नई दिल्लीः बीते फरवरी माह में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हुए दंगों को लेकर पुलिस ने एक खास रणनीति बनाई है. इसके तहत एक खास टीम बनाई गई है जो दंगे के दोषियों को सजा दिलवाने के काम करेंगे. इस टीम में लोकल पुलिस, क्राइम ब्रांच और अधिवक्ता शामिल हैं. यह मिलकर आरोपपत्र तैयार करेंगे ताकि आरोपियों का दोष अदालत के समक्ष सिद्ध किया जा सके.
ज्ञात रहे कि दिल्ली में हुए दंगों में 52 लोग मारे गए थे. दंगों को लेकर 740 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें से हत्या को लेकर दर्ज की गई 42 एफआईआर की जांच क्राइम ब्रांच की एसआईटी द्वारा की जा रही है. वहीं अन्य सभी एफआईआर की जांच लोकल पुलिस द्वारा की जा रही है. इन सभी मामलों में 800 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और अब आरोपपत्र दायर करने की शुरुआत हो चुकी है.
आरोपपत्र दाखिल करने के लिए बनाई गई टीम
पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिल्ली दंगों को लेकर तैयार किए जा रहे आरोपपत्र के लिए खास टीम बनाई गई है. इस टीम में लोकल पुलिस, क्राइम ब्रांच और 20 अधिवक्ता शामिल हैं. हाल ही में पुलिस मुख्यालय में इस टीम की एक बैठक करवाई गई, जिसमें उन्हें बताया गया कि कैसे एक मजबूत आरोपपत्र तैयार करना है.
इस टीम में मौजूद वकील लोकल पुलिस एवं क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. दोनों को वह आरोपपत्र तैयार करने में सहयोग कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि अधिवक्ताओं की संख्या को बढ़ाकर जल्द 40 किया जाएगा.
दो अलग-अलग यूनिट कर रही जांच
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस घटना की जांच में दो अलग-अलग यूनिट लगी हैं. एक ही जगह पर हुई हत्या की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है जबकि वहां हुए दंगे की जांच लोकल पुलिस कर रही है. ऐसे में उनके द्वारा दायर किए जाने वाले आरोपपत्र में अगर डिफरेंस रहा तो इसका फायदा आरोपी द्वारा उठाया जा सकता है.
इसे ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण कदम पहली बार उठाया गया है. एक ही वकील जब एक लोकेशन पर हुई हत्या एवं दंगे के आरोपपत्र को तैयार करवाएगा तो उसमें किसी प्रकार का डिफरेंस नहीं होगा.
दोषियों को कड़ी सजा दिलवाना है मकसद
पुलिस के अनुसार राजधानी में हुए इस दंगे के सभी दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए यह कदम उठाया गया है. दिल्ली पुलिस से लेकर केंद्र सरकार तक यह चाहती है कि इस मामले के दोषियों को कड़ी सजा मिले. इसलिए यह खास रणनीति बनाई गई है, ताकि दोषी किसी भी प्रकार से उनकी लापरवाही का लाभ न उठा सकें.