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BBC Documentary Row: दिल्ली रोहिणी कोर्ट ने बीबीसी को नया समन किया जारी, आरएसएस और विहिप को लेकर कही ये बात

राजधानी में रोहिणी कोर्ट ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री मामले में बीबीसी को नया समन जारी किया है. कोर्ट का कहना है कि आरोपों से संगठन के लाखों सदस्यों की भावनाओं को ठेस पहुंची है.

Delhi Rohini Court
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Published : Jul 7, 2023, 10:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली रोहिणी अदालत ने शुक्रवार को मानहानि के मुकदमे में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) व अन्य को नए समन जारी किए हैं. दरअसल एक याचिका में बीबीसी को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पब्लिश करने से रोकने की मांग की गई है, जिसका संबंध पीएम मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से है.

रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रुचिका सिंगला ने भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कहा कि बीबीसी और अन्य प्रतिवादी, विकिमीडिया फाउंडेशन और अमेरिका स्थित डिजिटल लाइब्रेरी इंटरनेट आर्काइव, विदेशी संस्थाएं हैं और समन दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान, अदालत ने शुक्रवार को यह भी कहा कि वकीलों द्वारा सिर्फ 'वकालतनामा' दाखिल करने से निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रतिवादी संस्थाओं को समन जारी नहीं किया जा सकता है.

यह स्पष्ट है कि हेग कन्वेंशन के तहत और भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए नियमों के अनुसार, विदेशों में समन/नोटिस केवल कानूनी मामलों के विभाग, कानून मंत्रालय के माध्यम से ही प्रभावी किए जा सकते हैं, जो कि वर्तमान मामले में निश्चित रूप से नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया है कि आरएसएस और विहिप के खिलाफ लगाए गए आरोप संगठनों और उसके लाखों सदस्यों/स्वयंसेवकों को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित हैं.

यह भी पढ़ें-राहुल गांधी को मोदी उपनाम मानहानि मामले में जल्द ही करना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का रुख: कानूनी विशेषज्ञ

ऐसे आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि इससे आरएसएस और विहिप की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचने की भी संभावना है. इससे इनके लाखों सदस्य/स्वयंसेवक, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है, उनकी भावनाओं को भी ठेस लगी है.

यह भी पढ़ें-Sexual Harassment Case: बृजभूषण शरण सिंह को समन, 18 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: दिल्ली रोहिणी अदालत ने शुक्रवार को मानहानि के मुकदमे में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) व अन्य को नए समन जारी किए हैं. दरअसल एक याचिका में बीबीसी को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पब्लिश करने से रोकने की मांग की गई है, जिसका संबंध पीएम मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) या विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से है.

रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रुचिका सिंगला ने भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कहा कि बीबीसी और अन्य प्रतिवादी, विकिमीडिया फाउंडेशन और अमेरिका स्थित डिजिटल लाइब्रेरी इंटरनेट आर्काइव, विदेशी संस्थाएं हैं और समन दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान, अदालत ने शुक्रवार को यह भी कहा कि वकीलों द्वारा सिर्फ 'वकालतनामा' दाखिल करने से निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रतिवादी संस्थाओं को समन जारी नहीं किया जा सकता है.

यह स्पष्ट है कि हेग कन्वेंशन के तहत और भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए नियमों के अनुसार, विदेशों में समन/नोटिस केवल कानूनी मामलों के विभाग, कानून मंत्रालय के माध्यम से ही प्रभावी किए जा सकते हैं, जो कि वर्तमान मामले में निश्चित रूप से नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया है कि आरएसएस और विहिप के खिलाफ लगाए गए आरोप संगठनों और उसके लाखों सदस्यों/स्वयंसेवकों को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित हैं.

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ऐसे आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि इससे आरएसएस और विहिप की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचने की भी संभावना है. इससे इनके लाखों सदस्य/स्वयंसेवक, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है, उनकी भावनाओं को भी ठेस लगी है.

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(आईएएनएस)

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