ETV Bharat / state

बच्चों को नशा और क्राइम से मिलेगी मुक्ति, दिल्ली पुलिस ने NGO के साथ मिलकर चलाया 'जोश' कार्यक्रम - जोश कार्यक्रम

झुग्गी में रहने वाले और सड़कों पर नशा और क्राइम करने वाले बच्चों को खेल, डांस और पढ़ाई करवाया जा रहा है और ये सब करवा रही है दिल्ली पुलिस. दिल्ली की साउथ वेस्ट जिले की पुलिस एक NGO के साथ मिलकर ऐसे बच्चों के लिए 'जोश' कार्यक्रम चलाया है.

Josh program
'जोश' कार्यक्रम
author img

By

Published : Sep 10, 2021, 7:31 AM IST

नई दिल्ली: साउथ वेस्ट जिले की पुलिस ने NGO के साथ मिलकर स्लम के बच्चों को नशा और क्राइम से दूर रखने के मकसद से 'जोश' कार्यक्रम चलाया. अब ये बच्चे खेल, डांस और पढ़ाई कर रहे हैं. स्लम के बच्चों को नशा और क्राइम से दूर रखने के मकसद से साउथ वेस्ट जिले की पुलिस ने NGO के माध्यम से 'जोश' नाम से कार्यक्रम चला कर इनकी जिंदगी बदल दी है.

'जोश' संस्था की ओर से वसंतकुंज रयान इंटरनेशनल स्कुल के ग्राउंड में गुरुवार को स्पोर्ट्स टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. जिसमें साउथ वेस्ट जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह और 'जोश' NGO के सीईओ देवेंद्र शामिल हुए. डीसीपी इंगित प्रताप ने सभी बच्चों का हौसला बढ़ाया. 'जोश' NGO में तीन महीने के ट्रेनिंग के बाद आज ये बच्चे नशे और क्राइम की दुनिया से पूरी तरह से बाहर निकल गये हैं.

स्लम के बच्चों को मिलेगी क्राइम और नशे से मुक्ति.

ये भी पढ़ें: भगवान गणेश की कथाओं से सीखिए सेल्फ मैनेजमेंट के टिप्स

साउथ वेस्ट जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने इस मौके पर कहा कि अक्सर 8 से 18 साल के बच्चे जो झुग्गियों या सड़कों पर घूमते हैं और नशे के आदी हो जाते हैं. अपने नशे को पूरा करने के लिए फिर ये छोटी-मोटी क्राइम करने लगते हैं, जिसके लिए उन्होंने NGO से बात कि और बच्चों को ट्रेनिंग दने के लिए तैयार किया. इसके बाद जिले के सभी स्लम और सड़कों पर घूमने और नशा करने वाे बच्चों को चिन्हित किया और फिर उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. तीन महीने के ट्रेनिंग के बाद आज ये बच्चे उस दुनियां से पूरी तरह बाहर निकलकर कोई स्पोर्ट्स में तो कोई डांस में या फिर कोई पढ़ाई में लग गया है.

ये भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2021 : क्यों केवल मिट्टी की ही गणेश प्रतिमा लाई जाती है घर

वहीं NGO के सीईओ का कहना है कि वो पहले भी लाडली फाउंडेशन के तहत दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर कई ऐसे कार्यक्रम चला चुके हैं. फिर से मार्च से इस मुहीम की शुरुआत की लेकिन बीच में लॉकडाउन के कारण थोड़ी देरी हो गई. उनका कहना है कि लॉकडाउन खत्म होते ही फिर से इसकी शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम के तहत सैकड़ों बच्चों को नशा और क्राइम की दुनिया से निकालकर समाज के मुख्य धारा से जोड़ा गया है. देवेंद्र का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई पूरी होने पर NGO प्लेसमेंट भी देगी, जिससे वो कही नौकरी भी कर सकते हैं. बता दें कि इस कार्यक्रम से अभी तक 3 हजार से ज्यादा बच्चे जुड़ चुके हैं.

नई दिल्ली: साउथ वेस्ट जिले की पुलिस ने NGO के साथ मिलकर स्लम के बच्चों को नशा और क्राइम से दूर रखने के मकसद से 'जोश' कार्यक्रम चलाया. अब ये बच्चे खेल, डांस और पढ़ाई कर रहे हैं. स्लम के बच्चों को नशा और क्राइम से दूर रखने के मकसद से साउथ वेस्ट जिले की पुलिस ने NGO के माध्यम से 'जोश' नाम से कार्यक्रम चला कर इनकी जिंदगी बदल दी है.

'जोश' संस्था की ओर से वसंतकुंज रयान इंटरनेशनल स्कुल के ग्राउंड में गुरुवार को स्पोर्ट्स टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. जिसमें साउथ वेस्ट जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह और 'जोश' NGO के सीईओ देवेंद्र शामिल हुए. डीसीपी इंगित प्रताप ने सभी बच्चों का हौसला बढ़ाया. 'जोश' NGO में तीन महीने के ट्रेनिंग के बाद आज ये बच्चे नशे और क्राइम की दुनिया से पूरी तरह से बाहर निकल गये हैं.

स्लम के बच्चों को मिलेगी क्राइम और नशे से मुक्ति.

ये भी पढ़ें: भगवान गणेश की कथाओं से सीखिए सेल्फ मैनेजमेंट के टिप्स

साउथ वेस्ट जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने इस मौके पर कहा कि अक्सर 8 से 18 साल के बच्चे जो झुग्गियों या सड़कों पर घूमते हैं और नशे के आदी हो जाते हैं. अपने नशे को पूरा करने के लिए फिर ये छोटी-मोटी क्राइम करने लगते हैं, जिसके लिए उन्होंने NGO से बात कि और बच्चों को ट्रेनिंग दने के लिए तैयार किया. इसके बाद जिले के सभी स्लम और सड़कों पर घूमने और नशा करने वाे बच्चों को चिन्हित किया और फिर उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. तीन महीने के ट्रेनिंग के बाद आज ये बच्चे उस दुनियां से पूरी तरह बाहर निकलकर कोई स्पोर्ट्स में तो कोई डांस में या फिर कोई पढ़ाई में लग गया है.

ये भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2021 : क्यों केवल मिट्टी की ही गणेश प्रतिमा लाई जाती है घर

वहीं NGO के सीईओ का कहना है कि वो पहले भी लाडली फाउंडेशन के तहत दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर कई ऐसे कार्यक्रम चला चुके हैं. फिर से मार्च से इस मुहीम की शुरुआत की लेकिन बीच में लॉकडाउन के कारण थोड़ी देरी हो गई. उनका कहना है कि लॉकडाउन खत्म होते ही फिर से इसकी शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम के तहत सैकड़ों बच्चों को नशा और क्राइम की दुनिया से निकालकर समाज के मुख्य धारा से जोड़ा गया है. देवेंद्र का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई पूरी होने पर NGO प्लेसमेंट भी देगी, जिससे वो कही नौकरी भी कर सकते हैं. बता दें कि इस कार्यक्रम से अभी तक 3 हजार से ज्यादा बच्चे जुड़ चुके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.