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दिल्ली इलेक्शन 2020: जानिए, किन मुद्दों पर वोट करेंगे ई-रिक्शा चालक

आज के समय में लाखों की तादाद में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. ऐसे में उनके कई अहम मुद्दे हैं जोकि चुनाव पर असर डालते हैं. ई-रिक्शा चालकों से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होने कहा कि अभी तक कहीं पर भी ई रिक्शा चालकों के लिए पर्याप्त स्टैंड की सुविधा नहीं है.

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Published : Jan 26, 2020, 11:10 AM IST

e-rickshaw drivers
ई-रिक्शा चालकों

नई दिल्ली: एक सरकार को बनाने में हर एक वर्ग की अहम भूमिका होती है, चाहे वह एक आम इंसान हो या फिर अलग-अलग प्रकार के रोजगार करने वाला व्यक्ति, ऑटो चालक, ई रिक्शा चालक, रेहड़ी पटरी वाले, दुकानदार, व्यापारी हर एक सरकार चुनने में अपना योगदान देता है. इसी कड़ी में दिल्ली में चलने वाले ई-रिक्शा चालक से ईटीवी भारत ने बात की. आज के समय में लाखों की तादाद में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. ऐसे में उनके कई अहम मुद्दे हैं जो कि चुनाव पर असर डालते हैं.

ई-रिक्शा चालक

'ट्रैफिक पुलिस से परेशानी'
आज से कुछ सालों पहले केवल सड़कों पर सार्वजनिक यातायात के साधन के लिए बसें और ऑटो ही नजर आया करते थे. लेकिन कुछ सालों पहले से सड़कों पर ई-रिक्शा की तादाद भी बढ़ी है. आज लाखों की संख्या में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. साउथ दिल्ली के गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन पर ई रिक्शा चलाने वाले संजय बताते हैं कि आज ई रिक्शा चालकों की संख्या बेशक बढ़ी है, लेकिन उनकी परेशानियां भी इसी के साथ बढ़ गई है. क्योंकि अभी तक कहीं पर भी ई रिक्शा चालकों के लिए पर्याप्त स्टैंड की सुविधा नहीं है. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस मनमाने तरीके से चालान काट देती हैं. एक रिक्शा चालक काफी मेहनत से अपनी रोजी रोटी कमाता है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले 30 से 40 हज़ार का चालान काट देते हैं.

रूट परमिट और स्टैंड की नहीं है सुविधा
तमाम ई रिक्शा चालकों से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि सरकार ने हर एक को रोजगार देने के लिए ई रिक्शा की सुविधा तो दी है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस हमसे कहती है कि रूट परमिट आपको नहीं दिया गया है, तो फिर क्यों हमें ई रिक्शा देकर हमारे चालान काटे जा रहे हैं. हम केवल सरकार से यही मांग करते हैं, कि वह हमें परमानेंट स्टैंड और रूट परमिट दें. जिससे कि हम अपनी रोजी-रोटी अच्छे से कमा सके. क्योंकि आज जो ई रिक्शा चालक किराए का रिक्शा चलाता है. उस पर किराए के साथ-साथ कई चालान का बोझ भी बढ़ जाता है.

नई दिल्ली: एक सरकार को बनाने में हर एक वर्ग की अहम भूमिका होती है, चाहे वह एक आम इंसान हो या फिर अलग-अलग प्रकार के रोजगार करने वाला व्यक्ति, ऑटो चालक, ई रिक्शा चालक, रेहड़ी पटरी वाले, दुकानदार, व्यापारी हर एक सरकार चुनने में अपना योगदान देता है. इसी कड़ी में दिल्ली में चलने वाले ई-रिक्शा चालक से ईटीवी भारत ने बात की. आज के समय में लाखों की तादाद में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. ऐसे में उनके कई अहम मुद्दे हैं जो कि चुनाव पर असर डालते हैं.

ई-रिक्शा चालक

'ट्रैफिक पुलिस से परेशानी'
आज से कुछ सालों पहले केवल सड़कों पर सार्वजनिक यातायात के साधन के लिए बसें और ऑटो ही नजर आया करते थे. लेकिन कुछ सालों पहले से सड़कों पर ई-रिक्शा की तादाद भी बढ़ी है. आज लाखों की संख्या में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. साउथ दिल्ली के गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन पर ई रिक्शा चलाने वाले संजय बताते हैं कि आज ई रिक्शा चालकों की संख्या बेशक बढ़ी है, लेकिन उनकी परेशानियां भी इसी के साथ बढ़ गई है. क्योंकि अभी तक कहीं पर भी ई रिक्शा चालकों के लिए पर्याप्त स्टैंड की सुविधा नहीं है. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस मनमाने तरीके से चालान काट देती हैं. एक रिक्शा चालक काफी मेहनत से अपनी रोजी रोटी कमाता है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले 30 से 40 हज़ार का चालान काट देते हैं.

रूट परमिट और स्टैंड की नहीं है सुविधा
तमाम ई रिक्शा चालकों से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि सरकार ने हर एक को रोजगार देने के लिए ई रिक्शा की सुविधा तो दी है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस हमसे कहती है कि रूट परमिट आपको नहीं दिया गया है, तो फिर क्यों हमें ई रिक्शा देकर हमारे चालान काटे जा रहे हैं. हम केवल सरकार से यही मांग करते हैं, कि वह हमें परमानेंट स्टैंड और रूट परमिट दें. जिससे कि हम अपनी रोजी-रोटी अच्छे से कमा सके. क्योंकि आज जो ई रिक्शा चालक किराए का रिक्शा चलाता है. उस पर किराए के साथ-साथ कई चालान का बोझ भी बढ़ जाता है.

Intro:एक सरकार बनाने में हर एक वर्ग की अहम भूमिका होती है, चाहे वह एक आम इंसान हो या फिर अलग-अलग प्रकार के रोजगार करने वाला व्यक्ति, ऑटो चालक, ई रिक्शा चालक, रेहड़ी पटरी वाले , दुकानदार, व्यापारी हर एक सरकार चुनने में अपना योगदान देता है. इसी कड़ी में दिल्ली में चलने वाले ई-रिक्शा चालक से बात की. क्योंकि आज के समय में लाखों की तादाद में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं ऐसे में उनके कई अहम मुद्दे हैं जो कि चुनाव पर असर डालते हैं.


Body:ट्रैफिक पुलिस से परेशानी ई-रिक्शा चालक
आज से कुछ सालों पहले केवल सड़कों पर सार्वजनिक यातयात के साधन के लिए बसें और ऑटो ही नजर आया करते थे. लेकिन कुछ सालों पहले से सड़कों पर ई-रिक्शा की तादाद भी बढ़ी है. आज लाखों की संख्या में ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ते हैं. साउथ दिल्ली के गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन पर ई रिक्शा चलाने वाले संजय बताते हैं कि आज ई रिक्शा चालकों की संख्या बेशक बड़ी है, लेकिन उनकी परेशानियां भी इसी के साथ बढ़ गई है. क्योंकि अभी तक कहीं पर भी ई रिक्शा चालकों के लिए पर्याप्त स्टैंड की सुविधा नहीं है. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस अपनी मनमानी तरीके से हमारा चालान काट लेते हैं. एक रिक्शा चालक काफी मेहनत से अपनी रोजी रोटी कमाता है लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले 30 से 40 हज़ार का चालान काट देते हैं.


Conclusion:रूट परमिट और स्टैंड की नहीं है सुविधा
तमाम ई रिक्शा चालकों से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि सरकार ने हर एक को रोजगार देने के लिए ई रिक्शा की सुविधा तो दी है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस हमसे कहती है कि रूट परमिट आपको नहीं दिया गया है, तो फिर क्यों हमें ई रिक्शा देकर हमारे चालान काटे जा रहे हैं. हम केवल सरकार से यही मांग करते हैं, कि वह हमें परमानेंट स्टैंड और रूट परमिट दें. जिससे कि हम अपनी रोजी-रोटी अच्छे से कमा सके. क्योंकि आज जो ई रिक्शा चालक किराए का रिक्शा चलाता है. उस पर किराए के साथ-साथ कई चालान का बोझ भी बढ़ जाता है.
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