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IFS officer case: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवमानना मामले में दो सीबीआई अधिकारियों को नोटिस जारी किया

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 29, 2023, 8:08 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के शीघ्र अवमानना ​​​​सुनवाई के अनुरोध के जवाब में दो वरिष्ठ सीबीआई अधिकारियों को अवमानना ​​​​नोटिस जारी किया है. जानिए पूरा मामला...

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और 2002 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी विनीत विनायक और गगनदीप गंभीर, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है. जस्टिस जसमीत सिंह ने 22 सितंबर के आदेश में सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख दोपहर 3:30 बजे तय करते हुए कहा कि कोर्ट की कोशिश होगी कि इसी तारीख को याचिका पर सुनवाई की जाए और फैसला सुनाया जाए.

जनवरी 2018 में चतुर्वेदी, जो पहले एम्स, दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के रूप में काम कर चुके थे, एम्स में उनके द्वारा जांचे गए भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में याचिका दायर की गई थी. यह मामला संस्थान में कुछ सामग्रियों की खरीद में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप से संबंधित था.

उच्च न्यायालय ने कहा कि सितंबर 2017 में, चतुर्वेदी ने सीबीआई के साथ एक आरटीआई आवेदन दायर किया, जिसमें सीबीआई द्वारा की गई जांच से संबंधित दस्तावेज मांगे गए. हालांकि, इस आवेदन को तत्कालीन केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ), गगनदीप गंभीर, जो उस समय पुलिस अधीक्षक थे, उन्होंने खारिज कर दिया था. इस आधार पर कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम की धारा 24 (1) के तहत छूट प्राप्त संगठनों की सूची में आती है. इसके खिलाफ, चतुर्वेदी ने नवंबर 2017 में विनीत विनायक के समक्ष अपील दायर की थी, जो उस समय सीबीआई के संयुक्त निदेशक थे. हालांकि अपील को भी उसी आधार पर खारिज कर दिया गया था.

इन आदेशों के खिलाफ चतुर्वेदी ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अवमानना ​​याचिका दायर की थी, इस आधार पर कि सूचना देने से इनकार करने से दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2017 के साथ-साथ अगस्त 2017 में पारित आदेशों और निर्देशों का उल्लंघन हुआ. इसमें उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश पारित किया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 24 के तहत आने वाले संगठनों को भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित जानकारी प्रदान करनी होगी.

अवमानना ​​याचिका में उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा सीबीआई से मांगी गई जानकारी भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित थी और इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सीबीआई इस जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य है.

पहले इस मामले की सुनवाई की तारीख 20 नवंबर तय की गई थी, जिसके खिलाफ चतुर्वेदी ने इस आधार पर जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी कि अगर मामले की सुनवाई पहले की तारीख पर नहीं हुई तो याचिकाकर्ता को अपने करियर में नुकसान होगा. उनकी अर्जी पर हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया कि अगली तारीख यानी 20 नवंबर 2023 को रद्द किया जाता है.

यह भी पढ़ें-रियल एस्टेट कारोबारी गोपाल अंसल को विदेश यात्रा करने की अनुमति नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- अंतिम समय में आना ठीक नहीं...

यह भी पढ़ें-NEET PG 2023: दिल्ली हाईकोर्ट ने कट-ऑफ परसेंटाइल को 'शून्य' करने के खिलाफ याचिका पर जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और 2002 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी विनीत विनायक और गगनदीप गंभीर, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है. जस्टिस जसमीत सिंह ने 22 सितंबर के आदेश में सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख दोपहर 3:30 बजे तय करते हुए कहा कि कोर्ट की कोशिश होगी कि इसी तारीख को याचिका पर सुनवाई की जाए और फैसला सुनाया जाए.

जनवरी 2018 में चतुर्वेदी, जो पहले एम्स, दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के रूप में काम कर चुके थे, एम्स में उनके द्वारा जांचे गए भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में याचिका दायर की गई थी. यह मामला संस्थान में कुछ सामग्रियों की खरीद में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप से संबंधित था.

उच्च न्यायालय ने कहा कि सितंबर 2017 में, चतुर्वेदी ने सीबीआई के साथ एक आरटीआई आवेदन दायर किया, जिसमें सीबीआई द्वारा की गई जांच से संबंधित दस्तावेज मांगे गए. हालांकि, इस आवेदन को तत्कालीन केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ), गगनदीप गंभीर, जो उस समय पुलिस अधीक्षक थे, उन्होंने खारिज कर दिया था. इस आधार पर कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम की धारा 24 (1) के तहत छूट प्राप्त संगठनों की सूची में आती है. इसके खिलाफ, चतुर्वेदी ने नवंबर 2017 में विनीत विनायक के समक्ष अपील दायर की थी, जो उस समय सीबीआई के संयुक्त निदेशक थे. हालांकि अपील को भी उसी आधार पर खारिज कर दिया गया था.

इन आदेशों के खिलाफ चतुर्वेदी ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अवमानना ​​याचिका दायर की थी, इस आधार पर कि सूचना देने से इनकार करने से दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2017 के साथ-साथ अगस्त 2017 में पारित आदेशों और निर्देशों का उल्लंघन हुआ. इसमें उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश पारित किया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 24 के तहत आने वाले संगठनों को भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित जानकारी प्रदान करनी होगी.

अवमानना ​​याचिका में उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा सीबीआई से मांगी गई जानकारी भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित थी और इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सीबीआई इस जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य है.

पहले इस मामले की सुनवाई की तारीख 20 नवंबर तय की गई थी, जिसके खिलाफ चतुर्वेदी ने इस आधार पर जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी कि अगर मामले की सुनवाई पहले की तारीख पर नहीं हुई तो याचिकाकर्ता को अपने करियर में नुकसान होगा. उनकी अर्जी पर हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया कि अगली तारीख यानी 20 नवंबर 2023 को रद्द किया जाता है.

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