नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी की सभी सार्वजनिक शौचालयों के उचित रखरखाव की मांग वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने जिम्मेदार अधिकारियों को सार्वजनिक शौचालयों की सफाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने अधिकारियों से इस संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट भी हाई कोर्ट में फाइल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई को सूचीबद्ध किया गया है.
स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन: अधिवक्ता बांके बिहारी के माध्यम से जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी नामक एक पंजीकृत सोसायटी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है, इस वजह से जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सार्वजनिक शौचालयों को स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी इलाके के नागरिक और अधिकारियों के कंधों पर है. अगर इसकी देख-रेख सही तरीके से नहीं किया जा रहा है, तो यह भारत के संविधान के भाग तीसरे के अनुच्छेद 21 के द्वारा किए गए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन करता है.
इसके अलावा, अनुच्छेद 47 के माध्यम से जनहित याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान में राज्य आम लोगों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के कार्य के साथ-साथ सशक्त भी है. इसलिए आम लोगों की भी जिम्मेदारी है कि शहर के अंदर उपलब्ध सार्वजनिक शौचालयों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि वह साफ और स्वच्छ हैं. इसके साथ वहां पानी और बिजली की उचित आपूर्ति है या नहीं इसका भी ध्यान रखें.
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याचिकाकर्ता ने अदालत से राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक मूत्रालयों के निर्माण के लिए अधिकारियों से उचित कदम उठाने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, दिल्ली की केजरीवाल सरकार और एमसीडी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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