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ऑनलाइन लोन ऐप्स पर नियंत्रण की मांग पर केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस - लोन ऐप्स नियंत्रण

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐप्स के जरिए लोन देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है.

online loan applications
ऑनलाइन लोन ऐप्स
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Published : Jan 15, 2021, 5:07 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 19 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

'लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स'

याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से लेनदेन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलने वाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देने वाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

'35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं'

याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशा निर्देश जारी करें. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेने वालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

यह भी पढ़ेंः-द्वारकाः झटपट लोन के चक्कर में गई जान, युवक ने लगाई फांसी

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 19 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

'लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स'

याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से लेनदेन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलने वाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देने वाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

'35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं'

याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशा निर्देश जारी करें. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेने वालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

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