नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (DELHI NCR AQI) में एक बार फिर इजाफा देखने को मिल रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. यानी कि एनसीआर के अधिकतर इलाकों का AQI आज 300 से अधिक है. दिल्ली एनसीआर मैं ठंड के साथ प्रदूषण में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट में देखिए दिल्ली एनसीआर के 48 प्रमुख इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स.
० दिल्ली
अलीपुर 305
शादीपुर 358
डीटीयू दिल्ली 311
आईटीओ दिल्ली 225
सिरिफ्फोर्ट 341
मंदिर मार्ग 328
आरके पुरम 362
पंजाबी बाग 358
लोधी रोड 262
नॉर्थ केंपस डीयू 305
सीआरआरआई मथुरा रोड 318
पूसा 271
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3 311
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 348
नेहरू नगर 396
द्वारका सेक्टर 8 368
पटपड़गंज 372
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 356
अशोक विहार 345
सोनिया विहार 324
जहांगीरपुरी 364
रोहिणी 343
विवेक विहार 358
नजफगढ़ 295
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 357
नरेला 325
ओखला फेस टू 2 350
वजीरपुर 332
बवाना 323
श्री औरबिंदो मार्ग 335
मुंडका 325
आनंद विहार 366
IHBAS दिलशाद गार्डन 275
० गाजियाबाद
वसुंधरा 343
इंदिरापुरम 310
संजय नगर 246
लोनी 231
० नोएडा
सेक्टर 62 322
सेक्टर 311
सेक्टर 1 314
सेक्टर 116 345
० Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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० (PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.