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एमसीडी में हंगामा: पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट पर उपराज्यपाल ले सकते हैं कड़ा फैसला, नवनिर्वाचित पार्षदों का निलंबन भी संभव

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Published : Jan 7, 2023, 3:34 PM IST

Updated : Jan 8, 2023, 7:29 AM IST

एमसीडी सदन की बैठक में हंगामा (Uproar in MCD House meeting), मारपीट व तोड़फोड़ मामले में गेंद उपराज्यपाल के पाले में है. एलजी हंगामा करने वाले पार्षदों के खिलाफ (Delhi LG Against On Rioting Councilors) निलंबन तक की कार्रवाई कर सकते हैं. डीएमसी एक्ट में इस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है. वहीं, एमसीडी के अधिकारियों का मानना है कि सदन के हंगामा होने के कारण पार्षदों की शपथ, मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं होने पर उप-राज्यपाल खासे नाराज हैं.

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एमसीडी सदन की बैठक में हंगामा

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) सदन की पहली बैठक में हंगामा, तोड़फोड़ को लेकर अब आगे क्या होगा, यह राजनिवास तय करेगा. शुक्रवार को सदन की पहली कार्यवाही के दौरान पार्षदों के उत्पात को लेकर पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा सोमवार तक अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेज देंगी, जिसके बाद आगे सदन की बैठक कब बुलाई जाए. हंगामा करने वाले पार्षदों को खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए इस संबंध में उपराज्यपाल अपना निर्णय सुनाएंगे.

एमसीडी मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं के अनुसार, हंगामा करने वालों के खिलाफ पीठासीन अधिकारी को भी कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजने की बात कही है. उपराज्यपाल हंगामा करने वाले पार्षदों के खिलाफ (Delhi LG Against On Rioting Councilors) निलंबन तक की कार्रवाई कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव में वो वोट डाल सकेंगे. एमसीडी के जानकार बताते हैं कि अनुशासनहीनता हंगामे व तोड़फोड़ को लेकर पार्षदों पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के शीर्ष पद पर बैठे नेताओं के पास है. चूंकि अभी इन पदों के लिए नियुक्ति नहीं हुई है तो उपराज्यपाल का फैसला ही अंतिम होगा. हंगामे के मामले में पीठासीन अधिकारी व एमसीडी की रिपोर्ट के आधार पर पार्षदों को सदन की कुछ बैठकों से निलंबित किया जा सकता है. दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट में इस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है.

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एमसीडी सदन की बैठक में हंगामा
उधर, एमसीडी के अधिकारियों का मानना है कि सदन के हंगामा होने के कारण पार्षदों की शपथ (Oath of Councilors in MCD), मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं होने पर उपराज्यपाल खासे नाराज हैं. उनके इस मामले पर पीठासीन अधिकारी व एमसीडी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के साथ-साथ कानूनी राय लेने की भी संभावना है. लिहाजा उपराज्यपाल को अब एमसीडी की बैठक सुचारू रूप से चलाने के संबंध में निर्णय लेना है. इस कड़ी में उपराज्यपाल के सदन की बैठक में मार्शल आउट करने का प्रावधान भी किया जाएगा. ऐसी स्थिति में पीठासीन अधिकारी हंगामा करने वाले पार्षदों को सदन से बाहर कर सकेंगे.एमसीडी के पूर्व कमिश्नर केएस मेहरा का कहना है कि डीएमसी एक्ट के अनुसार मनोनीत पार्षदों को मेयर, डिप्टी मेयर या स्टैंडिंग कमिटी के चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं है. वह केवल जोनल इलेक्शन में मतदान कर सकते हैं. अगर उन्हें यह अधिकार देना भी है तो एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा. केवल आदेश जारी करके ऐसा नहीं किया जा सकता. पीठासीन अधिकारी के पास कुछ अधिकार होते हैं लेकिन वह भी एक्ट के दायरे में दायरे से बाहर जाकर मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं दे सकता. इसीलिए यह दावा पूरी तरह गलत है कि मनोनीत पार्षद वोट डालने वाले थे. अगर वह पहले शपथ ले भी लेते तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक 10 पार्षदों को मनोनीत करने का सवाल है तो जानकारों का कहना है कि नए डीएमसी एक्ट के तहत इस का अधिकार दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर होने के नाते उपराज्यपाल को है.
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एमसीडी सदन की बैठक में हंगामा

ये भी पढ़ें : दिल्ली: आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एलजी आवास का घेराव किया

उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से पहले एल्डरमैन का प्रावधान था, जिन्हें आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए चुना जाता था. 2007 से पार्षदों को मनोनीत करने का प्रावधान आया. इसके लिए दिल्ली सरकार अर्बन डेवलपमेंट विभाग के जरिए नाम भेज दी थी, जिस पर उपराज्यपाल ही अंतिम मंजूरी देते थे. अभी तक यही परंपरा चली आ रही थी. लेकिन इस बार उपराज्यपाल ने खुद ही 10 लोगों को मनोनीत कर दिया है इसलिए विवाद हो रहा है. जहां तक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति का सवाल है तो एमसीडी के पूर्व सचिव का कहना है कि इसमें कोई कानूनी प्रावधान तय नहीं है. उपराज्यपाल किसी भी पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. ऐसा कोई नियम नहीं है कि पीठासीन अधिकारी किसे पहले शपथ दिलाए और किसे बाद में यह अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है.

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार एमसीडी के सदन की बैठक जल्द होने की संभावना नहीं है. क्योंकि बैठक को सुचारू रूप से चलाने के संबंध में कई इंतजाम करने हैं. इसके अलावा सदन में हुई तोड़फोड़ के कारण उसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है. एमसीडी की तरफ से बैठक की तिथि तय करने के लिए आग्रह किया जाएगा. एमसीडी के मुताबिक अगले सप्ताह की बैठक बुलाने के लिए फाइल चलाई जाएंगी. इस तरह माना जा रहा है कि एमसीडी सदन की बैठक इस माह के अंत में हो सकती है. तब तक पार्षदों को शपथ के लिए इंतजार करना पड़ सकता है.

एमसीडी में मनोनीत 10 में से 4 पार्षदों ने ही शपथ ली है, लेकिन वह हंगामे के कारण रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं कर सके. इस तरह हंगामे के दौरान शपथ लेने वाले मनोनीत पार्षद विनोद कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान व सुनीत चौहान के पार्षद बनने का मामला भी स्पष्ट नहीं हो सका है. हालांकि पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा को पार्षद वाले सभी अधिकार शक्ति प्राप्त हो गई है. उनको नई दिल्ली जिला के जिलाधीश ने शपथ दिलाई और उन्होंने रजिस्टर में भी हस्ताक्षर कर दिए थे.

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नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) सदन की पहली बैठक में हंगामा, तोड़फोड़ को लेकर अब आगे क्या होगा, यह राजनिवास तय करेगा. शुक्रवार को सदन की पहली कार्यवाही के दौरान पार्षदों के उत्पात को लेकर पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा सोमवार तक अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेज देंगी, जिसके बाद आगे सदन की बैठक कब बुलाई जाए. हंगामा करने वाले पार्षदों को खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए इस संबंध में उपराज्यपाल अपना निर्णय सुनाएंगे.

एमसीडी मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं के अनुसार, हंगामा करने वालों के खिलाफ पीठासीन अधिकारी को भी कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजने की बात कही है. उपराज्यपाल हंगामा करने वाले पार्षदों के खिलाफ (Delhi LG Against On Rioting Councilors) निलंबन तक की कार्रवाई कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव में वो वोट डाल सकेंगे. एमसीडी के जानकार बताते हैं कि अनुशासनहीनता हंगामे व तोड़फोड़ को लेकर पार्षदों पर कार्रवाई करने का अधिकार निगम के शीर्ष पद पर बैठे नेताओं के पास है. चूंकि अभी इन पदों के लिए नियुक्ति नहीं हुई है तो उपराज्यपाल का फैसला ही अंतिम होगा. हंगामे के मामले में पीठासीन अधिकारी व एमसीडी की रिपोर्ट के आधार पर पार्षदों को सदन की कुछ बैठकों से निलंबित किया जा सकता है. दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट में इस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है.

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उधर, एमसीडी के अधिकारियों का मानना है कि सदन के हंगामा होने के कारण पार्षदों की शपथ (Oath of Councilors in MCD), मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं होने पर उपराज्यपाल खासे नाराज हैं. उनके इस मामले पर पीठासीन अधिकारी व एमसीडी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के साथ-साथ कानूनी राय लेने की भी संभावना है. लिहाजा उपराज्यपाल को अब एमसीडी की बैठक सुचारू रूप से चलाने के संबंध में निर्णय लेना है. इस कड़ी में उपराज्यपाल के सदन की बैठक में मार्शल आउट करने का प्रावधान भी किया जाएगा. ऐसी स्थिति में पीठासीन अधिकारी हंगामा करने वाले पार्षदों को सदन से बाहर कर सकेंगे.एमसीडी के पूर्व कमिश्नर केएस मेहरा का कहना है कि डीएमसी एक्ट के अनुसार मनोनीत पार्षदों को मेयर, डिप्टी मेयर या स्टैंडिंग कमिटी के चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं है. वह केवल जोनल इलेक्शन में मतदान कर सकते हैं. अगर उन्हें यह अधिकार देना भी है तो एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा. केवल आदेश जारी करके ऐसा नहीं किया जा सकता. पीठासीन अधिकारी के पास कुछ अधिकार होते हैं लेकिन वह भी एक्ट के दायरे में दायरे से बाहर जाकर मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं दे सकता. इसीलिए यह दावा पूरी तरह गलत है कि मनोनीत पार्षद वोट डालने वाले थे. अगर वह पहले शपथ ले भी लेते तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता. जहां तक 10 पार्षदों को मनोनीत करने का सवाल है तो जानकारों का कहना है कि नए डीएमसी एक्ट के तहत इस का अधिकार दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर होने के नाते उपराज्यपाल को है.
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एमसीडी सदन की बैठक में हंगामा

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से पहले एल्डरमैन का प्रावधान था, जिन्हें आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए चुना जाता था. 2007 से पार्षदों को मनोनीत करने का प्रावधान आया. इसके लिए दिल्ली सरकार अर्बन डेवलपमेंट विभाग के जरिए नाम भेज दी थी, जिस पर उपराज्यपाल ही अंतिम मंजूरी देते थे. अभी तक यही परंपरा चली आ रही थी. लेकिन इस बार उपराज्यपाल ने खुद ही 10 लोगों को मनोनीत कर दिया है इसलिए विवाद हो रहा है. जहां तक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति का सवाल है तो एमसीडी के पूर्व सचिव का कहना है कि इसमें कोई कानूनी प्रावधान तय नहीं है. उपराज्यपाल किसी भी पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. ऐसा कोई नियम नहीं है कि पीठासीन अधिकारी किसे पहले शपथ दिलाए और किसे बाद में यह अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है.

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार एमसीडी के सदन की बैठक जल्द होने की संभावना नहीं है. क्योंकि बैठक को सुचारू रूप से चलाने के संबंध में कई इंतजाम करने हैं. इसके अलावा सदन में हुई तोड़फोड़ के कारण उसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है. एमसीडी की तरफ से बैठक की तिथि तय करने के लिए आग्रह किया जाएगा. एमसीडी के मुताबिक अगले सप्ताह की बैठक बुलाने के लिए फाइल चलाई जाएंगी. इस तरह माना जा रहा है कि एमसीडी सदन की बैठक इस माह के अंत में हो सकती है. तब तक पार्षदों को शपथ के लिए इंतजार करना पड़ सकता है.

एमसीडी में मनोनीत 10 में से 4 पार्षदों ने ही शपथ ली है, लेकिन वह हंगामे के कारण रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं कर सके. इस तरह हंगामे के दौरान शपथ लेने वाले मनोनीत पार्षद विनोद कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान व सुनीत चौहान के पार्षद बनने का मामला भी स्पष्ट नहीं हो सका है. हालांकि पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा को पार्षद वाले सभी अधिकार शक्ति प्राप्त हो गई है. उनको नई दिल्ली जिला के जिलाधीश ने शपथ दिलाई और उन्होंने रजिस्टर में भी हस्ताक्षर कर दिए थे.

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Last Updated : Jan 8, 2023, 7:29 AM IST
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