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दिल्ली दंगों के आरोपी फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत निरस्त - delhi riots latest news

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के एक आरोपी फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से एक मामले में मिली जमानत को निरस्त कर दिया है.

delhi high court revoked bail of faisal farooq accused of delhi riots
फैसल फारूक जमानत निरस्त
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Published : Nov 2, 2020, 4:19 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से एक मामले में मिली जमानत को निरस्त कर दिया है. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने याचिका दायर की थी. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत निरस्त

पिछले 18 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि छह स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति के बाद अब इस बात पर विराम लग गया है कि दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करेगा. सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर रजत नायर ने कहा था कि दिल्ली दंगों के मामले से जुड़े मामलों की पैरवी के लिए पिछले 30 जुलाई को छह पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट की ओर से फैसल फारूक की जमानत पर मिली रोक के हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है.

केंद्र और दिल्ली सरकार के वकीलों में बहस हुई थी

पिछले 2 जुलाई को दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील और केंद्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई थी. उसके बाद जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने फैसल फारूक की जमानत पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने दिल्ली केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करेगा इसे लेकर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें.

'ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत'

पिछले 1 जुलाई को दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत देने का फैसला सही नहीं है. इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. पिछले 22 जून को कोर्ट ने फैसल फारूक को नोटिस जारी किया था.

सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे, तो दिल्ली पुलिस की क्राइम की ओर से हमेशा पेश होने वाले वकील राहुल मेहरा ने उनका विरोध किया था. इसके बाद तुषार मेहता ने इस केस से अपना नाम वापस ले लिया. उसके बाद एएसजी अमन लेखी और स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित चड्ढा पेश हुए और इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की ताकि दिल्ली पुलिस की ओर से कौन पेश हो ये मामला सुलझाया जा सके.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दी थी जमानत

पिछले 20 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसल फारूक को जमानत दे दिया था. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था.

ये हैं आरोप..

पिछले 3 जून को दिल्ली पुलिस की क्राईम ब्रांच ने फैसल फारूक के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में दंगा फैलाने, आपराधिक साजिश, डकैती, समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. चार्जशीट में फारूक के खिलाफ स्कूल और स्कूल के आसपास दंगे का साजिश रचने और उसे भड़काने का आरोप लगाया गया है.

चार्जशीट में कहा गया है कि फारूक के निर्देश पर ही भीड़ ने राजधानी स्कूल के बगल वाले और विरोधी डीआरपी स्कूल के अलावा अनिल स्वीट्स के पार्किंग स्थल को जानबूझकर नष्ट किया गया. इस तथ्य के समर्थन में डीआरपी स्कूल के गार्ड के अलावा खुद राजधानी स्कूल के गार्ड ने भी अपने बयान दर्ज कराए हैं.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से एक मामले में मिली जमानत को निरस्त कर दिया है. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने याचिका दायर की थी. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

फैसल फारूक को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत निरस्त

पिछले 18 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि छह स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति के बाद अब इस बात पर विराम लग गया है कि दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करेगा. सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर रजत नायर ने कहा था कि दिल्ली दंगों के मामले से जुड़े मामलों की पैरवी के लिए पिछले 30 जुलाई को छह पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट की ओर से फैसल फारूक की जमानत पर मिली रोक के हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है.

केंद्र और दिल्ली सरकार के वकीलों में बहस हुई थी

पिछले 2 जुलाई को दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील और केंद्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई थी. उसके बाद जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने फैसल फारूक की जमानत पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने दिल्ली केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करेगा इसे लेकर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें.

'ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत'

पिछले 1 जुलाई को दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत देने का फैसला सही नहीं है. इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. पिछले 22 जून को कोर्ट ने फैसल फारूक को नोटिस जारी किया था.

सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे, तो दिल्ली पुलिस की क्राइम की ओर से हमेशा पेश होने वाले वकील राहुल मेहरा ने उनका विरोध किया था. इसके बाद तुषार मेहता ने इस केस से अपना नाम वापस ले लिया. उसके बाद एएसजी अमन लेखी और स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित चड्ढा पेश हुए और इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की ताकि दिल्ली पुलिस की ओर से कौन पेश हो ये मामला सुलझाया जा सके.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दी थी जमानत

पिछले 20 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसल फारूक को जमानत दे दिया था. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था.

ये हैं आरोप..

पिछले 3 जून को दिल्ली पुलिस की क्राईम ब्रांच ने फैसल फारूक के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में दंगा फैलाने, आपराधिक साजिश, डकैती, समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. चार्जशीट में फारूक के खिलाफ स्कूल और स्कूल के आसपास दंगे का साजिश रचने और उसे भड़काने का आरोप लगाया गया है.

चार्जशीट में कहा गया है कि फारूक के निर्देश पर ही भीड़ ने राजधानी स्कूल के बगल वाले और विरोधी डीआरपी स्कूल के अलावा अनिल स्वीट्स के पार्किंग स्थल को जानबूझकर नष्ट किया गया. इस तथ्य के समर्थन में डीआरपी स्कूल के गार्ड के अलावा खुद राजधानी स्कूल के गार्ड ने भी अपने बयान दर्ज कराए हैं.

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