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सोशल मीडिया को आधार से लिंक करने की मांग, HC कर सकती है सुनवाई - फर्जी अकाउंट

दिल्ली हाईकोर्ट सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से जोड़ने की मांग कर रही याचिका पर सुनवाई कर सकता है. शर्त है कि सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकार का कोई मामला लंबित ना हो.

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Published : Oct 24, 2019, 10:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि वे वेरिफाई कर ये बताएं कि सुप्रीम कोर्ट भी इसी मसले पर तो सुनवाई नहीं कर रहा है ताकि ओवरलैपिंग न हो.

याचिका में कहा गया है कि फर्जी अकाउंट को सोशल मीडिया से हटाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि इसके लिए ट्विटर और फेसबुक आदि के अकाउंट्स को आधार से जोड़ने का दिशानिर्देश जारी करना चाहिए. साथ ही निर्वाचन आयोग और भारतीय प्रेस परिषद को फेक न्यूज और पेड न्यूज के मामलों में उचित कदम उठाने का दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए.

'डुप्लिकेसी पर हो वार'

याचिका में कहा गया है कि किसी भी चुनाव के 48 घंटे पहले पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण को भ्रष्ट आचरण घोषित किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि साढ़े तीन करोड़ ट्विटर हैंडल में से दस फीसदी डुप्लीकेट हैं. इनमें मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सैकड़ों नामचीन व्यक्तियों के नाम शामिल हैं.

पहले भी दायर की गई थी याचिका

आपको बता दें कि पिछले 14 अक्टूबर को अश्विनी उपाध्याय की ऐसी ही याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी याचिका मद्रास हाईकोर्ट में पहले से लंबित है, अगर वो चाहें तो इसी विषय पर हाईकोर्ट में पहले से लंबित सुनवाई में अर्जी दाखिल कर सकते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि वे वेरिफाई कर ये बताएं कि सुप्रीम कोर्ट भी इसी मसले पर तो सुनवाई नहीं कर रहा है ताकि ओवरलैपिंग न हो.

याचिका में कहा गया है कि फर्जी अकाउंट को सोशल मीडिया से हटाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि इसके लिए ट्विटर और फेसबुक आदि के अकाउंट्स को आधार से जोड़ने का दिशानिर्देश जारी करना चाहिए. साथ ही निर्वाचन आयोग और भारतीय प्रेस परिषद को फेक न्यूज और पेड न्यूज के मामलों में उचित कदम उठाने का दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए.

'डुप्लिकेसी पर हो वार'

याचिका में कहा गया है कि किसी भी चुनाव के 48 घंटे पहले पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण को भ्रष्ट आचरण घोषित किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि साढ़े तीन करोड़ ट्विटर हैंडल में से दस फीसदी डुप्लीकेट हैं. इनमें मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सैकड़ों नामचीन व्यक्तियों के नाम शामिल हैं.

पहले भी दायर की गई थी याचिका

आपको बता दें कि पिछले 14 अक्टूबर को अश्विनी उपाध्याय की ऐसी ही याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी याचिका मद्रास हाईकोर्ट में पहले से लंबित है, अगर वो चाहें तो इसी विषय पर हाईकोर्ट में पहले से लंबित सुनवाई में अर्जी दाखिल कर सकते हैं.

Intro:नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से लिंक करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि वे वेरिफाई कर यह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट भी इसी मसले पर तो सुनवाई नहीं कर रहा है ताकि ओवरलैपिंग न हो।



Body:याचिका में कहा गया है कि फर्जी अकाउंट को सोशल मीडिया से हटाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि इसके लिए ट्विटर और फेसबुक आदि के अकाउंट्स को आधार से जोड़ने का दिशानिर्देश जारी करना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग और भारतीय प्रेस परिषद को फेक न्यूज़ और पेड न्यूज के मामलों में उचित कदम उठाने का दिशानिर्देश दिया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि किसी भी चुनाव के 48 घंटे पहले पेड न्यूज़ और राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण को भष्ट आचरण घोषित किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि साढ़े तीन करोड़ ट्विटर हैंडल में से दस फीसदी डुप्लीकेट हैं। इन डुप्लीटेक ट्विटर अकाउंट में मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सैकड़ों नामचीन व्यक्तियों के नाम शामिल हैं।



Conclusion:आपको बता दें कि पिछले 14 अक्टूबर को अश्विनी उपाध्याय की ऐसी ही याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय से कहा था कि ऐसी याचिका मद्रास हाईकोर्ट में पहले से लंबित है, अगर वह चाहें तो इसी विषय पर हाईकोर्ट में पहले से लंबित सुनवाई में अर्ज़ी दाखिल कर सकते हैं।
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