ETV Bharat / state

मियावाकी तकनीक से दिल्ली में उगाएंगे जंगल - राइज फाउंडेशन के संस्थापक मधुकर वार्ष्णेय

दक्षिण दिल्ली नगर निगम एक NGO की मदद से स्कूल में जंगल बनाने का काम शुरू करने जा रहा है. इससे पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने भी दो जंगल बनाए हैं.

Developing Urban Jungle in Delhi
Developing Urban Jungle in Delhi
author img

By

Published : Feb 19, 2022, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में हरित आवरण (green cover) को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. नागरिक अधिकारी शहरी स्थानों में मिनी-वनों की एक जापानी प्रणाली के साथ प्रयोग किया जा रहा है. जिसे आमतौर पर मियावाकी जंगलों (miyawaki forest) के रूप में जाना जाता है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम (East Delhi Municipal Corporation) ने पहले ही दो ऐसे जंगल बनाए हैं और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (South Delhi Municipal Corporation), एक स्थानीय एनजीओ की मदद से द्वारका के शाहाबाद मोहम्मदपुर गांव में एक स्कूल में इस तरह के जंगल पर काम शुरू करने जा रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी ITO के पास एक ऐसे ही प्रणाली से कुछ पेड़ों को लगाया है.

जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी (Japanese botanist Akira Miyawaki) द्वारा अग्रणी तकनीक से हजारों देशी वृक्ष प्रजातियों को क्षेत्र के एक छोटे से पैच में एक साथ उगाए जाने की तकनीक है. एक पारंपरिक जंगल की तुलना में, एक मियावाकी जंगल न केवल कई गुना घना होता है, बल्कि यह दो से तीन वर्षों में भी तैयार हो सकता है. यह दिल्ली में बढ़ते भूमि की कमी को देखते हुए इस तकनीक से निजात दिलाएगा और थोड़ी जगह में कई पेड़ लग सकते हैं.

ये भी पढ़ें: ईस्ट एमसीडी इलाके में डेवलप हो रहे सिटी फॉरेस्ट, मिलेगी स्वच्छ हवा

सरकार ने भविष्य में राजधानी को हरा-भरा करने के प्रभावी तरीके के रूप में दिल्ली के मास्टर प्लान-2041 के मसौदे में मियावाकी वन की अवधारणा का भी उल्लेख किया गया है. सरकार के अलावा, गैर सरकारी संगठन और निगम भी पिछले दो वर्षों में इस तरह के जंगल को विकसित करने के लिए जमीन के छोटे-छोटे हिस्सों को सक्रिय रूप से देख रहे हैं. राइज फाउंडेशन के संस्थापक मधुकर वार्ष्णेय (Madhukar Varshney, founder of Rise Foundation), जो द्वारका में परियोजना के साथ एसडीएमसी की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि एक प्राकृतिक जंगल को विकसित होने में कई दशक लग सकते हैं. मियावाकी वन तकनीक को केवल तीन वर्षों की अवधि में बनाया और कम रखरखाव में बनाया जा सकता है. यह देखते हुए कि पारंपरिक वन की तुलना में इसकी वृद्धि 10 गुना तेजी से होती है.

मियावाकी एक जापानी वनीकरण विधि (Japanese Afforestation Method) है. इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है, ताकि पौधे सूर्य की रोशनी हासिल कर ऊपर की ओर बढ़ते रहें. इसके तहत तीन प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है. इसमें एक पेड़ ऊंचाई वाला, दूसरा कम ऊंचाई वाला और तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली: राजधानी में हरित आवरण (green cover) को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. नागरिक अधिकारी शहरी स्थानों में मिनी-वनों की एक जापानी प्रणाली के साथ प्रयोग किया जा रहा है. जिसे आमतौर पर मियावाकी जंगलों (miyawaki forest) के रूप में जाना जाता है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम (East Delhi Municipal Corporation) ने पहले ही दो ऐसे जंगल बनाए हैं और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (South Delhi Municipal Corporation), एक स्थानीय एनजीओ की मदद से द्वारका के शाहाबाद मोहम्मदपुर गांव में एक स्कूल में इस तरह के जंगल पर काम शुरू करने जा रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी ITO के पास एक ऐसे ही प्रणाली से कुछ पेड़ों को लगाया है.

जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी (Japanese botanist Akira Miyawaki) द्वारा अग्रणी तकनीक से हजारों देशी वृक्ष प्रजातियों को क्षेत्र के एक छोटे से पैच में एक साथ उगाए जाने की तकनीक है. एक पारंपरिक जंगल की तुलना में, एक मियावाकी जंगल न केवल कई गुना घना होता है, बल्कि यह दो से तीन वर्षों में भी तैयार हो सकता है. यह दिल्ली में बढ़ते भूमि की कमी को देखते हुए इस तकनीक से निजात दिलाएगा और थोड़ी जगह में कई पेड़ लग सकते हैं.

ये भी पढ़ें: ईस्ट एमसीडी इलाके में डेवलप हो रहे सिटी फॉरेस्ट, मिलेगी स्वच्छ हवा

सरकार ने भविष्य में राजधानी को हरा-भरा करने के प्रभावी तरीके के रूप में दिल्ली के मास्टर प्लान-2041 के मसौदे में मियावाकी वन की अवधारणा का भी उल्लेख किया गया है. सरकार के अलावा, गैर सरकारी संगठन और निगम भी पिछले दो वर्षों में इस तरह के जंगल को विकसित करने के लिए जमीन के छोटे-छोटे हिस्सों को सक्रिय रूप से देख रहे हैं. राइज फाउंडेशन के संस्थापक मधुकर वार्ष्णेय (Madhukar Varshney, founder of Rise Foundation), जो द्वारका में परियोजना के साथ एसडीएमसी की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि एक प्राकृतिक जंगल को विकसित होने में कई दशक लग सकते हैं. मियावाकी वन तकनीक को केवल तीन वर्षों की अवधि में बनाया और कम रखरखाव में बनाया जा सकता है. यह देखते हुए कि पारंपरिक वन की तुलना में इसकी वृद्धि 10 गुना तेजी से होती है.

मियावाकी एक जापानी वनीकरण विधि (Japanese Afforestation Method) है. इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है, ताकि पौधे सूर्य की रोशनी हासिल कर ऊपर की ओर बढ़ते रहें. इसके तहत तीन प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है. इसमें एक पेड़ ऊंचाई वाला, दूसरा कम ऊंचाई वाला और तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.