नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सेंट स्टीफंस कॉलेज द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को नोटिस जारी किया है. याचिका में अल्पसंख्यक कोटे के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के प्रवेश के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है. अधिसूचना में एडमिशन अकादमिक वर्ष 2023-24 के लिए केवल सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के स्कोर पर आधारित थी.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने डीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 24 मई को होगी. सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने डीयू के हालिया फैसले के खिलाफ याचिका दायर किया है, जिसमें 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश का समाधान किया गया है. ईसाई कोटे के तहत दाखिले भी केवल सीयूईटी स्कोर के आधार पर होंगे और 2023 के शैक्षणिक सत्र में दाखिले के लिए कोई साक्षात्कार के लिए 15 प्रतिशत अंक जोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
याचिका में हाईकोर्ट के 12 सितंबर 2022 के एक फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि सेंट स्टीफंस कॉलेज अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के प्रवेश के लिए सीयूईटी के अलावा साक्षात्कार आयोजित करने के अपने अधिकार को बरकरार रखता है, लेकिन यह एक नीति तैयार नहीं कर सकता है. जो गैर-अल्पसंख्यक समुदाय को भी एक साक्षात्कार से गुजरने के लिए मजबूर करता है. इसलिए याचिकाकर्ता कॉलेज का साक्षात्कार आयोजित करने का अधिकार और उन्हें छात्रों को प्रवेश देने के प्रयोजनों के लिए 15 प्रतिशत वेटेज देना केवल इसके अल्पसंख्यक छात्रों से संबंधित है.
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याचिका में कहा गया है कि प्रवेश के लिए छात्रों का चयन करने का अधिकार शैक्षिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन के अधिकार का मूल है, जिसे न तो दखल दिया जा सकता है और न ही छीना जा सकता है. याचिका दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के आठ दिसंबर 2022 के फैसले को चुनौती देती है और 30 दिसंबर, 2022 को जारी अधिसूचना को अधिकारातीत और असंवैधानिक बताते हुए एक घोषणा पत्र भी मांगा गया है कि अल्पसंख्यक कोटे में प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर के लिए 100 प्रतिशत वेटेज पर जोर देने वाला दिल्ली विश्वविद्यालय का निर्णय भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के खिलाफ है.