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हर-हर महादेव के नारे से गूंज उठा श्री गौरी शंकर मंदिर, श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का किया जलाभिषेक

दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में सावन के छठे सोमवार पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में पूजा-अर्चना के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

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Published : Aug 14, 2023, 11:32 AM IST

महादेव के नारे से गूंज उठा श्री गौरी शंकर मंदिर

नई दिल्ली: आज सावन का छठा सोमवार है. देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं. मंदिरों में बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. वहीं, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी हाथों में भांग, धतूरे, बेल-पत्र, जल और दूध लेकर महादेव का अभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में जलाभिषेक के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

श्रद्धलुओं की मनोकामना होती है पूरीः अगर इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां पर शिवलिंग भूरे रंग का है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के चारों ओर चांदी के सर्प का घेरा है. मंदिर में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर से यहां पर आते हैं. श्री गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय विराजित हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. जानकारों की मानें तो पांडवों के द्वारा भी इस मंदिर में पूजा की जाती रही है. इस मंदिर में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि 5 पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी करते हैं

बता दें कि 1909 से मंदिर की देखभाल करने वाली प्रबंध समिति के अनुसार 1761 में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने समंदर के भवन का निर्माण कराया था. वह भगवान शिव के परम भक्त भी थे. इनके नाम का जिक्र आज भी श्री गौरी शंकर मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिल जाता है. दरअसल, प्राचीन काल में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर युद्ध में बुरी तरह से घायल हो गए थे. इसके बाद उनके जीवित बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. उस समय अप्पा गंगाधर घायल अवस्था में इसी गौरी शंकर मंदिर पहुंचे थे. जहां उन्होंने महादेव से प्रार्थना करते हुए अपने बचने की मनोकामना मांगी थी. इसके बाद अप्पा गंगाधर की जान बच गई और उन्होंने अपनी मन्नत के अनुसार भगवान शिव के श्री गौरी शंकर मंदिर को बनवाया था.

यह भी पढ़ें- Adhik Maas Amavasya 2023: तीन साल में एक बार आती है अधिकमास अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

महादेव के नारे से गूंज उठा श्री गौरी शंकर मंदिर

नई दिल्ली: आज सावन का छठा सोमवार है. देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं. मंदिरों में बम-बम भोले की गूंज सुनाई दे रही है. वहीं, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित प्रसिद्ध श्री गौरी शंकर मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी हाथों में भांग, धतूरे, बेल-पत्र, जल और दूध लेकर महादेव का अभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. लोगों में जलाभिषेक के लिए गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

श्रद्धलुओं की मनोकामना होती है पूरीः अगर इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां पर शिवलिंग भूरे रंग का है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के चारों ओर चांदी के सर्प का घेरा है. मंदिर में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर से यहां पर आते हैं. श्री गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय विराजित हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. जानकारों की मानें तो पांडवों के द्वारा भी इस मंदिर में पूजा की जाती रही है. इस मंदिर में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि 5 पीपल के पेड़ के मध्य विराजे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी करते हैं

बता दें कि 1909 से मंदिर की देखभाल करने वाली प्रबंध समिति के अनुसार 1761 में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर ने समंदर के भवन का निर्माण कराया था. वह भगवान शिव के परम भक्त भी थे. इनके नाम का जिक्र आज भी श्री गौरी शंकर मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिल जाता है. दरअसल, प्राचीन काल में मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर युद्ध में बुरी तरह से घायल हो गए थे. इसके बाद उनके जीवित बचने की कोई उम्मीद नहीं थी. उस समय अप्पा गंगाधर घायल अवस्था में इसी गौरी शंकर मंदिर पहुंचे थे. जहां उन्होंने महादेव से प्रार्थना करते हुए अपने बचने की मनोकामना मांगी थी. इसके बाद अप्पा गंगाधर की जान बच गई और उन्होंने अपनी मन्नत के अनुसार भगवान शिव के श्री गौरी शंकर मंदिर को बनवाया था.

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