नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) ने 1984 सिख दंगों (Sikh riots) के मामलों में दोषी नरेश सहरावत (Naresh Sehrawat) की सजा 18 हफ्तों के लिए निलंबित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की. याचिका पर सुनवाई करते हुए नरेश सहरावत की मेडिकल रिपोर्ट तलब की है. जस्टिस (Justice) नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने 5 जुलाई तक मेडिकल रिपोर्ट और स्टेस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
खराब है लीवर और किडनी
सुनवाई के दौरान सहरावत की ओर से वकील धर्म राज ओह्लान ने याचिकाकर्ता का लीवर 90 फीसदी खराब हो चुका है. याचिकाकर्ता की तबियत रोजाना खराब हो रही है. आरोपी ठीक से न तो बोल पाता है और न ही खड़ा हो सकता है या खा सकता है. ऐसी परिस्थिति में याचिकाकर्ता के लीवर और किडनी की तत्काल ट्रांसप्लांट की जरूरत है. किडनी और लीवर खराब होने की स्थिति में याचिकाकर्ता को विशेष खाना और देखभाल की जरूरत है. याचिकाकर्ता को एक तिमारदार की जरूरत है, जो कि जेल में संभव नहीं है. अगर आरोपी का उचित इलाज और देखभाल नहीं की गई तो उसकी जान को खतरा है.
5 अप्रैल को किया था सरेंडर
वकील ने कहा कि सहरावत ने कभी भी कोर्ट की ओर से लगाए गए शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि आरोपी कोर्ट की ओर से लगाए गए शर्तों को मानेगा. बता दें कि 1 जून 2020 को हाईकोर्ट ने सहरावत की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तीन महीने तक सजा निलंबित करने की अनुमति दी थी. उसके बाद सहरावत की समय-समय पर सजा निलंबित होती रही है. कोर्ट के आदेश के बाद सहरावत ने पिछले 5 अप्रैल को सरेंडर कर दिया था.
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2018 में सुनाई गई थी सजा
20 नवंबर 2018 को पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने सिख दंगों के मामलों में यशपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी. जबकि नरेश सहरावत (Naresh Sehrawat) को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली (South Delhi) के महिपालपुर में 1984 में दो लोगों की हत्या के मामले में ये सजा सुनाई थी.
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एसआईटी ने इस मामले को फिर से खोला था
दिल्ली पुलिस ने ये मामला सबूतों के अभाव में बंद कर दिया था. लेकिन 1984 के दंगों की जांच करनेवाली एसआईटी ने इस मामले को फिर से खोला. दोनों पर आरोप है कि 1984 में भड़के सिख दंगों (Sikh riots) के दौरान महिपालपुर में हरदेव सिंह और अवतार की हत्या की थी. पुलिस से इस मामले की शिकायत हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह ने की थी.
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