नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने कहा है कि हर उपभोक्ता को ये जानने का हक है कि वो जो पैकेट बंद खाने की चीजें खरीद रहा है वह वेजिटेरियन है नॉन वेजिटेरियन. जस्टिस विपिन सांघी (Justice Vipin Sanghi) की अध्यक्षता वाली बेंच ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Food Safety and Standards Authority of India) को निर्देश दिया कि वो दिशा निर्देश जारी कर पैकेट बंद खाने की चीजों पर वेजिटेरियन या नॉन वेजिटेरियन होने का खुलासा करना अनिवार्य करें.
याचिका गायों के कल्याण के लिए काम करने वाले ट्रस्ट राम गौ रक्षा दल ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Food Safety and Standards Authority of India) की ओर से 22 दिसंबर 2021 को जारी नोटिफिकेशन में इस बात का कोई स्पष्ट जिक्र नहीं है कि खाद्य पदार्थों के वेजिटेरियन या नॉन वेजिटेरियन होने का खुलासा करना अनिवार्य हो. याचिका में कहा गया है कि अगर किसी खाद्य पदार्थ में काफी कम मात्रा में नॉन वेजिटेरियन का इस्तेमाल हुआ है तो उसे वेजिटेरियन की श्रेणी में रखा गया है.
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पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा था कि खाद्य पदार्थों में नॉन वेजिटेरियन का इस्तेमाल कर उसे वेजिटेरियन बताने से वेजिटेरियन खाने वालों के धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचती है. ऐसा करना धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है. खाद्य पदार्थों पर लेबल लगाते समय ये बताना अनिवार्य है कि वो वेजिटेरियन है नॉन वेजिटेरियन.
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