नई दिल्ली: पिछले दिनों से महाराष्ट्र, हरियाणा के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव होने के कयास लगाए जा रहे थे. अब उन सभी अटकलों को चुनाव आयोग ने खंडन कर दिया है. चुनाव आयोग ने साफ किया है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव अपने निर्धारित समय 7 फरवरी 2020 को होंगे.
7 फरवरी 2020 को मतदान
दिल्ली में मतदान के लिए 7 फरवरी 2020 की तारीख तय की गई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने 7 फरवरी 2020 तक का शेड्यूल तैयार कर दिल्ली के सभी जिला अधिकारियों को भेज दिया है. जो अपने-अपने जिले के निर्वाचन अधिकारी बनाए जाएंगे.
साल 2015 में भी 7 फरवरी को ही दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए थे. 10 तारीख को मतगणना हुई थी और 14 तारीख को अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण किया था.
कुल 145 दिन होंगी बैठकें
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जो 11 पेज का शेड्यूल जारी किया है. उसके मुताबिक चुनावी तैयारियों के लिए कुल 145 दिन बैठेके होंगी. चुनाव गतिविधियों से संबंधित सभी मुद्दों पर इन बैठकों में चर्चा की जाएगी.
आगामी 7 सितंबर को सभी जिलाधिकारियों से EVM को लेकर चर्चा करने और उन्हें प्रशिक्षण देने का प्लान तैयार किया गया है. मतदान से 4 महीना पहले 10 अक्टूबर को EVM की पहले चरण के तहत जांच होगी और उसके बाद सभी जिलाधिकारियों को अपनी वेबसाइट अपडेट करने को कहा गया है.
7 दिसंबर को जारी होंगे टेंडर
इसी तरह चुनाव कराने पर आने वाले खर्च के बजट का प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजा जाएगा. उससे ठीक 2 महीने पहले यानी 7 दिसंबर को चुनाव में उपयोग होने वाले मटेरियल के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे. स्ट्रांग रूम मतगणना केंद्र समेत चुनाव प्रचार के लिए ब्रांड एंबेसडर तय कर लिया गया है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार अपनी लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए अब जिस तेजी से काम कर रही है लेकिन अब चुनाव समय पर होने से सरकार को बड़ी राहत मिलेगी.
अटकलों पर लगा विराम
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में ही पूरा होने जा रहा है. चूंकि चुनाव आयोग विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से 6 महीने पहले कभी भी चुनाव कराने को लेकर अधिसूचना जारी कर सकता है.
इसी के मद्देनजर कयास लगाए जा रहे थे कि अक्टूबर में महाराष्ट्र, हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही कहीं दिल्ली विधानसभा का चुनाव ना करा लिया जाए.
अक्टूबर में चुनाव होने से सरकार के पास कामकाज के लिए कम समय बचता जिसका फायदा विपक्ष उठाना चाहती था. अब चुनाव आयोग ने जिस तरह आगामी चुनाव के लिए शेड्यूल जारी कर दिया है इससे स्थिति साफ हो गई है.