नई दिल्ली/गाजियाबाद: शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों के प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर डार्क रेड जोन में दर्ज किया गया है यानी कि यहां का AQI 400 का आंकड़ा पार कर चुका है. वहीं गाजियाबाद और नोएडा की बात करें तो दोनों शहरों का एकयूआई रेड जोन में बरकरार है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में दिल्ली एनसीआर के हवा में सुधार हो सकता है.
० दिल्ली
अलीपुर- 398
शादीपुर- 388
डीटीयू दिल्ली- 355
आईटीओ दिल्ली- 362
सिरिफोर्ट- 357
मंदिर मार्ग- 375
आरके पुरम- 372
पंजाबी बाग- 402
लोधी रोड- 341
नॉर्थ केंपस डीयू- 384
सीआरआरआई मथुरा रोड- 347
पूसा- 364
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3- 321
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम- 393
नेहरू नगर- 418
द्वारका सेक्टर 8- 390
पटपड़गंज- 408
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज- 368
अशोक विहार- 404
सोनिया विहार- 409
जहांगीरपुरी 3- 409
रोहिणी -411
विवेक विहार- 403
नजफगढ़- 331
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम- 402
नरेला- 406
ओखला फेस टू 2- 381
वजीरपुर- 428
बवाना- 411
श्री औरबिंदो मार्ग- 363
मुंडका- 416
आनंद विहार- 396
IHBAS दिलशाद गार्डन- 345
० गाजियाबाद
वसुंधरा- 376
इंदिरापुरम- 281
संजय नगर- 328
लोनी- 327
० नोएडा
सेक्टर 62- 382
सेक्टर 125- 245
सेक्टर 1- 340
सेक्टर 116- 376
० Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
० (PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.