नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से दो साल के भीतर अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित तीन किशोर न्याय बोर्ड स्थापित करने को कहा है. अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार अलीपुर में वात्सल्य सदन और किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक एकीकृत परिसर स्थापित करने के लिए आधारशिला रखने के लिए तैयार है, जिसमें बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए विभिन्न संस्थान और वैधानिक निकाय शामिल होंगे.
कोर्ट ने कहा कि सरकार की स्थिति रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि राज्य इन क्षेत्रों के मामलों को पूरा करने के लिए द्वारका और अलीपुर में तीन किशोर न्याय बोर्ड स्थापित कर रहा है और दिल्ली के हर जिले में भी किशोर न्याय बोर्ड स्थापित कर रहा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एक आदेश में कहा कि राज्य सरकार को आज से दो साल की अवधि के भीतर प्रस्तावित केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया जाता है.
अदालत का यह आदेश उस मामले में आया है, जब 2013 में 8 अगस्त को मजनूं का टीला में एक किशोर के साथ हिरासत केंद्र में बर्बरता की घटना हुई थी. जब अदालत की किशोर न्याय समिति के सदस्यों ने घटना के बाद परिसर का दौरा किया तो यह बताया गया कि कैदियों ने घर के अंदर कंबल जलाकर आग लगा ली और बाहर खड़ी कुछ कारें भी क्षतिग्रस्त हो गईं थी.
समिति की रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि कैदियों ने प्रशासन पर उनके साथ बुरा व्यवहार करने और उन्हें समय पर भोजन नहीं देने का आरोप लगाया था. वर्तमान में, राष्ट्रीय राजधानी में 11 बाल कल्याण समितियां, छह किशोर न्याय बोर्ड और 21 सरकार द्वारा संचालित बाल देखभाल संस्थान हैं.