नई दिल्ली: दिल्ली पंचायत संघ ने पंच प्रमुखों की बैठक में दिल्ली नगर निगम की पांचवीं वैल्यूएशन कमेटी पर गांवों के हाउस टैक्स निर्णय लेने पर आपत्ति जताई है. दिल्ली के गांवों की पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने इस कमेटी में एक भी अधिकारी या सदस्य मूल गांव का न होने का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि कमेटी के निर्णय से पहले 461 आपत्तियां दी गई, लेकिन गांववासियों का पक्ष नहीं लिया गया. जिन्होंने आपत्तियां दी वह भी गांव से संबंधित नहीं थे. जिन RWA ने गांवों को लेकर टिप्पणी की है उनका गांवों से कोई लेना-देना नहीं है. गांव वासियों ने मांग की है कि जिस कृषि भूमि को आवासीय कॉलोनी के लिए अधिग्रहण किया था, उसे व्यवसायिक श्रेणी में न किया जाए और जो रोड व्यवसायिक श्रेणी में हैं उन्हे तुरंत आवासीय श्रेणी में किया जाए.
पंचायत संघ सह प्रमुख सुनील शर्मा ने उपराज्यपाल दिल्ली और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की कि इस कमेटी की सिफारिशों और कमेटी को भंग कर पुनः नईं कमेटी का गठन किया जाए. जिसमें गांवों की पंचायतों और दिल्ली देहात के सभी पार्टियों के नेताओं को शामिल कर गांवों पर हाउस टैक्स पर कोई निर्णय लिया जाए और तब तक दिल्ली नगर निगम द्वारा गांवों में हाऊस टैक्स के नोटिस और सीलिंग की कार्रवाई पर रोक लगा दी जाए.
इस कमेटी ने गांवों को ज्यादातर तीन श्रेणी में डाला गया है. इसमें F,G,H कैटिगरी हैं. F,G कैटिगरी शहरी क्षेत्र के हिसाब से है. इस कैटिगरी के गांवों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. इन गांवों में बारातघर, पार्किंग, पार्क, नाली, सडकें तक नहीं है. इसके उपरांत भी दिल्ली के गांवों से हाउस टैक्स की वसूली हो रही है. पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने दिल्ली की तीनों पार्टी प्रदेशाध्यक्षों से मांग है कि इस मुद्दे को लेकर माननीय उपराज्यपाल दिल्ली से मिलकर गांवों की आवासीय और व्यवसायिक श्रेणी की सभी संपत्तियों को हाऊस टैक्स से मुक्त करवाएं.
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