नई दिल्ली: गणेश महोत्सव 19 सितंबर से शुरू हाे रहा है. इस दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. यह पर्व मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है, लेकिन अब इसकी देशभर में धूम रहती है. राजधानी में भी कई संस्थाओं द्वारा गणेश चतुर्थी पर भव्य पंडाल लगाए जाते हैं. कई भक्त अपने घर पर भगवान की प्रतिमा स्थापित करते हैं. वहीं, इस वर्ष बाजार में ईको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड ज्यादा है. इन प्रतिमाओं को कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया है.
गणेश प्रतिमा खरीदने आए अमित ने बताया कि वह दो वर्षों से मिट्टी की प्रतिमा ले जाते हैं और उसको अपने घर में ही विसर्जित करते हैं. उनके इस प्रयास से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है. वहीं न्यू मोती नगर से प्रतिमा खरीदने आई अंजू ग्रोवर ने बताया कि वह 10 वर्षों से इको फ्रेंडली प्रतिमा को अपने घर ने स्थापित कर रही हैं. विसर्जन के बाद बची मिट्टी को गमलों में इस्तेमाल कर लेती हैं. जबकि दीप्ति टंडन ने बताया कि यमुना नदी में प्रतिमा विसर्जन करने से गणेश जी का अपमान होता है. यही कारण है कि वो 7 वर्षों से अपने घर में मिट्टी की प्रतिमा को स्थापित करती हैं.
दिल्ली में बिकने वाली बहुत सी गणेश प्रतिमाओं को कोलकाता से मंगाया जाता है. इसके बाद इसको यहां डेकोरेट किया जाता है. गणेश प्रतिमा को रंगने और डेकोरेशन का काम करने वाले अनिल राठौर ने बताया कि इको फ्रेंडली प्रतिमा को तैयार करने में लगभग 5 से 6 घंटों का समय लगता है.
मूर्तिकार राहुल राठौर ने बताया कि उनके पास मिट्टी की प्रतिमाएं ज्यादा है, क्योंकि आज कल लोग घरों में मिट्टी प्रतिमा को स्थापित करते हैं. ये आसानी में पानी में घुल जाती है. इसको पानी में घुलने में मात्र 15 से 20 मिनट का समय लगता है. उन्होंने बताया कि उनके पास 8,000 रुपए से 100 रुपए तक की गणेश प्रतिमा है, जो मिट्टी की है.
कितना पुराना है पंजाबी बाग में मूर्तियों का बाजार: दिल्ली के पंजाबी बाग में 50 वर्षों से मां दुर्गा, गणेश और मां सरस्वती की प्रतिमाओं को तैयार किया जाता है. मूर्तियों की बिक्री करने वाले बलजीत सिंह ने बताया कि वो 45 वर्षों से इस काम को कर रहे हैं. पंजाबी बाग के रामपुरा में भी प्रतिमाओं को बेचने की लगभग 30 दुकाने हैं. यहां तैयार की जाने वाली सभी प्रतिमाओं को कोलकाता से मंगाया जाता है, फिर उनको यहां फाइनल लुक दिया जाता है.
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