नई दिल्ली: दिल्ली रोहिणी अदालत ने शुक्रवार को मानहानि के मुकदमे में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) व अन्य को नए समन जारी किए हैं. दरअसल एक याचिका में बीबीसी को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पब्लिश करने से रोकने की मांग की गई है, जिसका संबंध पीएम मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से है.
रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रुचिका सिंगला ने भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कहा कि बीबीसी और अन्य प्रतिवादी, विकिमीडिया फाउंडेशन और अमेरिका स्थित डिजिटल लाइब्रेरी इंटरनेट आर्काइव, विदेशी संस्थाएं हैं और समन दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान, अदालत ने शुक्रवार को यह भी कहा कि वकीलों द्वारा सिर्फ 'वकालतनामा' दाखिल करने से निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रतिवादी संस्थाओं को समन जारी नहीं किया जा सकता है.
यह स्पष्ट है कि हेग कन्वेंशन के तहत और भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए नियमों के अनुसार, विदेशों में समन/नोटिस केवल कानूनी मामलों के विभाग, कानून मंत्रालय के माध्यम से ही प्रभावी किए जा सकते हैं, जो कि वर्तमान मामले में निश्चित रूप से नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया है कि आरएसएस और विहिप के खिलाफ लगाए गए आरोप संगठनों और उसके लाखों सदस्यों/स्वयंसेवकों को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित हैं.
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ऐसे आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि इससे आरएसएस और विहिप की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचने की भी संभावना है. इससे इनके लाखों सदस्य/स्वयंसेवक, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है, उनकी भावनाओं को भी ठेस लगी है.
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(आईएएनएस)