नई दिल्ली: 2022 का साल दिल्ली बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के लिए एक ऐसा साल रहा जिसे भूलना ही अच्छा होगा. साल भर मेहनत करने के बावजूद दिल्ली बीजेपी के हाथ सिर्फ निराशा लगी, चाहे वह राजेंद्र नगर उपचुनाव (Rajendra Nagar bypoll) हो या फिर एमसीडी चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election). साल खत्म होते-होते निराशाजनक नतीजों और खराब परफॉरमेंस के चलते अध्यक्ष आदेश गुप्ता को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. वहीं कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में वीरेंद्र सचदेवा को जिम्मेदारी मिली.
2022 की शुरुआत से ही दिल्ली बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच एमसीडी चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) को लेकर आपसी तकरार और राजनीतिक खींचतान सड़क से लेकर एमसीडी के अंदर तक में देखने को मिली. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) द्वारा एमसीडी के रोके जा रहे फंड और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बीजेपी लगातार विरोध-प्रदर्शन कर जनता के बीच अपने खोए विश्वास को वापस पाने की पूरी कोशिश की. नई एक्साइज पॉलिसी (New Excise Policy), हवाला के आरोप में सत्येंद्र जैन का जेल जाना (Satyendra Jain goes to jail on charges of hawala), जल बोर्ड घोटाला (Water Board Scam) आदि कुछ ऐसे मामले रहे जिसको लेकर साल भर दिल्ली बीजेपी के नेताओं ने ना सिर्फ आप के खिलाफ मोर्चा खोला बल्कि मुख्यमंत्री पर सवाल उठाते नजर आएं. यहां तक कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी (Union Minister Hardeep Puri), मीनाक्षी लेखी (Union Minister Meenakshi Lekhi) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) पर सवाल उठाने के साथ गंभीर आरोप लगाते दिखे.
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अप्रैल महीने के अंत में एमसीडी के चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) स्थगित करना होने और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ दिल्ली बीजेपी और आप के बीच जुबानी जंग तेज होती हुई नजर आई. इसके बाद अगले कुछ महीनों तक एमसीडी के चुनाव में हो रही देरी के बीच दिल्ली बीजेपी की प्रदेश इकाई पूरी तरीके से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) पर ना सिर्फ हमलावर रही बल्कि सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रकार के कई कैंपेन चला कर लोगों के बीच में अपना पक्ष भी रखा. नमो साइबर योद्धा, दिल्ली का लड़का, यमराज चित्रगुप्त संवाद, डिजिटल पोस्टर, ग्राफिक कार्टून के जरिए केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दिल्ली बीजेपी नजर आई.
वहीं सब के बीच हुए राजेंद्र नगर विधानसभा के उपचुनाव (Rajendra Nagar bypoll) में बीजेपी पूरी ताकत और जोर-शोर के साथ चुनाव लड़ा. कई केंद्रीय मंत्रियों को भी चुनाव प्रचार में उतारा. लेकिन बीजेपी को सफलता हाथ नहीं लग पाई. हालांकि बीजेपी का वोट शेयर पुराना ही रहा, लेकिन इसके बावजूद उसे हार का सामना करना पड़ा.
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साल का अंत होते होते हुए एमसीडी के चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) में दिल्ली बीजेपी की प्रदेश इकाई एक बार फिर पूरे दमखम के साथ प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में उतरी, जहां एक से बढ़कर एक केंद्रीय मंत्री, दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्रियों, नेताओं और बीजेपी के सभी बड़े चेहरों ने अपना पूरा जोर लगाया है. यहां तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (BJP National President Jagat Prakash Nadda) ने एक के बाद एक आधा दर्जन से ज्यादा कार्यक्रम दिल्ली में किए, जिसमें दो रोड शो अलग से शामिल थे. लेकिन इस सब के बावजूद वह दिल्ली बीजेपी की प्रदेश इकाई को एमसीडी चुनाव में मिली हार से नहीं बचा पाए. 4 दिसंबर को हुए मतदान के बाद 7 दिसंबर को आखिरकार जो नतीजा एमसीडी के सामने आए उसमें आम आदमी पार्टी को 134 सीट मिली तो वहीं बीजेपी में 104 सीट पर बहुमत से 22 सीटें दूर पर सीमित रह गई. इसको लेकर एक बार फिर बीजेपी की प्रदेश इकाई में इस हार को लेकर मंथन शुरू हुआ और प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को मजबूरन हार की जिम्मेदारी अपना इस्तीफा देना पड़ा. जिस दिन आदेश गुप्ता के इस्तीफे खबर सामने आई, उसी दिन दिल्ली बीजेपी के नए कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी गई. इस बार पंजाबी लोधी से आने वाले 1998 से बीजेपी से जुड़े हुए वरिष्ठ कार्यकर्ता वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि शुरुआत के कुछ दिन वीरेंद्र सचदेवा ने मिलने से दूरी जरूर बनाई रखी. लेकिन इस बीच उन्होंने सामने आकर अपनी बात जाहिर कर दी कि उनका अगला लक्ष्य 2024 का चुनाव है जिसके लिए वह संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए काम करेंगे.
एक तरह से देखा जाए तो 2022 का साल दिल्ली प्रदेश के कई के लिए बेहद निराशाजनक रहा. एमसीडी चुनाव में बीजेपी को टिकटों के गलत बंटवारे और अपने ही नेताओं की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ा. दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की बराबरी का नेता ना खड़ा कर पाना भी दिल्ली बीजेपी की सबसे बड़ी खामी रही, जिसे आने वाले 2023 के नए साल में दूर करना चाहेंगी.
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