नई दिल्लीः डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बढ़ रही हिंसात्मक घटनाओं को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक की गई. बैठक में एफएआईएमए, आईएमए, एफओआरडीए और एआईआईएमएस के लोग शामिल हुए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के चिकित्सा विभाग के साथ हुई इस बैठक की अध्यक्षता डॉ. सुनील कुमार ने की. बैठक में डॉ. राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग, सफदरजंग अस्पताल समेत सभी बड़े अस्पतालों के अधिकारी शामिल हुए.
फेमा डॉक्टर एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी डॉ. सुव्रणकर दत्ता ने कहा कि पिछले दिनों से डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और पैरामेडिकल स्टाफ पर हिंसात्मक घटनाएं बढ़ी है. वहीं मौजूदा समय में सभी स्वास्थ्य कर्मी जी जान से मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं, लेकिन जब मरीजों की उम्मीद पूरी नहीं हो पाती हैं, तो उनके परिजन मारपीट करते हैं, जो चिंता का सबब है. इसलिए इसपर रोक लगनी चाहिए.
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डॉक्टर दत्ता ने कहा कि मीटिंग में सभी डॉक्टर एसोसिएशन ने अपना-अपना पक्ष रखा. वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से आश्वासन दिया गया कि इस प्रकार की घनाएं नहीं होंगी. इसी बीच डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से मांग की गई कि इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाया जाए और घटना में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही सख्त कानून भी बनाई जाए.
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इससे पहले IMA के सदस्य डॉक्टरों पर हो रहे हमले को विरोध-प्रदर्शन कर चकुे हैं. इस दौरान उनकी मांग थी कि डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए केंद्रीय कानून बने. बता दें कि कोरोना काल में डॉक्टर्स के साथ लोगों ने दुर्व्यवहार किया था और डॉक्टरों के साथ मारपीट भी की थी. डॉक्टरों ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से मांग की थी कि एक कानून बनाया जाए, जो कोई भी डॉक्टरों के साथ बदतमीजी या गुंडागर्दी करता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.