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Delhi High Court की डीडीए को फटकार, महिला को रिजर्व प्लॉट देने का आदेश

दिल्ली में आवंटन के 30 साल बाद भी DDA ने एक महिला को प्लॉट नहीं देने के मामले में Delhi High Court ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने Delhi Development Authority को इसके लिए फटकार लगाते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया.

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Published : Aug 13, 2022, 1:15 PM IST

Delhi High Court imposed fine of DDA
दिल्ली हाईकोर्ट की डीडीए को फटकार

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने तीस साल पहले हुए आवंटन के बाद भी एक महिला को प्लॉट नहीं मिलने पर डीडीए को कड़ी फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Chief Justice Satish Chandra Sharma) की अध्यक्षता वाली बेंच ने डीडीए (Delhi Development Authority) पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

कोर्ट ने डीडीए को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उसने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में याचिका दायर कर न्यायिक समय की बर्बादी की है. दरअसल शैल शुक्ला (Shail Shukla) नामक महिला ने 1981 में डीडीए के रोहिणी आवासीय योजना (Rohini Housing Scheme) में आवेदन किया था. डीडीए ने मार्च 1991 में ड्रॉ के जरिए महिला को रोहिणी सेक्टर 24 के पॉकेट 12 में एक प्लॉट का आवंटन किया था. महिला ने 1993 तक तीन किश्तों में डीडीए को ब्याज समेत पैसे का भुगतान भी कर दिया था.

10-12 वर्ष बीत जाने के बाद भी जब महिला को प्लॉट नहीं मिला तो 2005 में उसने डीडीए से अपने पैसे वापस देने को कहा. उसके बाद अगस्त 2006 में लैंड सेल्स ब्रांच के असिस्टेंट डायरेक्टर से मिलने को कहा गया जिन्होंने उस महिला से कुछ कागजात की मांग की. जुलाई 2008 में महिला ने हलफनामा के साथ सभी दस्तावेज पेश कर दिए. लेकिन उसके बाद भी डीडीए ने न तो महिला के पैसे वापस किए और न ही प्लॉट दिए. उसके बाद महिला ने 2011 में पैसे वापस करने का आवेदन वापस ले लिया और प्लाट देने की मांग की. जब डीडीए ने प्लॉट देने से इनकार कर दिया तब जून 2012 में महिला ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर किया.

सिंगल बेंच ने 2012 में ही सुनवाई करते हुए डीडीए को आदेश दिया था कि वो मामले का फैसला होने तक एक प्लाट रिजर्व रखे. जस्टिस नाजमी वजीरी की सिंगल बेंच ने अप्रैल 2022 में डीडीए को आदेश दिया कि वो महिला को वो प्लाट दे जिसे हाईकोर्ट ने रिजर्व रखने का आदेश दिया था. सिंगल बेंच के इस फैसले पर डिवीजन बेंच ने भी मुहर लगा दिया.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने तीस साल पहले हुए आवंटन के बाद भी एक महिला को प्लॉट नहीं मिलने पर डीडीए को कड़ी फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Chief Justice Satish Chandra Sharma) की अध्यक्षता वाली बेंच ने डीडीए (Delhi Development Authority) पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

कोर्ट ने डीडीए को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उसने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में याचिका दायर कर न्यायिक समय की बर्बादी की है. दरअसल शैल शुक्ला (Shail Shukla) नामक महिला ने 1981 में डीडीए के रोहिणी आवासीय योजना (Rohini Housing Scheme) में आवेदन किया था. डीडीए ने मार्च 1991 में ड्रॉ के जरिए महिला को रोहिणी सेक्टर 24 के पॉकेट 12 में एक प्लॉट का आवंटन किया था. महिला ने 1993 तक तीन किश्तों में डीडीए को ब्याज समेत पैसे का भुगतान भी कर दिया था.

10-12 वर्ष बीत जाने के बाद भी जब महिला को प्लॉट नहीं मिला तो 2005 में उसने डीडीए से अपने पैसे वापस देने को कहा. उसके बाद अगस्त 2006 में लैंड सेल्स ब्रांच के असिस्टेंट डायरेक्टर से मिलने को कहा गया जिन्होंने उस महिला से कुछ कागजात की मांग की. जुलाई 2008 में महिला ने हलफनामा के साथ सभी दस्तावेज पेश कर दिए. लेकिन उसके बाद भी डीडीए ने न तो महिला के पैसे वापस किए और न ही प्लॉट दिए. उसके बाद महिला ने 2011 में पैसे वापस करने का आवेदन वापस ले लिया और प्लाट देने की मांग की. जब डीडीए ने प्लॉट देने से इनकार कर दिया तब जून 2012 में महिला ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर किया.

सिंगल बेंच ने 2012 में ही सुनवाई करते हुए डीडीए को आदेश दिया था कि वो मामले का फैसला होने तक एक प्लाट रिजर्व रखे. जस्टिस नाजमी वजीरी की सिंगल बेंच ने अप्रैल 2022 में डीडीए को आदेश दिया कि वो महिला को वो प्लाट दे जिसे हाईकोर्ट ने रिजर्व रखने का आदेश दिया था. सिंगल बेंच के इस फैसले पर डिवीजन बेंच ने भी मुहर लगा दिया.

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