और डीआईआईएफ ने हेल्थकेयर एमएसएमई और उभरते स्टार्टअप के क्षेत्र के लिए इस चिंतन शिविर का अयोजित किया गया.
DPSRU यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रमेश के गोयल ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एमएसएमई के सामने आने वाली बहुमुखी चुनौतियों को संबोधित करने और हल करने के लिए उद्योग विशेषज्ञों, उद्यमियों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को एक साथ लाना है . प्रतिभागियों और हितधारकों के बीच अकादमिक डिसकोर्स और संबंधों को बढ़ावा देना है. कोविड के बाद भारत की स्वास्थ्य इंडस्ट्री में काफी उतार-चढ़ाव आए हैं. कोरोना काल के बाद से भारत की स्वास्थ्य इंडस्ट्री में कुछ और बदलाव चिंतन करने की जरूरत है, जिससे इंडस्ट्री को और लाभ हो और युवाओं को रोजगार मिल सके .
ये चिंतन शिविर है काफी महत्वपूर्ण है जिस प्रकार से सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में फार्मास्यूटिकल कंपनी का अहम योगदान है और छोटे-छोटे उद्योग एमएसएमई के अंतर्गत जो आते हैं उन्हें बढ़ावा देने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा जो कमियां है उन कमियों को दूर करने पर पर भी विचार किया जाएगा .
कहा कि पीएम मोदी का सपना है 2027 तक देश की अर्थव्यवस्था तीसरे नंबर पर हो. अभी हमारी इकोनॉमी पांचवें नंबर पर है. लेकिन जल्द ही हम छोटे छोटे उद्योगों के जरिए अर्थव्यवस्था में हम तीसरे नंबर पर पहुंचेंगे और इसमें एक बड़ी भागीदारी युवाओं की रहेगी. आज के चिंतन शिविर में तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए खास तौर पर फार्मास्यूटिकल कंपनी से जुड़े हुए कई औद्योगिक क्षेत्र से लोग और युवा पहुंचे है.
ये भी पढ़ें :एनीमिया और कुपोषण की रोकथाम के लिए दिल्ली में जुटे दुनिया के विशेषज्ञ