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दिल्ली में दुकान जैसे स्कूलों को क्यों चलने दिया जा रहा है- हाईकोर्ट

कोर्ट ने पूछा कि ये स्कूल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के तहत कैसे चल रहे हैं जबकि ये दुकानों की तरह दिखते हैं. जब कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली के एमएस एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से संचालित स्कूलों की तस्वीरें देखी तो अफसरों से पूछा कि ये स्कूल है, ये तो दुकान की तरह दिखते हैं.

दिल्ली में दुकान जैसे स्कूलों को क्यों चलने दिया जा रहा है- हाईकोर्ट
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Published : Nov 20, 2019, 8:07 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में क्लास एक से आठ तक के स्कूलों की स्थिति पर सवाल खड़ा किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि दुकान जैसे स्कूलों को क्यों चलने दिया जा रहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.



कोर्ट ने पूछा कि ये स्कूल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के तहत कैसे चल रहे हैं जबकि ये दुकानों की तरह दिखते हैं. जब कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली के एमएस एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से संचालित स्कूलों की तस्वीरें देखी तो अफसरों से पूछा कि ये स्कूल है, ये तो दुकान की तरह दिखते हैं. क्या इनमें पढ़ने वाले बच्चों को खेल के मैदान की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकारों से पूछा कि आप क्या कर रहे हैं. आप इस तरह के सकूलों के संचालन की मंजूरी कैसे देते हैं. कोर्ट ने मानव संसाधन मंत्रालय को एक हलफनामे के जरिये ये बताने को कहा कि किस आधार पर इन संस्थानों को चलाने की अनुमति दी जा रही है.

दरअसल हाईकोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. एक याचिका मोहम्मद कामरान नामक व्यक्ति ने दायर किया है. उन्होंने हाईकोर्ट से इस तरह के स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की है. दूसरी याचिका शिक्षण संस्थाओं को चलानेवाली ट्रस्ट की ओर से दायर की गई है जिसने दिल्ली सरकार के उसके कुछ संस्थानों को बंद करने के आदेश को चुनौती दी है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में क्लास एक से आठ तक के स्कूलों की स्थिति पर सवाल खड़ा किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि दुकान जैसे स्कूलों को क्यों चलने दिया जा रहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.



कोर्ट ने पूछा कि ये स्कूल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के तहत कैसे चल रहे हैं जबकि ये दुकानों की तरह दिखते हैं. जब कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली के एमएस एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से संचालित स्कूलों की तस्वीरें देखी तो अफसरों से पूछा कि ये स्कूल है, ये तो दुकान की तरह दिखते हैं. क्या इनमें पढ़ने वाले बच्चों को खेल के मैदान की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकारों से पूछा कि आप क्या कर रहे हैं. आप इस तरह के सकूलों के संचालन की मंजूरी कैसे देते हैं. कोर्ट ने मानव संसाधन मंत्रालय को एक हलफनामे के जरिये ये बताने को कहा कि किस आधार पर इन संस्थानों को चलाने की अनुमति दी जा रही है.

दरअसल हाईकोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. एक याचिका मोहम्मद कामरान नामक व्यक्ति ने दायर किया है. उन्होंने हाईकोर्ट से इस तरह के स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की है. दूसरी याचिका शिक्षण संस्थाओं को चलानेवाली ट्रस्ट की ओर से दायर की गई है जिसने दिल्ली सरकार के उसके कुछ संस्थानों को बंद करने के आदेश को चुनौती दी है.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में क्लास एक से आठ तक के स्कूलों की स्थिति पर सवाल खड़ा किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि दुकान जैसे स्कूलों को क्यों चलने दिया जा रहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।



Body:कोर्ट ने पूछा कि ये स्कूल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के तहत कैसे चल रहे हैं जबकि ये दुकानों की तरह दिखते हैं। जब कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली के एमएस एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से संचालित स्कूलों की तस्वीरें देखी तो अफसरों से पूछा कि ये स्कूल है, ये तो दुकान की तरह दिखते हैं। क्या इनमें पढ़ने वाले बच्चों को खेल के मैदान की जरुरत नहीं है। कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकारों से पूछा कि आप क्या कर रहे हैं। आप इस तरह के सकूलों के संचालन की मंजूरी कैसे देते हैं। कोर्ट ने मानव संसाधन मंत्रालय को एक हलफनामे के जरिये ये बताने को कहा कि किस आधार पर इन संस्थानों को चलाने की अनुमति दी जा रही है।  



Conclusion:दरअसल हाईकोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। एक याचिका मोहम्मद कामरान नामक व्यक्ति ने दायर किया है। उन्होंने हाईकोर्ट से इस तरह के स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की है। दूसरी याचिका शिक्षण संस्थाओं को चलानेवाली ट्रस्ट की ओर से दायर की गई है जिसने दिल्ली सरकार के उसके कुछ संस्थानों को बंद करने के आदेश को चुनौती दी है।
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