नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खेतों में पराली जलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा है कि पराली से होने वाले वायु प्रदूषण की मानिटरिंग करने के लिए एक सप्ताह के अंदर अपने दफ्तर में एक स्पेशल सेल का गठन करें.
एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि जिला स्तर पर भी मानिटरिंग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर में ऐसे स्पेशल सेल गठित करने का आदेश जारी करें.
एक महीने तक रोजाना वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग
एनजीटी ने कहा है कि अगले एक महीने तक वायु प्रदूषण की रोजाना मॉनिटरिंग की जाए और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि लोग जागरुक हो सकें. एनजीटी ने कहा कि छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाए. एनजीटी ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कृषि सचिवों को 15 अक्टूबर को तलब किया है.
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने धन मुहैया कराया है लेकिन उसे मानिटरिंग करने और उसके मुताबिक प्रभावी रणनीति तय करने के लिए दिशानिर्देश दे. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने को लेकर एक लंबी रणनीति बनाने की जरुरत है.
पराली जलाने से बढ़ती है हवा में कार्बन डाइऑक्साइड
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 70 फीसदी तक बढ़ जाती है. हर साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आबोहवा खराब हो जाती है क्योंकि किसान पराली जलाते हैं.
एनजीटी ने पिछले 25 सितंबर को हुई उस बैठक का जिक्र किया है जिसमें केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार क प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में इस बात को नोट किया गया कि किसानों को पराली हटाने की मशीन देने का लक्ष्य 27020 रखा गया था उसमें केवल 6164 मशीनें ही बांटी गईं. एनजीटी ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया कदम नाकाफी है. ये राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी रणनीति तय करें.
2018 में प्रदूषण अपने चरम पर
बता दें कि नवंबर 2018 में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर हालात में पहुंच गया था. लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था. सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो गई थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाए जाने के संबंध में सुप्रीम के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली-एनसीआर के पुलिस विभागों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.