नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) सदन की पहली बैठक में हंगामा, तोड़फोड़ को लेकर अब आगे क्या होगा, यह राजनिवास तय करेगा. शुक्रवार को सदन की पहली कार्यवाही के दौरान पार्षदों के उत्पात को लेकर पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा सोमवार तक अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेज देंगी, जिसके बाद आगे सदन की बैठक कब बुलाई जाए. हंगामा करने वाले पार्षदों को खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए इस संबंध में उपराज्यपाल अपना निर्णय सुनाएंगे.
एमसीडी मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं के अनुसार, हंगामा करने वालों के खिलाफ पीठासीन अधिकारी को भी कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजने की बात कही है. उपराज्यपाल हंगामा करने वाले पार्षदों के खिलाफ (Delhi LG Against On Rioting Councilors) निलंबन तक की कार्रवाई कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव में वो वोट डाल सकेंगे. एमसीडी के जानकार बताते हैं कि अनुशासनहीनता हंगामे व तोड़फोड़ को लेकर पार्षदों पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के शीर्ष पद पर बैठे नेताओं के पास है. चूंकि अभी इन पदों के लिए नियुक्ति नहीं हुई है तो उपराज्यपाल का फैसला ही अंतिम होगा. हंगामे के मामले में पीठासीन अधिकारी व एमसीडी की रिपोर्ट के आधार पर पार्षदों को सदन की कुछ बैठकों से निलंबित किया जा सकता है. दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट में इस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है.
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उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से पहले एल्डरमैन का प्रावधान था, जिन्हें आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए चुना जाता था. 2007 से पार्षदों को मनोनीत करने का प्रावधान आया. इसके लिए दिल्ली सरकार अर्बन डेवलपमेंट विभाग के जरिए नाम भेज दी थी, जिस पर उपराज्यपाल ही अंतिम मंजूरी देते थे. अभी तक यही परंपरा चली आ रही थी. लेकिन इस बार उपराज्यपाल ने खुद ही 10 लोगों को मनोनीत कर दिया है इसलिए विवाद हो रहा है. जहां तक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति का सवाल है तो एमसीडी के पूर्व सचिव का कहना है कि इसमें कोई कानूनी प्रावधान तय नहीं है. उपराज्यपाल किसी भी पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. ऐसा कोई नियम नहीं है कि पीठासीन अधिकारी किसे पहले शपथ दिलाए और किसे बाद में यह अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है.
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार एमसीडी के सदन की बैठक जल्द होने की संभावना नहीं है. क्योंकि बैठक को सुचारू रूप से चलाने के संबंध में कई इंतजाम करने हैं. इसके अलावा सदन में हुई तोड़फोड़ के कारण उसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है. एमसीडी की तरफ से बैठक की तिथि तय करने के लिए आग्रह किया जाएगा. एमसीडी के मुताबिक अगले सप्ताह की बैठक बुलाने के लिए फाइल चलाई जाएंगी. इस तरह माना जा रहा है कि एमसीडी सदन की बैठक इस माह के अंत में हो सकती है. तब तक पार्षदों को शपथ के लिए इंतजार करना पड़ सकता है.
एमसीडी में मनोनीत 10 में से 4 पार्षदों ने ही शपथ ली है, लेकिन वह हंगामे के कारण रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं कर सके. इस तरह हंगामे के दौरान शपथ लेने वाले मनोनीत पार्षद विनोद कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान व सुनीत चौहान के पार्षद बनने का मामला भी स्पष्ट नहीं हो सका है. हालांकि पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा को पार्षद वाले सभी अधिकार शक्ति प्राप्त हो गई है. उनको नई दिल्ली जिला के जिलाधीश ने शपथ दिलाई और उन्होंने रजिस्टर में भी हस्ताक्षर कर दिए थे.
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