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दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण वित्तपोषित कॉलेजों को अपने अधीन ले दिल्ली विश्वविद्यालय : फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस

ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा के मामले में हर स्तर पर विफल रही है. दिल्ली सरकार का उच्च शिक्षा का बहुचर्चित मॉडल दिल्ली के छात्रों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं रहा है. यह पूरी तरह से विफल रहा है. आप सरकार ने जनता के सामने चुनावी वायदा किया था कि वे सत्ता में आएंगे तो दिल्ली के छात्रों के लिए 20 नए कॉलेज खोलेंगे लेकिन पिछले नौ वर्षों में दिल्ली सरकार ने एक भी कॉलेज नहीं खोला.

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Published : Mar 18, 2023, 6:21 PM IST

नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली सरकार से संबद्ध पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड कटौती व शिक्षकों / कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने पर चिंता जताई है. इन कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को जहाँ हर महीने समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. वहीं, लंबे समय से इनमें नियुक्ति व पदोन्नति भी नहीं की जा रही है. इनमें से 7 कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है.

क्या कहते हैं फोरम के चैयरमेनः फोरम के चेयरमैन डॉक्टर हंसराज सुमन ने बताया कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा के मामले में हर स्तर पर विफल रही है. दिल्ली सरकार का उच्च शिक्षा का बहुचर्चित मॉडल दिल्ली के छात्रों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं रहा है. यह पूरी तरह से विफल रहा है. आप सरकार ने जनता के सामने चुनावी वायदा किया था कि वे सत्ता में आएंगे तो दिल्ली के छात्रों के लिए 20 नए कॉलेज खोलेंगे लेकिन पिछले नौ वर्षों में दिल्ली सरकार ने एक भी कॉलेज नहीं खोला. उन्होंने दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लाने की मांग की है.

जो पूर्ण वित्तपोषित कॉलेज चल रहे थे उनको भी दिल्ली सरकार सही से नहीं संभाल पा रही है. डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की प्रबंध समिति के साथ-साथ सरकार के वित्त पोषित 20 कॉलेजों का सिर्फ़ राजनीतिकरण किया है. जबसे आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रिंसिपल, शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति भी नहीं होने दी है.

इससे पहले किसी भी दिल्ली सरकार के समय उच्च शिक्षा के सामने ऐसा संकट देखने को नहीं मिला था. जैसा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के समय देखने को मिल रहा है. इसलिए अव्यवस्था और आर्थिक संकट से जूझ रहे दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को तुरंत दिल्ली विश्वविद्यालय को अपने अधीन ले लेना चाहिए.

20 कॉलेजों में की जानी है स्थाई प्रिंसिपलों की नियुक्तिः डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि 16 दिसंबर 2022 से पूर्व कॉलेजों की प्रबंध समितियों में आम आदमी पार्टी के ही चेयरमैन व कोषाध्यक्ष थे बावजूद इसके शिक्षकों का रोस्टर तक पास नहीं करा सकें. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लगभग 20 कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों और दो हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है, लेकिन इन्होंने उनकी नियुक्ति नहीं होने दी. जहां स्थाई प्रिंसिपल थे सिर्फ़ वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव में शिक्षकों व कर्मचारियों का रोस्टर पास कराकर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है.

इस दिशा में शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स व स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज आदि में स्थायी नियुक्ति जारी है. दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में एक तरफ इमारतों, क्लास-रूम्स, प्रयोगशालाओं, छात्राओं के कॉमन रूम, शौचालय, दिव्यांग छात्रों के लिए रैम्प, लिफ्ट व अन्य उपकरण जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को पूरा करने में ये कॉलेज विफल रहे हैं. दूसरी तरफ वेतन, भत्ता, बकाया, चिकित्सा बिल, एलटीसी बिल आदि का भुगतान भी समय पर नहीं किया गया है, यदि कहीं भुगतान हुआ भी है तो अपर्याप्त ही हुआ है.

ये भी पढ़ेंः Naatu Naatu Song: पुरानी दिल्ली में नाटू-नाटू की धुन पर थिरकते नजर आए जर्मन राजदूत

नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली सरकार से संबद्ध पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड कटौती व शिक्षकों / कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने पर चिंता जताई है. इन कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को जहाँ हर महीने समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. वहीं, लंबे समय से इनमें नियुक्ति व पदोन्नति भी नहीं की जा रही है. इनमें से 7 कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है.

क्या कहते हैं फोरम के चैयरमेनः फोरम के चेयरमैन डॉक्टर हंसराज सुमन ने बताया कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा के मामले में हर स्तर पर विफल रही है. दिल्ली सरकार का उच्च शिक्षा का बहुचर्चित मॉडल दिल्ली के छात्रों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं रहा है. यह पूरी तरह से विफल रहा है. आप सरकार ने जनता के सामने चुनावी वायदा किया था कि वे सत्ता में आएंगे तो दिल्ली के छात्रों के लिए 20 नए कॉलेज खोलेंगे लेकिन पिछले नौ वर्षों में दिल्ली सरकार ने एक भी कॉलेज नहीं खोला. उन्होंने दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लाने की मांग की है.

जो पूर्ण वित्तपोषित कॉलेज चल रहे थे उनको भी दिल्ली सरकार सही से नहीं संभाल पा रही है. डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की प्रबंध समिति के साथ-साथ सरकार के वित्त पोषित 20 कॉलेजों का सिर्फ़ राजनीतिकरण किया है. जबसे आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रिंसिपल, शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति भी नहीं होने दी है.

इससे पहले किसी भी दिल्ली सरकार के समय उच्च शिक्षा के सामने ऐसा संकट देखने को नहीं मिला था. जैसा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के समय देखने को मिल रहा है. इसलिए अव्यवस्था और आर्थिक संकट से जूझ रहे दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को तुरंत दिल्ली विश्वविद्यालय को अपने अधीन ले लेना चाहिए.

20 कॉलेजों में की जानी है स्थाई प्रिंसिपलों की नियुक्तिः डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि 16 दिसंबर 2022 से पूर्व कॉलेजों की प्रबंध समितियों में आम आदमी पार्टी के ही चेयरमैन व कोषाध्यक्ष थे बावजूद इसके शिक्षकों का रोस्टर तक पास नहीं करा सकें. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लगभग 20 कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों और दो हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है, लेकिन इन्होंने उनकी नियुक्ति नहीं होने दी. जहां स्थाई प्रिंसिपल थे सिर्फ़ वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव में शिक्षकों व कर्मचारियों का रोस्टर पास कराकर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है.

इस दिशा में शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स व स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज आदि में स्थायी नियुक्ति जारी है. दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में एक तरफ इमारतों, क्लास-रूम्स, प्रयोगशालाओं, छात्राओं के कॉमन रूम, शौचालय, दिव्यांग छात्रों के लिए रैम्प, लिफ्ट व अन्य उपकरण जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को पूरा करने में ये कॉलेज विफल रहे हैं. दूसरी तरफ वेतन, भत्ता, बकाया, चिकित्सा बिल, एलटीसी बिल आदि का भुगतान भी समय पर नहीं किया गया है, यदि कहीं भुगतान हुआ भी है तो अपर्याप्त ही हुआ है.

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