नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की गुरुवार को जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की. कोर्ट ने कहा कि व्यापक संभावनाएं इंगित करती हैं कि जैन मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल कंपनियों का अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण कर रहे थे. एक विस्तृत फैसले में जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि जैन का मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत की दोहरी शर्तों को पूरा नहीं करता है.
कोर्ट ने कहा कि ज्यादा संभावनाएं बताती हैं कि मैसर्स अकिंचन डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स प्रयास इंफोसोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का नियंत्रण और प्रबंधन सत्येंद्र कुमार जैन करते हैं. कंपनियों में शेयरधारिता के निरंतर बदलते पैटर्न से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि जैन अप्रत्यक्ष रूप से कंपनियों के मामलों को नियंत्रित कर रहे थे. यह रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य बोलते हैं. हालांकि, इस पर विस्तार से चर्चा या जांच नहीं की गई है ताकि याचिकाकर्ता के प्रति पूर्वाग्रह का कोई कारण न हो.
जैन के वकीलों की दलीलें खारिजः पीठ ने जैन की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि ईडी ने 4.8 करोड़ रुपये के लेन-देन के संबंध में आरोप लगाए थे, जबकि सीबीआई द्वारा जांच के तहत आय से अधिक संपत्ति केवल 1.47 करोड़ रुपये थी. जैन के वकीलों ने तर्क दिया था कि ईडी अपनी सीमा से परे चली गई थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि जैन कथित लेन-देन में शामिल कंपनियों से जुड़े नहीं थे और उन्होंने आयकर जांच अवधि से बहुत पहले इन कंपनियों के निदेशक पद को छोड़ दिया था.
जैन पूरे ऑपरेशन के कर्ताधरताः हालांकि, कोर्ट ने कहा कि आईडीएस कार्यवाही में आयकर अधिकारियों ने सत्येंद्र कुमार जैन को इस तरह के पैसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है और इसको सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. पंकुल अग्रवाल की गवाही मैसर्स जे जे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड पर सत्येंद्र कुमार जैन के कुल नियंत्रण को दर्शाती है. इसी तरह राजेंद्र बंसल, जीवेंद्र मिश्रा, आशीष चोखानी और जेपी मोहता की गवाही से पता चलता है कि जैन अवधारणाकार हैं. विज़ुअलाइज़र और पूरे ऑपरेशन के निष्पादक हैं. उन्हें वैभव जैन और अंकुश जैन द्वारा सहायता और बढ़ावा दिया गया था.
जैन के कहने पर कुछ लोग करते थे निवेशः कोर्ट ने आगे कहा कि जैन के कहने पर व्यक्तियों द्वारा निवेश भी किया जा रहा था जैसा कि सत्यव्रत अग्रवाल, निर्मल कुमार मधोगरिया और महेंद्र पाल सिंह के बयानों से परिलक्षित होता है. ऐसे मामलों में यह जरूरी नहीं है कि गवाह व्यक्तिगत रूप से आरोपी से मिले हैं या नहीं. यह दलील कि आय से अधिक संपत्ति केवल 1.47 करोड़ रुपये थी और पीएमएलए ने 4.81 करोड़ रुपये की शिकायत दर्ज की है, क्योंकि अपराध की आय इस स्तर पर प्रासंगिक नहीं है क्योंकि अदालत को केवल यह देखना है कि क्या अपराध किया गया है और क्या आरोपित व्यक्ति जमानत की दोहरी शर्तों को पूरा करते हैं. न्यायमूर्ति शर्मा ने यह भी कहा कि नवंबर 2022 के ट्रायल कोर्ट के फैसले में कोई अवैधता या विकृति नहीं थी, जिसने जैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था.