नई दिल्लीः अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली डिस्कॉम्स BRPL (BSES राजधानी पावर लिमिटेड) और BYPL (BSES यमुना पावर लिमिटेड) के बोर्ड में सरकारी नॉमिनी के रूप में निजी व्यक्तियों की अवैध नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर संवैधानिक प्रावधानों के पूर्ण उल्लंघन का आरोप लगा है. इसको लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को इन नामिनीज को हटाने और उन्हें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बदलने के लिए कहा है.
राजभवन द्वारा जारी बयान के मुताबिक, इन नॉमिनीज में आप प्रवक्ता जैस्मीन शाह, नवीन एनडी गुप्ता (आप सांसद एनडी गुप्ता का पुत्र), उमेश त्यागी और जेएस देसवाल शामिल हैं. डिस्कॉम बोर्ड में इन लोगों को नॉमिनी बनाना अवैध था, क्योंकि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और उनकी नियुक्ति प्रारंभ से ही शून्य थी. एलजी ने यह निर्णय दिल्ली बिजली विभाग और मुख्य सचिव द्वारा जमा कराए गए जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया है.
इन नॉमिनीज ने राज्य के खजाने और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित उपक्रमों (डीटीएल, आईपीजीसीएल और पीपीसीएल) के फायदे के बजाय अंबानी के डिस्कॉम्स को हजारों करोड़ रुपये का अनुचित वित्तीय लाभ प्रदान किया. एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मामले पर उठाए गए कदम की जानकारी देने को भी कहा है. रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इन निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से AAP सरकार द्वारा 2019 में बीआरपीएल और बीवाईपीएल के बोर्ड में सरकारी नामांकित के रूप में नियुक्त किया गया था. जबकि इन नियुक्तियों पर 1 नवंबर 2016 को तत्कालीन एलजी नजीब जंग और 11 अगस्त 2017 को अनिल बैजल ने लिखित तौर पर आपत्ति दर्ज की थी.
2017 में सीएम केजरीवाल ने सरकारी नामितों के रूप में उनकी नियुक्ति का प्रस्ताव तत्कालीन एलजी अनिल बैजल को भेजा था, जिस पर उन्होंने निर्देश दिया था कि इस संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया जाए और इसके बाद उन्हें भेजा जाए. वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239एए के अनुसार नियमों का पालन करने को बाध्य है. इसके बावजूद कैबिनेट ने उन्हें ही नियुक्त करने का फैसला लिया और एलजी बैजल को फाइल भेजने के बजाय, इन निजी व्यक्तियों की डिस्कॉम के बोर्ड में सरकार के नामांकित व्यक्ति के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी.
राजभवन के बयान में कहा गया है कि इन नॉमिनीज ने सरकारी हितों का ध्यान रखने के बजाय, बोर्ड में अनिल अंबानी के नामिनी के साथ मिलीभगत कर DISCOM बोर्डों के LPSC पर लगाए गए ब्याज दरों को एकतरफा कम करने का निर्णय लिया, जिससे सरकार को 8683.67 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के पास इन निजी DISCOMS में 49 प्रतिशत शेयर हैं और शेयरधारक के समझौते के अनुच्छेद VI के अनुसार, इसके बोर्ड में सरकार के नॉमिनी के पास किसी भी अनुचित प्रस्ताव को रोकने का वीटो अधिकार है जो राज्य के राजस्व के लिए खतरनाक है.
(इनपुट- ANI)
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