नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने जेबीटी भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की जल्द रिहाई की मांग करने वाली याचिका को डिवीजन बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने इस मामले पर विचार करने के लिए डिवीजन बेंच को ट्रांसफर कर दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.
कोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला की पैरोल 21 फरवरी से बढ़ाकर 23 फरवरी कर दिया है. 18 दिसंबर 2019 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह ओमप्रकाश चौटाला की अर्जी पर नए सिरे से विचार करे. 2019 में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के पहले के उस आदेश को निरस्त कर दिया था जिसमें उसने चौटाला की समय पूर्व रिहाई की मांग को खारिज कर दिया था.
खराब सेहत का हवाला दिया है
चौटाला ने उम्र और खराब सेहत का हवाला दे कर समय से पहले रिहाई की गुहार लगाई है. चौटाला ने केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन का हवाला दिया है जिसमें 60 वर्ष के ऊपर के पुरुष कैदियों की रिहाई की बात कही गई है. चौटाला की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार के विशेष माफी संबंधी नोटिफिकेशन के तहत 60 साल के ऊपर के पुरुष कैदियों, 55 साल के ऊपर की महिला और ट्रांसजेंडर कैदियों की रिहाई की बात कही गई है.
जिन्होंने अपनी सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है. इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 70 फीसदी से ज्यादा उन दिव्यांगों की भी रिहाई की जा सकती है, जिन्होंने अपनी सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है.
नोटिफिकेशन के मुताबिक रिहाई के हकदार हैं
चौटाला की ओर से वकील अमित साहनी ने कहा था कि चौटाला को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दस साल की सजा मिली है. उन्होंने कहा कि चौटाला की उम्र 83 वर्ष हो चुकी है और वे अप्रैल 2013 तक 60 फीसदी स्थायी दिव्यांगता है. उसके बाद जून 2013 में उन्हें पेसमेकर लगाया गया जिसके बाद वे 70 फीसदी दिव्यांगता के शिकार हैं. इसलिए नोटिफिकेशन के मुताबिक वे दो वर्गों में रिहाई के हकदार हैं.
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चौटाला जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचर्स की भर्ती के घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद दस साल की कैद की सजा काट रहे हैं. उनके साथ ही उनके पुत्र अजय चौटाला और तीन अन्य दोषी भी दस साल कैद की सजा काट रहे हैं.