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अच्छी खबर: 7 साल में महिला हेल्प डेस्क ने बढ़ाया महिलाओं का आत्मविश्वास

दिल्ली में साल 2013 में महिला हेल्प डेस्क की पहल ने आज महिलाओं के अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाया है. अब महिलाएं पुलिस थाने में अपनी शिकायत को दर्ज कराने के लिए घबराती नहीं हैं. इस डेस्क के जरिए महिलाओं की शिकायत महिला पुलिसकर्मी सुनती हैं.

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Published : Oct 20, 2020, 5:20 PM IST

delhi police women help desk started in 2013 now making women self confident
दिल्ली पुलिस हेल्प डेस्क से मिहलाओं को मिली सुविधा

नई दिल्ली: राजधानी के किसी भी थाने में अगर कोई महिला शिकायत करने जाती है, तो उन्हें अब हिचकिचाहट नहीं होती. वह सीधे महिला हेल्प डेस्क पर जाती है, जहां महिला पुलिसकर्मी तैनात रहती हैं. वह न सिर्फ उनकी शिकायत सुनती हैं, बल्कि उसका समाधान करने का भी प्रयास करती हैं. साल 2013 में दिल्ली के थानों में हुई इस नई पहल ने महिलाओं में आत्मविश्वास जगाया और वह थाने जाने से नहीं घबराती हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

भीम सेन बस्सी ने की थी शुरुआत

जानकारी के अनुसार, किसी भी थाने में महिला जब शिकायत करने जाती है, तो उसे वहां पुरुष पुलिसकर्मी से मिलना पड़ता है. महिला शिकायतकर्ता को अपने साथ हुई घटना पुलिसकर्मी को बतानी पड़ती है, जो उसके लिए आसान नहीं होता. इस समस्या का समाधान करने के लिए साल 2013 में तत्कालीन दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी ने प्रत्येक थाने में महिला हेल्प डेस्क की शुरुआत की थी. उन्होंने महिला हेल्प डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया ताकि महिलाएं जब शिकायत करने पहुंचे तो वह बेझिझक अपनी बात महिला पुलिसकर्मी को बता सकें. दिल्ली के सभी थानों में बीते सात वर्ष से यह सुविधा चल रही है.

महिलाएं थाने में नहीं होती असहज

मध्य जिला डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि महिला हेल्प डेस्क का बड़ा फायदा दिल्ली में देखने को मिल रहा है. पहले जहां थाने में शिकायत करने से पहले महिलाएं घबराती थीं कि वह अपनी आपबीती पुरुष पुलिसकर्मी को कैसे बताएंगी, लेकिन अभी के समय में उन्हें थाने में हेल्प डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी मिलती हैं. यह महिला पुलिसकर्मी न सिर्फ उनकी शिकायत को सुनती हैं, बल्कि खुद एक महिला होने के नाते बेहतर ढंग से उनकी बातों को समझती हैं. वहीं महिला शिकायतकर्ता भी अपनी बात उनके समक्ष रखने में असहज महसूस नहीं करती हैं.

कोरोना काल में बना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम

डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि अभी के समय में अधिकांश शिकायतकर्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुना जाता है. इसके लिए प्रत्येक थाने में एक छोटा सा कमरा बनाया गया है. जहां पर शिकायतकर्ता आकर न सिर्फ ड्यूटी अफसर और महिला हेल्प डेस्क बल्कि एसएचओ से भी अपनी बात कर सकता है. अभी के समय में थाने में आने वाली महिलाएं भी इसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम का इस्तेमाल कर महिला हेल्प डेस्क से जुड़ती हैं. इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर महिला शिकायतकर्ता से हेल्प डेस्क पर मौजूद महिला पुलिसकर्मी मिलकर भी बातचीत करती है.

महिला शिकायत करने के लिए आई आगे

बीते वर्षों के आंकड़े भी बताते हैं कि किस प्रकार से साल 2013 के बाद महिला से संबंधित शिकायतों को दिल्ली के थानों में अधिक दर्ज किया गया. इसकी एक बड़ी वजह थाने में महिला हेल्प डेस्क का होना है. इस हेल्प डेस्क के खुलने से महिलाएं आत्मविशवास के साथ शिकायत करने के लिए पहुंचने लगी. उन्हें विश्वास होने लगा कि वहां तैनात महिला पुलिसकर्मी एक महिला होने के नाते उनकी समस्या को बेहतर ढंग से समझेंगी.

नई दिल्ली: राजधानी के किसी भी थाने में अगर कोई महिला शिकायत करने जाती है, तो उन्हें अब हिचकिचाहट नहीं होती. वह सीधे महिला हेल्प डेस्क पर जाती है, जहां महिला पुलिसकर्मी तैनात रहती हैं. वह न सिर्फ उनकी शिकायत सुनती हैं, बल्कि उसका समाधान करने का भी प्रयास करती हैं. साल 2013 में दिल्ली के थानों में हुई इस नई पहल ने महिलाओं में आत्मविश्वास जगाया और वह थाने जाने से नहीं घबराती हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

भीम सेन बस्सी ने की थी शुरुआत

जानकारी के अनुसार, किसी भी थाने में महिला जब शिकायत करने जाती है, तो उसे वहां पुरुष पुलिसकर्मी से मिलना पड़ता है. महिला शिकायतकर्ता को अपने साथ हुई घटना पुलिसकर्मी को बतानी पड़ती है, जो उसके लिए आसान नहीं होता. इस समस्या का समाधान करने के लिए साल 2013 में तत्कालीन दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी ने प्रत्येक थाने में महिला हेल्प डेस्क की शुरुआत की थी. उन्होंने महिला हेल्प डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया ताकि महिलाएं जब शिकायत करने पहुंचे तो वह बेझिझक अपनी बात महिला पुलिसकर्मी को बता सकें. दिल्ली के सभी थानों में बीते सात वर्ष से यह सुविधा चल रही है.

महिलाएं थाने में नहीं होती असहज

मध्य जिला डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि महिला हेल्प डेस्क का बड़ा फायदा दिल्ली में देखने को मिल रहा है. पहले जहां थाने में शिकायत करने से पहले महिलाएं घबराती थीं कि वह अपनी आपबीती पुरुष पुलिसकर्मी को कैसे बताएंगी, लेकिन अभी के समय में उन्हें थाने में हेल्प डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी मिलती हैं. यह महिला पुलिसकर्मी न सिर्फ उनकी शिकायत को सुनती हैं, बल्कि खुद एक महिला होने के नाते बेहतर ढंग से उनकी बातों को समझती हैं. वहीं महिला शिकायतकर्ता भी अपनी बात उनके समक्ष रखने में असहज महसूस नहीं करती हैं.

कोरोना काल में बना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम

डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि अभी के समय में अधिकांश शिकायतकर्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुना जाता है. इसके लिए प्रत्येक थाने में एक छोटा सा कमरा बनाया गया है. जहां पर शिकायतकर्ता आकर न सिर्फ ड्यूटी अफसर और महिला हेल्प डेस्क बल्कि एसएचओ से भी अपनी बात कर सकता है. अभी के समय में थाने में आने वाली महिलाएं भी इसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम का इस्तेमाल कर महिला हेल्प डेस्क से जुड़ती हैं. इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर महिला शिकायतकर्ता से हेल्प डेस्क पर मौजूद महिला पुलिसकर्मी मिलकर भी बातचीत करती है.

महिला शिकायत करने के लिए आई आगे

बीते वर्षों के आंकड़े भी बताते हैं कि किस प्रकार से साल 2013 के बाद महिला से संबंधित शिकायतों को दिल्ली के थानों में अधिक दर्ज किया गया. इसकी एक बड़ी वजह थाने में महिला हेल्प डेस्क का होना है. इस हेल्प डेस्क के खुलने से महिलाएं आत्मविशवास के साथ शिकायत करने के लिए पहुंचने लगी. उन्हें विश्वास होने लगा कि वहां तैनात महिला पुलिसकर्मी एक महिला होने के नाते उनकी समस्या को बेहतर ढंग से समझेंगी.

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