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NGT: एक महीने तक रोजाना होगी दिल्ली के वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग

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Published : Oct 1, 2019, 10:47 PM IST

सर्दियों के मौसम में राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. इस बार दिल्ली में वायु प्रदूषण ना बढ़े इसके लिए एनजीटी ने एक महीने तक रोजाना वायु प्रदूषण की मानिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं.

एनसीटी etv bharat

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खेतों में पराली जलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा है कि पराली से होने वाले वायु प्रदूषण की मानिटरिंग करने के लिए एक सप्ताह के अंदर अपने दफ्तर में एक स्पेशल सेल का गठन करें.

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि जिला स्तर पर भी मानिटरिंग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर में ऐसे स्पेशल सेल गठित करने का आदेश जारी करें.

एक महीने तक रोजाना वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग
एनजीटी ने कहा है कि अगले एक महीने तक वायु प्रदूषण की रोजाना मॉनिटरिंग की जाए और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि लोग जागरुक हो सकें. एनजीटी ने कहा कि छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाए. एनजीटी ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कृषि सचिवों को 15 अक्टूबर को तलब किया है.

सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने धन मुहैया कराया है लेकिन उसे मानिटरिंग करने और उसके मुताबिक प्रभावी रणनीति तय करने के लिए दिशानिर्देश दे. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने को लेकर एक लंबी रणनीति बनाने की जरुरत है.

पराली जलाने से बढ़ती है हवा में कार्बन डाइऑक्साइड
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 70 फीसदी तक बढ़ जाती है. हर साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आबोहवा खराब हो जाती है क्योंकि किसान पराली जलाते हैं.

एनजीटी ने पिछले 25 सितंबर को हुई उस बैठक का जिक्र किया है जिसमें केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार क प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में इस बात को नोट किया गया कि किसानों को पराली हटाने की मशीन देने का लक्ष्य 27020 रखा गया था उसमें केवल 6164 मशीनें ही बांटी गईं. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया कदम नाकाफी है. ये राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी रणनीति तय करें.

2018 में प्रदूषण अपने चरम पर
बता दें कि नवंबर 2018 में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर हालात में पहुंच गया था. लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था. सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो गई थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाए जाने के संबंध में सुप्रीम के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली-एनसीआर के पुलिस विभागों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खेतों में पराली जलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा है कि पराली से होने वाले वायु प्रदूषण की मानिटरिंग करने के लिए एक सप्ताह के अंदर अपने दफ्तर में एक स्पेशल सेल का गठन करें.

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि जिला स्तर पर भी मानिटरिंग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर में ऐसे स्पेशल सेल गठित करने का आदेश जारी करें.

एक महीने तक रोजाना वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग
एनजीटी ने कहा है कि अगले एक महीने तक वायु प्रदूषण की रोजाना मॉनिटरिंग की जाए और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि लोग जागरुक हो सकें. एनजीटी ने कहा कि छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाए. एनजीटी ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कृषि सचिवों को 15 अक्टूबर को तलब किया है.

सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने धन मुहैया कराया है लेकिन उसे मानिटरिंग करने और उसके मुताबिक प्रभावी रणनीति तय करने के लिए दिशानिर्देश दे. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने को लेकर एक लंबी रणनीति बनाने की जरुरत है.

पराली जलाने से बढ़ती है हवा में कार्बन डाइऑक्साइड
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 70 फीसदी तक बढ़ जाती है. हर साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आबोहवा खराब हो जाती है क्योंकि किसान पराली जलाते हैं.

एनजीटी ने पिछले 25 सितंबर को हुई उस बैठक का जिक्र किया है जिसमें केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार क प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में इस बात को नोट किया गया कि किसानों को पराली हटाने की मशीन देने का लक्ष्य 27020 रखा गया था उसमें केवल 6164 मशीनें ही बांटी गईं. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया कदम नाकाफी है. ये राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी रणनीति तय करें.

2018 में प्रदूषण अपने चरम पर
बता दें कि नवंबर 2018 में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर हालात में पहुंच गया था. लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था. सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो गई थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाए जाने के संबंध में सुप्रीम के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली-एनसीआर के पुलिस विभागों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

Intro:नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खेतों में पराली जलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली , पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे पराली से होनेवाले वायु प्रदूषण की मानिटरिंग करने के लिए एक सप्ताह के अंदर अपने दफ्तर में एक स्पेशल सेल का गठन करें। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि जिला स्तर पर भी मानिटरिंग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर में ऐसे स्पेशल सेल गठित करने का आदेश जारी करें।


Body:एनजीटी ने कहा कि अगले एक महीने तक वायु प्रदूषण की रोजाना मानिटरिंग की जाए और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि लोग जागरुक हो सकें। एनजीटी ने कहा कि छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मानिटरिंग की जाए। एनजीटी ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कृषि सचिवों को 15 अक्टूबर को तलब किया है।
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने धन मुहैया कराया है लेकिन उसे मानिटरिंग करने और उसके मुताबिक प्रभावी रणनीति तय करने के लिए दिशानिर्देश दे। एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने को लेकर एक लंबी रणनीति बनाने की जरुरत है।
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाईऑक्साईट की मात्रा 70 फीसदी तक बढ़ जाती है। हर साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आबोहवा खराब हो जाती है क्योंकि किसान पराली जलाते हैं।
एनजीटी ने पिछले 25 सितंबर को हुई उस बैठक का जिक्र किया है जिसमें केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार क प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक में इस बात को नोट किया गया कि किसानों को पराली हटाने की मशीन देने का लक्ष्य 27020 रखा गया था उसमें केवल 6164 मशीनें ही बांटी गईं । एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया कदम नाकाफी है। ये राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी रणनीति तय करें।
पिछले 9 जुलाई को एनजीटी ने इन राज्यों से पूछा था कि वे पराली जलाने की समस्या से कैसे निपटेंगे। एनजीटी ने इन राज्यों से पराली जलाने को रोकने के लिए उठाए गए कदमों और उसकी प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
दरअसल एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण और पराली जलाने की वजह से मौतें हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के वायु प्रदूषण में पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाने का 25-30 फीसदी योगदान होता है।
15 नवंबर 2018 को एनजीटी ने पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी छूट देने पर रोक लगा दी थी। दिल्ली में वायु प्रदूषण के गंभीर हालात पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े गए हैं, उनको राज्य सरकार द्वारा दी जा रही बिजली माफ़ी जैसी दूसरी छूट न दी जाए। एनजीटी ने पंजाब, हरियाणा, यूपी राजस्थान जैसे राज्यों को इसे लागू करने का निर्देश दिया। 
12 नवंबर 2018 को एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के कृषि विभाग के मुख्य सचिवों को तलब किया था । एनजीटी ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा था कि ये इमरजेंसी जैसे हालात हैं।



Conclusion:आपको बता दें कि नवंबर 2018 में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर हालात में पहुंच गया था। लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था। सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो गई थी।  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाए जाने के संबंध में सुप्रीम के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली-एनसीआर के पुलिस विभागों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
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