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अग्रवाल मेडिकल सेंटर का रद्द हो सकता है पंजीकरण, डीजीएचएस ने नोटिस जारी कर मांगा स्पष्टीकरण

Directorate general of health services: स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय अग्रवाल मेडिकल सेंटर का पंजीकरण रद्द कर सकता है. पुलिस पहले ही इस मेडिकल सेंटर को सील कर चुकी है. डीजीएचएस ने अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक से कई मामलों पर स्पष्टीकरण मांगा है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 17, 2023, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: अग्रवाल मेडिकल सेंटर में फर्जी सर्जनों द्वारा सर्जरी करने से हुई आठ मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कार्रवाई करते हुए अग्रवाल मेडिकल सेंटर का पंजीकरण रद्द करने का नोटिस जारी किया है. मेडिकल सेंटर में पुलिस की कार्रवाई के बाद ये डीजीएचएस की बड़ी कार्रवाई है. महानिदेशालय ने सेंटर के संचालक डॉ. नीरज अग्रवाल से एक माह में इस नोटिस का जवाब मांगा है.

15 दिन बाद नोटिस जारी: डीजीएचएस नोटिस के जवाब के बाद महानिदेशालय अग्रवाल मेडिकल सेंटर का पंजीकरण रद्द कर सकता है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह जानकारी दी है. महानिदेशालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि ग्रेटर कैलाश थाना व दक्षिणी दिल्ली पुलिस उपायुक्त ने 30 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को मेडिकल सेंटर के खिलाफ डीजीएचएस में शिकायत की थी. इन शिकायतों में उन नौ मामलों का विस्तृत ब्यौरा है, जिसमें चिकित्सकीय लापरवाही और फर्जी सर्जन से सर्जरी करने के कारण 2016 से अब तक आठ मरीजों की मौत हो गई. डीजीएचएस ने पूरे 15 दिन बाद 16 नवंबर को मेडिकल सेंटर को नोटिस जारी किया है.

ये भी पढ़ें: Fake Doctors Case: आरोपियों को तिहाड़ जेल से पुलिस रिमांड पर लाने की कोशिश की जा रही, कई सवालों से उठेगा पर्दा

सिर्फ तीन बेड पंजीकृत: नोटिस के अनुसार, दिल्ली नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अग्रवाल मेडिकल सेंटर का तीन बेड के लिए पंजीकरण है. यह पंजीकरण तीन वर्ष के लिए होता है और अभी अगले वर्ष मार्च तक मान्य है. हैरानी की बात है कि तीन बेड के नर्सिंग होम जैसे इस मेडिकल सेंटर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के बावजूद मरीजों की सर्जरी की जा रही थी. सूत्रों के अनुसार जब भी कोई निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या क्लीनिक के पंजीकरण के लिए आवेदन करता है तो उसे बुनियादी ढांचे, डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की पूरी जानकारी डीजीएचएस के नर्सिंग सेल को देनी होती है.

उसे एंबुलेंस की उपलब्धता व लिंक अस्पताल से समझौते की कॉपी भी आवेदन के साथ संलग्न करनी होती है. पंजीकरण से पहले उपलब्ध संसाधनों का सत्यापन भी किया जाता है. इन सभी नियमों को ताक पर रख कर अग्रवाल मेडिकल सेंटर मेंं इलाज के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था. डीजीएचएस द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि एक शिकायत में डॉ. पूजा पर सर्जरी करने का आरोप लगाया गया है. जबकि, उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार इस मेडिकल सेंटर में पूजा नाम की कोई डॉक्टर या नर्स कार्यरत नहीं है.

ये भी पढ़ें: Fake Doctors Case: मेडिकल सेंटर के खिलाफ दिल्ली मेडिकल काउंसिल में शिकायतें दर्ज, हुए कई खुलासे

नई दिल्ली: अग्रवाल मेडिकल सेंटर में फर्जी सर्जनों द्वारा सर्जरी करने से हुई आठ मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कार्रवाई करते हुए अग्रवाल मेडिकल सेंटर का पंजीकरण रद्द करने का नोटिस जारी किया है. मेडिकल सेंटर में पुलिस की कार्रवाई के बाद ये डीजीएचएस की बड़ी कार्रवाई है. महानिदेशालय ने सेंटर के संचालक डॉ. नीरज अग्रवाल से एक माह में इस नोटिस का जवाब मांगा है.

15 दिन बाद नोटिस जारी: डीजीएचएस नोटिस के जवाब के बाद महानिदेशालय अग्रवाल मेडिकल सेंटर का पंजीकरण रद्द कर सकता है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह जानकारी दी है. महानिदेशालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि ग्रेटर कैलाश थाना व दक्षिणी दिल्ली पुलिस उपायुक्त ने 30 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को मेडिकल सेंटर के खिलाफ डीजीएचएस में शिकायत की थी. इन शिकायतों में उन नौ मामलों का विस्तृत ब्यौरा है, जिसमें चिकित्सकीय लापरवाही और फर्जी सर्जन से सर्जरी करने के कारण 2016 से अब तक आठ मरीजों की मौत हो गई. डीजीएचएस ने पूरे 15 दिन बाद 16 नवंबर को मेडिकल सेंटर को नोटिस जारी किया है.

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सिर्फ तीन बेड पंजीकृत: नोटिस के अनुसार, दिल्ली नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अग्रवाल मेडिकल सेंटर का तीन बेड के लिए पंजीकरण है. यह पंजीकरण तीन वर्ष के लिए होता है और अभी अगले वर्ष मार्च तक मान्य है. हैरानी की बात है कि तीन बेड के नर्सिंग होम जैसे इस मेडिकल सेंटर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के बावजूद मरीजों की सर्जरी की जा रही थी. सूत्रों के अनुसार जब भी कोई निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या क्लीनिक के पंजीकरण के लिए आवेदन करता है तो उसे बुनियादी ढांचे, डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की पूरी जानकारी डीजीएचएस के नर्सिंग सेल को देनी होती है.

उसे एंबुलेंस की उपलब्धता व लिंक अस्पताल से समझौते की कॉपी भी आवेदन के साथ संलग्न करनी होती है. पंजीकरण से पहले उपलब्ध संसाधनों का सत्यापन भी किया जाता है. इन सभी नियमों को ताक पर रख कर अग्रवाल मेडिकल सेंटर मेंं इलाज के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था. डीजीएचएस द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि एक शिकायत में डॉ. पूजा पर सर्जरी करने का आरोप लगाया गया है. जबकि, उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार इस मेडिकल सेंटर में पूजा नाम की कोई डॉक्टर या नर्स कार्यरत नहीं है.

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