नई दिल्ली: वर्ष 2022 समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. इस पूरे वर्ष न्यायपालिका अपनी टिप्पणियों, अपने आदेशों के लिए सुर्खियों (Courts remarks made headlines throughout year) में बनी रही. कहीं आम जनता को उसके अधिकारों के लिए राहत मिली, तो कुछ लोगों को कोर्ट ने जेल का रास्ता दिखाया. कई बार राजनीतिक दलों की नूरा कुश्ती का मैदान भी कोर्ट को बनना पड़ा. वहीं कई बार आतंकियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में न्यायपालिका ने तत्परता दिखाई. इस वर्ष के 10 प्रमुख घटनाओं पर आइए नजर डालते हैं.
6 महीने बाद भी कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को नहीं दी जमानत: दिल्ली और देश में सबसे ज्यादा चर्चा रही तो दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के मनी लांड्रिंग घोटाले (Money Laundering Scam) में जेल जाने की. मई माह के अंत में गिरफ्तार किए गए सत्येंद्र जैन अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं. ट्रायल कोर्ट (Trial court) से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) तक उनकी नए-नए आवेदनों और बयानों ने सुर्खियां बटोरी और लोगों की नजरों में लगातार बने रहे.
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में मनीष सिसोदिया: साल का अंत होते-होते दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस (Delhi Excise Policy Case) में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के.कविता समेत कई बड़े नाम कोर्ट के चक्कर लगाते दिखाई देने लगे. राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में कई बड़े कारोबारी और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग बेल और जेल के आवेदन देते हुए नजर आए. इस मामले में सीबीआई ने 10 हजार पेज का आरोप पत्र दाखिल किया है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने 1000 पन्नों की चार्जशीट पेश की है.
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 सप्ताह की गर्भवती महिला को दी गर्भपात की अनुमति: एक तरफ जहां राजनीतिक दल के भ्रष्टाचार के मामले सुर्खियां बटोर रहे थे, तो दूसरी तरफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने महिला अधिकारों को लेकर एक सशक्त कदम उठाया. दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 33 सप्ताह (लगभग 8 माह) की गर्भवती महिला को गर्भपात करने की अनुमति दी (Delhi High Court allows abortion to 33 weeks pregnant woman). साथ ही कोर्ट ने इस मामले में सशक्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मां का निर्णय ही अंतिम है. केवल मां ही यह तय कर सकती है कि वह आने वाले बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं. यह निर्णय निश्चय ही एक मामले के लिए था लेकिन कानून के विशेषज्ञ बताते हैं कि यह आगे कई मामलों में नजीर का काम करेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट में भिड़े एलजी और दिल्ली के मुख्यमंत्री: दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के वाइस चेयरमैन जैस्मिन शाह (Jasmine Shah, Vice Chairman of Delhi Dialogue and Development Commission) को हटाए जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) राजनीतिक दलों की नूरा कुश्ती का अखाड़ा नजर आया, जहां एक तरफ दिल्ली के उपराज्यपाल ने जैस्मिन शाह को वाइस चेयरमैन पद से हटाने का निर्देश जारी किया, वहीं दिल्ली सरकार ने इसे चुनौती देते हुए उपराज्यपाल की अनुशंसा को अस्वीकार कर दिया. मामला कोर्ट में पहुंचा लेकिन उपराज्यपाल के पक्ष से पहले ही दिल्ली सरकार ने उनकी सिफारिशों और उनके निर्देशों को मानने से ही इनकार कर दिया. कोर्ट इस मामले में उपराज्यपाल के आदेशों की वैधानिकता की जांच के बाद अपना निर्णय सुनाएगा.
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पटियाला हाउस कोर्ट ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा दी: इस वर्ष की सबसे बड़ी सुर्खी रही कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सजा. पटियाला हाउस (Patiala House Court) स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत में यूएपीए के मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा दी (Yasin Malik sentenced to life imprisonment). कोर्ट ने स्पष्ट किया की यासीन मलिक को मृत्यु पर्यंत जेल में ही रहना होगा. साथ ही यह पहली बार हुआ कि यासीन मलिक को कोर्ट ने आतंकवादी के तौर पर स्वीकार किया. कोर्ट ने माना कि यासीन मलिक टेरर फंडिंग कर रहे थे और आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दे रहे थे. इस फैसले के बाद देश के लोगों को उम्मीद बंधी है कि जल्द ही अन्य आतंकियों को भी कोर्ट सजा सुनाएगा.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को कोर्ट ने एक बार फिर भेजा जेल: शिक्षक भर्ती घोटाले (Teacher Recruitment Scam) से जुड़े एक मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Haryana Om Prakash Chautala) को राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में एक बार फिर से जेल भेज दिया है. 10 साल की सजा काट चुके ओमप्रकाश चौटाला को 2.31 करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई. इस दौरान बचाव पक्ष ने कई बार प्रयास किया कि उन्हें 2 साल से कम की सजा सुनाई जाए ताकि उन्हें जेल न जाना पड़े, लेकिन कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ओम प्रकाश चौटाला को 4 सालों के लिए जेल भेज दिया है.
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महाठग सुकेश चंद्रशेखर के चक्कर में बॉलीवुड सुंदरियों ने लगाए पटियाला हाउस कोर्ट के चक्कर: पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) न केवल आतंकियों और जघन्य अपराधियों के मामलों की सुनवाई कर रहा था बल्कि बॉलीवुड का ग्लैमर भी पटियाला हाउस के चक्कर लगा रहा था. 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Cases) में सुकेश चंद्र शेखर से गिफ्ट और महंगी गाड़ियां लेने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री नोरा फतेही और जैकलिन फर्नांडीस पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में अपनी बेल के लिए चक्कर लगाती नजर आईं. मामला खुलने पर अभी कई अभिनेता अभिनेत्रियों के भी इस केस में शामिल होने की आशंका है.
कुतुबमीनार में पूजा करने को लेकर कोर्ट पहुंचे हिंदूवादी संगठन: राम मंदिर के बाद जहां काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में पूजा को लेकर आवाजें तेज हो रही हैं, तो मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) को लेकर भी विवाद बढ़ रहा है. वहीं दिल्ली में कुतुब मीनार मस्जिद परिसर (Qutub Minar Mosque Complex) में पूजा को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने साकेत कोर्ट (Saket Court) में अपील दाखिल की है. हालांकि कुतुब मीनार परिसर में दाखिल किए गए मुकदमे की प्रकृति दीवानी मामले की है, जिसमें भूमि के अधिकार को लेकर के सवाल किए गए हैं. 2022 में शुरू हुए इस मामले का अंत कब होगा यह तो पता नहीं लेकिन निश्चय ही इस मामले ने भी सुर्खियां बटोरी.
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दिल्ली दंगा मामले में ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणियां बनी सुर्खियां: 2020 में हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों ने 2022 में भी लोगों की नजरों में बना रहा. उमर खालिद, शरजील इमाम, समीर दंगों के मामले में बंद कई आरोपियों की जमानत याचिका और इस मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट (Trial court) और दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की टिप्पणियां और आदेश लोगों के लिए रोचक बने रहे. वहीं कानून के जानकारों का कहना है कि दिल्ली दंगा मामले में हो रही सुनवाई या आगे आने वाले मामलों में अपने आप में एक नजीर होंगी, जिनसे यूएपीए जैसी गंभीर धाराओं में होने वाले अपराधों को लेकर आगे के फैसले भी प्रभावित होंगे.
राउज एवेन्यू कोर्ट के न्यायिक अधिकारी का आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने किया निलंबित: साल के अंत होते-होते राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में एक न्यायिक अधिकारी द्वारा अपने ही स्टाफ के साथ आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के मामले में जहां न्यायालय की छवि धूमिल हुई, तो वहीं दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जज को निलंबित कर जनता में अपना विश्वास बनाए रखने का प्रयास किया. कोर्ट ने आरोपी न्यायिक अधिकारी को आनन-फानन में छुट्टी पर भेजा और उन्हें निलंबित कर दिया. वहीं महिला कर्मचारी को भी कोर्ट ने निलंबित कर दिया है.
उतार-चढ़ाव से भरे 2022 में न्यायपालिका ने आम जनता के मन में अपनी छवि मजबूत की है. न्यायाधीशों के फैसलों ने यह साबित किया कि भारत की जनता के अधिकारों के सच्चे संरक्षक न्यायालय है.
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