नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) के मानहानि दावा मामले में फैसला सुनाते हुए आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के 5 नेताओं पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया. कोर्ट ने निषेधाज्ञा आदेश पारित करते हुए कहा यह आदेश उपराज्यपाल द्वारा दायर एक अंतरिम आवेदन पर पारित किया गया है. आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेताओं द्वारा उपराज्यपाल के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर अंतरिम पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
कोर्ट ने आतिशी, दुर्गेश पाठक, सौरभ भारद्वाज, संजय सिंह और जैस्मीन शाह पर उपराज्यपाल के खिलाफ कोई भी टीका-टिप्पणी, सोशल मीडिया पर पब्लिश ट्वीट, पोस्ट, वीडियो को हटाने को कहा है. कोर्ट ने उपराज्यपाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और महेश जेठमलानी को सुनने के बाद पिछले सप्ताह मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर, संदीप सेठी और अरुण भारद्वाज पेश हुए.
महेश जेठमलानी ने दलील दी थी कि आप और उसके नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से झूठे हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिवादी आरोपों को साबित करने के लिए कुछ भी दिखाने में सक्षम नहीं हैं और यहां तक कि तब तक इस्तेमाल किए गए दस्तावेज भी फर्जी है. ये आरोप एक उच्च संवैधानिक पदाधिकारी के खिलाफ लगाए जा रहे हैं. याचिका में मांग की गई कि इन नेताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पारित किया जाना चाहिए और उन्हें एलजी के खिलाफ आरोपों के संदर्भ में सभी ट्वीट, पोस्ट या वीडियो को हटाने का निर्देश दिया जाना चाहिए. हालांकि, आप नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी और राजीव नायर ने तर्क दिया कि अदालत को इस स्तर पर अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश पारित नहीं करना चाहिए और लगाए गए आरोपों में सच्चाई है या नहीं, यह सुनवाई के चरण में तय किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अदालतों द्वारा निर्धारित सिद्धांत यह है कि सार्वजनिक पदाधिकारियों को आलोचना के लिए खुला होना चाहिए और उन्हें आलोचनाओं को सुनना चाहिए. एलजी कानून से ऊपर नहीं हैं.
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यह है मामला: पिछले दिनों विधानसभा सत्र के दौरान और उसके बाद उपराज्यपाल कार्यालय के बाहर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेताओं ने धरना-प्रदर्शन कर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसके बाद 5 सितंबर को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अपने ऊपर आरोप लगाने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं को लीगल नोटिस भेजा था. उपराज्यपाल ने आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक और सरकार में दिल्ली डायलॉग कमीशन के प्रमुख जैस्मीन शाह के साथ-साथ आप सांसद संजय सिंह के खिलाफ नोटिस भेजा था. इस नोटिस में उपराज्यपाल की तरफ से फिर दोहराया गया है कि इन आप नेताओं जो बात कही है वे झूठे, मनगढ़ंत आरोप हैं.
दिल्ली विधानसभा सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक समेत अन्य आप नेताओं ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाए थे. बकायदा उन्होंने विधानसभा सत्र में अपनी बातें ऑन टेबल कही. उसके तुरंत बाद विधानसभा सभी आम आदमी पार्टी के विधायक परिसर में प्रदर्शन भी किया और पूरी रात धरने पर भी बैठे थे. वे सब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच तथा इस्तीफे की मांग कर रहे थे. जिसके दो दिन बाद 31 अगस्त को उपराज्यपाल ने इन आप नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया है.
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आप नेताओं ने लगाए थे यह आरोप: आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश व आतिशी ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि पूरे देश ने देखा था कि किस तरह से 9 नवंबर 2016 को पूरे देश में नोटबंदी लगाई गई. उस नोटबंदी पूरे देश पर गहरा आर्थिक असर पड़ा. देश में करोड़ों लोग लाइनों में लग गए ताकि जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी घर पर रखी थे, उसे नए नोटों में बदलवाने के लिए लोग घंटो घंटो लाइन में खड़े रहे. वहीं जो तथ्य विधानसभा में रखे गए, उससे यह सामने आया है कि जब पूरा देश लाइनों में लगा हुआ था, जब देश के लोगों के पास खाना खरीदने के पैसे नहीं थे तो विनय कुमार सक्सेना, जो आज दिल्ली के उपराज्यपाल हैं वह उस समय खादी ग्रामोद्योग (केवीआईसी) के देशभर के चेयरमैन थे. उन्होंने देश भर में खादी ग्रामोद्योग के भवनों को ब्लैक मनी को व्हाइट करने का काम किया है. उनके ही केवीआईसी के दो कैशियर संजीव कुमार और प्रदीप यादव ने इंक्वायरी कमेटी की अलग-अलग एजेंसीज के सामने बयान दिया. एक कैशियर के लिए आरोप लगाना आसान नहीं होता है, क्योंकि वह छोटे लेवल का अधिकारी होता है. दोनों ने देश भर के खादी ग्राम उद्योग संस्था के चेयरमैन पर आरोप लगाया. प्रदीप यादव और संजीव कुमार ने यह लिखित बयान देकर कहा कि हम पर पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने का दबाव डाला गया. आप विधायक आतिशी के अनुसार यह 1400 करोड़ का घोटाला है. सवाल उठता है कि घोटाला हुआ है और विनय कुमार सक्सेना के दबाव में हुआ है तो विनय कुमार सक्सेना जी की जांच क्यों नहीं हो रही है? जब सीबीआई ने इस मामले पर जांच शुरू की, तो कई छोटे छोटे लेवल के अधिकारियों पर यह जांच शुरु हो गई. लेकिन जिस चैयरमैन विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ इन दोनों कैशियर ने बयान दिया था, उनको सीबीआई की जांच में शामिल नहीं किया.
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उपराज्यपाल सचिवालय ने आरोपों का किया खंडन: वहीं आप नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद उपराज्यपाल सचिवालय से जो सफाई आई. उसमें कहा गया कि जब विनय कुमार सक्सेना खादी ग्रामोद्योग में चैयरमेन थे, तब खादी ग्रामोद्योग भवन में कार्यरत दो कैशियर संजीव कुमार और प्रदीप यादव ने 10 व 12 अप्रैल 2017 को एक लिखित शिकायत दी थी. जिसकी जांच सतर्कता निदेशालय को सौंपी गई. जिसमें अजय गुप्ता जो सेल्स इंचार्ज थे और मैनेजर एके गर्ग के बारे में कहा गया था कि नोटबंदी के बाद उनसे खादी ग्रामोद्योग भवन परिसर में स्थित स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर में 500 और 1000 रुपये के नोट बड़े पैमाने पर जमा कराए गए. इस संबंध में जब सेल्स इंचार्ज और मैनेजर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो पुराने नोट जमा कराए गए सभी वैध था. लेकिन जब सतर्कता निदेशालय ने ने उनसे डिटेल में सभी जानकारी लिखित मांगी तो आज तक इन सबने नहीं दिए. जिस आधार पर चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने तुरंत उक्त चारों को निलंबित कर आगे की विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए. एन्टी करप्शन ब्रांच व सीबीआई ने भी इन चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. 09 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2017 तक बैंक में जमा पैसों की पर्ची की जांच में पाया गया कि मैनेजर एके गर्ग ने बैंक के हेड कैशियर को कुछ ऐसी पर्चियों के जरिये पुराने नोट जमा कराए जो खादी ग्रामोद्योग की पर्ची से अलग था. इसमें संदेह के घेरे में दोनों कैशियर और सेल्स मैनेजर भी था तब इन सबके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई.
उपराज्यपाल सचिवालय से इस मामले में आप नेताओं को भेजे गए नोटिस में झूठे, मनगढ़ंत, बेबुनियाद आरोप लगाकर दिल्ली के उपराज्यपाल की छवि खराब करने की बात कही गयी थी.
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