नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में पूरे साल शराब को लेकर काफी शोर हुआ. शोर इतना कि साल भले ही खत्म होने वाला है, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा बनाई गई नई शराब नीति में घोटाले की जांच और अदालती कार्रवाई का अगले साल भी सुर्खियों में रहना तय है. दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में घोटाला कैसे सामने आया, जांच कहाँ तक पहुंचीं इस बारे में सब कुछ पढ़ें.
दिल्ली में पहले सरकारी दुकानों पर शराब की बिक्री होती थी. घोटाला सामने आने तथा नई शराब नीति को वापस लेने के बाद फिर से सरकारी दुकानों पर शराब बिकने लगी है. सरकारी दुकानों पर निर्धारित रेट पर ही चुनिंदा जगहों पर खुली दुकानों पर ही शराब बेची जाती थी. केजरीवाल सरकार ने पिछले साल नवंबर में शराब की बिक्री के लिए नई आबकारी नीति को लागू किया. इसके तहत शराब की बिक्री की जिम्मेदारी निजी कंपनियों व दुकानदारों को दे दिया गया. सरकार का कहना था कि इससे कंप्टीशन होगा और कम कीमत पर शराब खरीद सकेंगे. इसके अलावा दुकान पर देसी, विदेशी सभी ब्रांडों की शराब एक जगह मिलेगी.
लेकिन नई आबकारी नीति के तहत नवंबर 2021 से दिल्ली में बिक रही शराब की दुकानों को सरकार ने अगस्त 2022 में अचानक बंद करने का फैसला लिया. जिससे शराब की बिक्री को लेकर अफरा-तफरी मच गई. नई शराब नीति में घोटाला होने की बात शुरू से कही जा रही थी, लेकिन इस साल के मध्य में जब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसकी जांच सीबीआई को सौपीं तो दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को अचानक से रद करते हुए दिल्ली में शराब बेचने की पहले वाली व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी कर दिया.
अभी भी जारी है आरोप-प्रत्यारोपण
दिल्ली में नई शराब नीति को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए दिशा निर्देश को वापस लिए जाने के बाद विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया. इस फैसले से अभी काफी शोर मच रहा है. दिल्ली सरकार इसके लिए उपराज्यपाल को जिम्मेदार बता रही है वहीं उपराज्यपाल ने इस नीति को लागू करने में अनियमितता का हवाला देते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी है. नई शराब नीति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनातनी जारी है. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आरोप है कि चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के इरादे से तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नीति लागू होने से ठीक पहले नीति में बदलाव किया, इससे सरकार को रेवेन्यू का तगड़ा नुकसान हुआ. इसीलिए इस मामले की जांच सीबीआई करें. वहीं अब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस पॉलिसी को लागू करने में हुई चूक और कथित अनियमितताओं के मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी.
उन्होंने तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर ए गोपी कृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी समेत 11 लोगों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश दिए. यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल को सौंपी गई 37 पेज की रिपोर्ट के बाद की गई. रिपोर्ट में सतर्कता विभाग की जांच को आधार बनाया गया है. विजिलेंस विभाग द्वारा दी गई अपनी रिपोर्ट में नई आबकारी नीति में कई तरह की कथित गड़बड़ियों को उजागर किया गया है.
कोरोना काल में लाइसेंस धारकों को 144 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देना, मैन्युफैक्चरर्स और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को रिटेल में शराब बेचने का टेंडर मिलने, शराब कारोबारियों के एक साथ बिजनेस करने को आधार बनाया गया है. रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर ए गोपीकृष्ण और डिप्टी कमिश्नर आनंद कुमार तिवारी को सस्पेंड करने संबंधी फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई है जबकि 3 असिस्टेंट कमिश्नर पंकज भटनागर, नरेंद्र सिंह, नीरज गुप्ता सेक्शन ऑफिसर कुलदीप सिंह, सुभाष रंजन, सुमन डीलिंग हैंड सत्यव्रत भटनागर, सचिन सोलंकी और गौरव मान को निलंबित कर दिया गया है. इनमें से पूर्व कमिश्नर की जगह अब कृष्ण मोहन आ गए हैं.
इस तरह एक्शन में आई सीबीआई
सीबीआई ने इस संबंध में गत 17 अगस्त को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कुल 14 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया. देशभर के दर्जनों शहरों में छापेमारी हुई. इसमें पहली गिरफ्तारी 27 सितंबर को हुई. सरकार के करीबी विजय नायर को सीबीआई ने सबसे पहले गिरफ्तार किया और उसके बाद शराब निर्माता कंपनी के नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. नवंबर में सीबीआई ने इस मामले में सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है. इसमें आम आदमी पार्टी के संचार रणनीतिकार विजय नायर, अभिषेक बोनपल्ली, समीर महेंद्रु, अरुण रामचंद्र पिल्लई, मुथा गौतम के अलावा दो सरकारी सेवक कुलदीप सिंह और नरेंद्र सिंह का नाम शामिल है. आरोपी नंबर एक बनाए गए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ अभी चार्जशीट दायर नहीं हुई है. जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव प्रचार में खूब माइलेज लेने की कोशिश की.
पुरानी शराब नीति के तहत इस तरह होती है दिल्ली में शराब की बिक्री
पुरानी शराब पॉलिसी में L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर्स को दिया जाता था, जिसमें L1 दुकानें डीडीए के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शापिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं. दोनों तरह के लाइसेंस 2003 से चल रहे थे. L10 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे. पुरानी पॉलिसी के तहत 260 प्राइवेट रिटेल शॉप, 480 गवर्नमेंट शॉप यानी कुल 740 शॉप थी. हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता है.
नई शराब नीति के तहत बिक्री में केजरीवाल सरकार ने किया यह बदलाव
दिल्ली की नई शराब नीति 2021-2022 के तहत पूरी दिल्ली को 32 Liquor Zone में बांटा गया था. इसके तहत 849 दुकानें खुलीं. 31 जोन में 27 दुकानें मिली. एयरपोर्ट जोन को 10 दुकानें मिलीं. 639 दुकानें 9 मई को और 464 दुकानें 2 जून को खोली गईं. जबकि इस 17 नवंबर 2021 को लागू होने से पहले दिल्ली में शराब की कुल 864 दुकानें थी. 475 दुकानें सरकार चला रही थी, जबकि 389 दुकानें प्राइवेट थीं.
दिल्ली में नई शराब नीति को लागू करने के पीछे दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा तर्क शराब माफिया को खत्म करना और शराब के समान वितरण का था. साथ ही शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल कर दिया गया था. इसके साथ ही ड्राइ डे भी घट गए. इस नीति के लागू होने से दिल्ली पहली सरकार बनी जिसने शराब व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया. पब्लिक प्लेस में स्टोर के आगे कोई शराब पीता है तो पुलिस नहीं बल्कि स्टोर वाला जिम्मेदार होगा. लोगों को स्टैंडर्ड लेवल की शराब पीने को मिलने लगी थी.
दिल्ली में शराब की बिक्री को लेकर मची अफरातफरी के बीच फिलहाल नई नीति की जगह पुरानी नीति के तहत सरकारी दुकानों पर शराब की बिक्री हो रही है. इधर, इस मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमे की सुनवाई अदालत में अब नियमित रूप से होने लगी है. कुछ ने सरकारी गवाह बनने की भी इच्छा जताई है. मामले में अभियुक्त बनाए गए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच एजेंसी ठोस सबूत जुटाने के लगी है. इसी आधार पर अदालत में चार्जशीट दायर करेगी. कुल मिलाकर दिल्ली में शराब नीति को लागू करने और निरस्त करने में जो कुछ हुआ है वह आने वाले नए साल में भी जारी रहेगा.
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