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वंदे मातरम को राष्ट्रगान के समान दर्जा देने की अपील हाईकोर्ट में खारिज

वंदे मातरम को राष्ट्रगान के सामान मानने की मांग वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.

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Published : Jul 26, 2019, 12:13 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 2:53 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट etv bharat

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह का दर्जा दिए जाने की मांग खारिज कर दी है. याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम का अहम योगदान रहा है लेकिन देश की आजादी के बाद राष्ट्रगान जन गण मन को को तो प्राथमिकता दी गई लेकिन वंदे मातरम को भूला दिया गया.

स्कूलों में बजे 'वंदे मातरम'
वंदेमातरम के लिए कोई कानून भी नहीं बनाया गया है. याचिका में मांग की गई थी कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह बजाया जाना चाहिए. बता दें कि 17 फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 51ए यानी मौलिक कर्तव्य के तहत सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का उल्लेख है, इसलिए वंदे मातरम को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह का दर्जा दिए जाने की मांग खारिज कर दी है. याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम का अहम योगदान रहा है लेकिन देश की आजादी के बाद राष्ट्रगान जन गण मन को को तो प्राथमिकता दी गई लेकिन वंदे मातरम को भूला दिया गया.

स्कूलों में बजे 'वंदे मातरम'
वंदेमातरम के लिए कोई कानून भी नहीं बनाया गया है. याचिका में मांग की गई थी कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह बजाया जाना चाहिए. बता दें कि 17 फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 51ए यानी मौलिक कर्तव्य के तहत सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का उल्लेख है, इसलिए वंदे मातरम को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह का दर्जा दिए जाने की मांग खारिज कर दिया है । याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया था।



Body:याचिका में कहा गया था कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम का अहम योगदान रहा है। लेकिन देश की आजादी के बाद राष्ट्रगान जन गण मन को को तो प्राथमिकता दी गई लेकिन वंदे मातरम को भूला दिया गया। वंदेमातरम के लिए कोई कानून भी नहीं बनाया गया। याचिका में मांग की गई थी और सभी स्कूलों में वंदे मातरम को राष्ट्रगान की तरह बजाया जाना चाहिए।



Conclusion:आपको बता दें कि 17 फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 51ए यानी मौलिक कर्तव्य के तहत सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का उल्लेख है, इसलिए वंदे मातरम को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।
Last Updated : Jul 26, 2019, 2:53 PM IST
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