नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम की वर्तमान समय में परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक के बाद एक नई-नई परेशानियां निकलकर सामने आ रही हैं. पहले से ही कोरोना और मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ने की वजह से दिल्ली नगर निगम के सिर का दर्द बढ़ा हुआ है. वहीं इस बीच एक और खबर आ रही है जो कि दिल्ली नगर निगम के सिर का दर्द और बढ़ा सकती है. साउथ एमसीडी के चारों जोन और नॉर्थ एमसीडी के तीन जोन में मादा क्यूलेक्स मच्छरों का सबसे ज्यादा घनत्व दिल्ली में पाया गया है.
मादा क्यूलेक्स मच्छर है खतरनाक
मादा क्यूलेक्स मच्छर वही मच्छर है, जिनका कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कहर देखने को मिला था और इंसेफलाइटिस यानी दिमागी बुखार से कई बच्चों की जानें भी गई थीं. ऐसे ही हालात अब दिल्ली में पैदा हो सकते हैं. क्योंकि इन मच्छरों की तादाद दिल्ली में काफी ज्यादा बढ़ गई है. इन मच्छरों की संख्या करीब 6 से 7 गुना ज्यादा तक बढ़ने की खबर सामने आ रही है. एमसीडी के रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक मच्छर पश्चिमी दिल्ली में हैं, जहां मच्छरों का घनत्व 7.2 मैन/घंटा मापा गया है. जो साउथ एमसीडी के किसी भी जोन की तुलना में सबसे अधिक है.
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बढ़ सकती है चिंता
वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ एमसीडी के मेयर जयप्रकाश और साउथ एमसीडी के नेता सदन नरेंद्र चावला ने कहा कि निगम अपनी तरफ से हरसंभव कदम उठा रही है. ताकि राजधानी दिल्ली में इंसेफेलाइटिस को रोका जाए. पहले से ही दिल्लीवासी कोरोना और मच्छर जनित बीमारी से जूझ रहे हैं. अगर ऐसे में इंसेफेलाइटिस ने दिल्ली में दस्तक देता है तो इससे दिल्लीवासियों की चिंता कई गुना तक बढ़ सकती है. जयप्रकाश ने बताया कि निगम के अस्पताल पूरी तरीके से तैयार हैं. सभी प्रकार की दवाइयां और मरीजों के लिए पर्याप्त संख्या में मौजूद है.
दिल्ली सरकार को ठहराया जिम्मेदार
वहीं साउथ एमसीडी नेता सदन नरेंद्र चावला ने कहा कि साउथ एमसीडी भी पूरी तरीके से तैयार है. नागरिकों की सेवा के लिए निगम के अस्पतालों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. लेकिन मच्छरों की उत्पत्ति के पीछे दिल्ली सरकार जिम्मेदार है, जिसने अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभाया और बड़े नालों की ना तो सफाई की औऱ न ही उनमें मॉस्किटो ब्रीडिंग को रोकने के लिए दवाई का छिड़काव किया. जिसकी वजह से आज हालात गंभीर हो गए हैं.
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जानिए मादा क्यूलेक्स मच्छर के बारे में
दिल्ली नगर निगम के पब्लिक हेल्थ विभाग के अफसरों के अनुसार मच्छर की वैसे तो सैकड़ों प्रजातियां होती हैं. लेकिन सभी के काटने से बीमारी नहीं होतीं. मच्छरों की 3 प्रजातियां सबसे खतरनाक हैं. जिनके काटने से डेंगू मलेरिया फाइलेरिया और दिमागी बुखार होता है. इनमें क्यूलेक्स एक ऐसा मच्छर है, जो घरों में पाया जाता है और इस मच्छर के काटने से फाइलेरिया और दिमागी बुखार, जिसे इंसेफलाइटिस के नाम से जाना जाता है. ऐसे मच्छरों का घनत्व कम हो तो बेहतर है. लेकिन साउथ एमसीडी के चारों जोन ओर नॉर्थ एमसीडी के 3 जोन में घनत्व काफी ज्यादा पाया गया है, जो चिंता का विषय है.
मच्छरों का कहां कितना घनत्व
मच्छरों के घनत्व की बात की जाए तो तुगलकाबाद एक्सटेंशन में मच्छरों का घनत्व 6.61 है. काले खा सराय में 5.8. महावीर एनक्लेव में 4.8. हरिनगर 7.2 और पीली कोठी के आसपास 7.2 पाया गया है. जो कि बेहद चिंताजनक विषय है. मंगलवार को साउथ एमसीडी कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने इस पूरे मुद्दे पर हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ बैठक भी की थी. जिसके बाद अधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वहीं नॉर्थ एमसीडी की तरफ से भी अधिकारियों को पहले ही इस संबंध में निर्देश जारी किए जा चुके हैं.