नई दिल्ली: दिल्ली से होकर गुजरने वाली यमुना नदी की सफाई को लेकर भागीरथी प्रयास कब जाकर थमेगा, इसको लेकर अभी कुछ कहना मुश्किल है. यमुना की कायाकल्प को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की मंगलवार देर शाम तक तीसरी बैठक में भी यह मुद्दा जोर-शोर से उठा. उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों ने जो बातें साझा की उसके मुताबिक, दिल्ली में करीब 200 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन नेटवर्क के दुरुस्त नहीं होने से यमुना की सफाई में सबसे बड़ी परेशानी आ रही है. इन सीवर लाइन में गाद निकालने की व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में उपराज्यपाल ने जल बोर्ड के अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि वह जल्द से जल्द इसके उपाय करें. एनजीटी 30 जून को यमुना के कायाकल्प की दिशा में अब तक हुई प्रगति का जायजा लेगा.
पिछले सप्ताह G 20 सम्मेलन में हिस्सा लेने आए विदेशी मेहमानों को दिल्ली के उपराज्यपाल यमुना के एक किनारे पर ले गए थे और वहां पर कुछ हिस्से को बेहतर बनाने की दिशा में जो काम हुआ है उसे उन्होंने दिखाया था. उसी तर्ज पर दिल्ली में कई जगहों पर यमुना की घाट को बनाने की योजना है. अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि यमुना की सफाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण योजना जिसके तहत सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम जारी है, उस पर तेजी से काम किया जाए.
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इस साल के अंत तक तैयार होंगे 40 में से 29 एसटीपी : यमुम को लेकर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की फरवरी माह की रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना में गंदगी को रोकने के लिए 40 डिसेंट्रलाइज एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) की डेडलाइन को कम कर दिया गया है. अब यह प्लांट जल्दी बन कर तैयार हो जाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार 40 डिसेंट्रलाइज एसटीपी में से 29 इस साल के अंत तक तैयार हो जाएंगे. जिसकी डेडलाइन 2024 तक रखी गई थी. अब इस काम को दिसंबर 2023 तक ही पूरा किए जाने के निर्देश हैं. इनकी क्षमता 57. 57 एमजीडी है. बाकी बचे 11 डिसेंट्रलाइज एसटीपी का काम पहले जमीन अलॉट होने के बाद 15 महीने में पूरा किया जाना था, लेकिन अब यह काम भी जमीन अलॉट होने के बाद 12 महीनों में पूरा होगा. इनकी क्षमता भी 34.43 एमजीडी होगी.
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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में मौजूदा समय में करीब 960 एमजीडी सीवर निकलता है, जिसमें से 55 फीसद ही ट्रीट हो पा रहा है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में 35 एसटीपी लगे हैं. इसकी क्षमता 632 एमजीडी सीवर को साफ करने की है. यह प्लांट भी मौजूदा समय में 530 एमजीडी सीवेज ही साफ कर रहे हैं. ऐसे में बची हुई गंदगी नालों के जरिए सीधे यमुना में जा रही है. इसी गंदगी को कम करने के लिए इस समय 40 डीसेंट्रलाइज्ड एसटीपी तैयार करने का काम चल रहा है.
केजरीवाल सरकार द्वारा किए गए प्रयास : दिल्ली की सत्ता में गत आठ सालों से काबिज आम आदमी पार्टी सरकार भी प्रत्येक नए वित्त वर्ष में यमुना की सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का प्रावधान करती है, इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. वित्त वर्ष 2022-23 में दिल्ली सरकार ने यमुना को साफ करने के मद में 266 करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सफाई के लिए सरकार ने ऐसा प्लान तैयार किया है जिससे वर्ष 2024 तक यमुना साफ हो जाएगी.
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